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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
रोहित को लिपटते हुए आयेशा के दोनों भरे हुए अल्लड़ स्तन रोहित की बाजुओं को दबा रहे थे। आयेशा की चूत रोहित के लण्ड को जैसे चुनौती दे रहे थी। रोहित ने भी आयेशा को अपनी बाँहों में ले लिया और कांपते हुए हाथों से आयेशा के बदनके पिछवाड़े को सहलाने लगे। आयेशा ने अपने बदन को रोहित के बदन से रगड़ते हुए कहा, " मैं नहीं जानती आपका नाम क्या है। मैं यह भी नहीं जानती आप वाकई में है कौन और आप जो कह रहे हो वह सच है या नहीं। पर आपने मेरी जान बचाकर मुझे उन बदमाशों से बचाया है इसका शुक्रिया मैं कुछ भी दे कर अदा नहीं कर सकती। मैं जरूर आपकी पूरी मदद करुँगी और आपको उन भेड़ियों से बचाकर आपके मुल्क भेजने की भरसक कोशिश करुँगी, चाहे इसमें मेरी जान ही क्यों ना चली जाए। वैसे भी मेरी जान आपकी ही देन है।" मुश्किल से रोहित ने अपने आपको सम्हाला और आयेशा को अपने बदन से अलग करते हुए बोले, "आयेशा, इन सब बातों के लये पूरी रात पड़ी है। हमने उनके एक सिपाही को मार दिया है। हालांकि उसकी बॉडी उनको जल्दी नहीं मिलेगी पर चूँकि उनका एक सिपाही ना मिलने से वह बड़े सतर्क हो जाएंगे और उसे ढूंढने लग जाएंगे। हमें पुरे दिन बड़ी सावधानी से चौकन्ना रहना है और यहां से मौक़ा मिलते ही भाग निकलना है। पर हमें यहां तब तक रहना पडेगा जब तक वह सिपाहियों का घिराव यहां से हट ना जाए।"

रोहित ने सिपाही की बॉडी निचे गिराने पहले उसकी बंदूक ले ली थी। अब उनके पास दो बंदूकें हो गयीं। एक बंदूक आयेशा के पास थी अब एक और बंदूक सिपाही से हथिया ली। आयेशा काफी खुश नजर रही थी। पहली बार उसे महसूस हुआ की उसने ना सही, उसके साथीदार परदेसी (रोहित) ने उसके अब्बूकी कतल का बदला लिया था। आयेशा को सिपाही के मरने का कोई ग़म नहीं था। रोहित ने जब दुश्मन के सिपाही को मौत के घाट उतार दिया उस समय उनमें एक गज़ब का जोश और जूनून था। पर रोहित जब चट्टान से चढ़कर गुफा में घुसे तब उनका मन बहोत दुखी था। उनके लिए यह सोचना भी नामुमकिन था की कभी वह किसी आदमी को इतनी बेरहमी से मार भी सकते हैं। उनके मन में अपने आपके लिए एक धिक्कार सा भाव पैदा हुआ। उन्हें अपने आप पर नफरत हो गयी। जब वह गुफा में घुसे और जब आयेशा उनसे लिपट कर उन्हें किस करने लगी तो उनके मन में अजीब से तूफ़ान उमड़ रहे थे। रोहित को रोना रहा था। उनके लिए अपने जीवन का यह सबसे भयावह दिन था। जब कालिया को जीतूजी ने मार दिया था तो उन्हें बड़ा सदमा लगा था। पर उस समय वह काम जीतूजी ने किया था, उन्होंने नहीं। जब उस सिपाहीको स्वयं रोहितने अपने हाथों से मौतके घाट उतारा तो उन्हें लगा की उनमें एक अजीब सा परिवर्तन आया है। उन्होंने महसूस किया की वह एक खुनी थे और उन्होंने एक आदमी का क़त्ल किया था। हमें यह समझना चाहिए की जो सिपाही सरहद पर हमारे लिए जान की बाजी लगा कर लड़ते हैं, उन्हें भी मरना या किसी को मारना अच्छा नहीं लगता, जैसे की हमें अच्छा नहीं लगता। पर वह हमारे लिए और हमारे देश के लिए मरते हैंऔर मारते हैं। इसी लिए वह हमारे अति सम्मान और प्रशंशा के पात्र हैं।

रोहित के करतब को बड़ी ही आश्चर्य भरी नजरों से देख रही आयेशा रोहित के वापस आने पर गुफा में उन पर टूट पड़ी और उनसे लिपट कर बोली, "मुझे पता नहीं था तुम इतने बहादुर और जांबाज़ हो।" जब रोहित ने आयेशा को कहा की उनको सावधान रहने की जरुरत है, तब आयेशा ने कहा, "इस चट्टान के बिलकुल निचे एक छोटासा झरना है। मैं अक्सर वहाँ जा कर नहाती हूँ। वह गुफा में छिपा हुआ है। बाहर से कोई उसे देख नहीं सकता। तुम भी काफी थके हुए हो और तुम्हारे कपडे भी गंदे गए हैं। चलो मैं तुम्हें वह झरना दिखाती हूँ। तुम नहा लो और फिर दिन में थोड़ा आराम करो। मैं चौकीदारी करुँगी की कहीं कोई सिपाही इस तरफ तो नहीं रहा।" रोहित ने आयेशा की और देखा और मुस्कराये और बोले, "मोहतरमा! मेरे पास बदलने के लिए कोई कपडे नहीं है।"
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 04:37 PM



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