26-12-2019, 04:20 PM
अपर्णा को रस्ते की आपबीती कहाँ भूलने वाली थी? सारे रास्ते में कालिया अपर्णा को यही कहता रहता था, "अपर्णा, मेरी जान तू मुझे एक बार चोदने का मौक़ा देदे। मेरे इस लण्ड से मैं तुझे ऐसे चोदुँगा की इसके बाद तुझे बाकी सारे लण्ड फ़ालतू लगेंगे। उसके बाद तू सिर्फ मुझ से ही चुदवाना चाहेगी। मेरी बात मानले, आज रात को मैं चुपचाप तुझे चोदुँगा और किसीको कानो कान खबर भी नहीं होगी। बस एक बार राजी हो जा।" यह सुनकर अपर्णा के कान पक गए थे। चुदवाना या फाँसना तो दूर, अपर्णा उस कालिये की शकल भी देखना नहीं चाहती थी। जीतूजी ने कहा, "अपर्णा, मेरा प्लान १००% सफल होगा। बस तुम्हें थोड़ी हिम्मत और धीरज रखनी होगी। समझा करो। बाहर कालिया बंदूक ले कर बैठा हुआ है। गली में भेड़िये जैसे भूखे हाउण्ड हमारा इंतजार कर रहेहैं। ऐसेमें हम कैसे बाहर निकलेंगे? यहांसे छटकनेका सिर्फ एकही रास्ताहै, कालिया तुम पर फ़िदा है। अगर तुम उसे कुछ भी समझा बुझा कर पटा लोगी तो हम निकल पाएंगे। मेरी बात मानो और कालिया को ललचाओ।"
अपर्णा ने जीतूजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। तब रोहित बोले, "देखो डार्लिंग! या तो हम यहाँ सारी रात गुजारें और कल इन लोगों की मार खाएं। सबसे बुराहाल तो तुम्हारा होगा। एक बार यह लोग समझ गए की हम उनकी बात नहीं मानने वाले हैं तो यह लोग एक के बाद एक या तो कई लोग एक साथ तुम्हारे सुन्दर बदन को भूखे भेड़िये समान नोंच नोंच कर चींथड़े कर देंगे। बाकी तुम जानो।" अपर्णा अपने पति की बात सुनकर डर के मारे काँपने लगी। उसे अपनी आँखों के सामने अन्धेरा दिखने लगा। उसे लगा की उसके लिए तो एक और कुआं था तो दूसरी और खाई। अगर पति की बात मानी तो पता नहीं यह कालिया उसके साथ क्या क्या करेगा। और नहीं मानी तो क्या हुआ यह तो बता ही दिया था। अपर्णा ने अपने पति रोहित से कहा, "तुम्हें पता है, मेरे साथ पुरे रास्ते में वह कालिया ने क्या क्या किया? उसने मेरे पुरे बदन को नोंचा, मेरे पिछवाड़े को अपने आगे से खूब कुरेदा और अपने हाथों से मेरी छाती को मसल मसल कर मेरे सीने को लाल लाल कर दिया। पुरे रास्ते वह मुझे मनाता रहा की मैं उसके साथ एक रात गुजारूं। मुझे मरना है की मैं उसके साथ एक मिनट भी गुजारूं। बापरे मेरे बंधे हाथ में उसने अपना गवर्नर पकड़ा दिया था। बापरे, कितना बड़ा और मोटा था उसका गवर्नर! पता नहीं इसकी कोई बीबी है या नहीं। पर अगर है तो वह एक भैंस जैसी ही होगी क्यूंकि इस कालिये का लेना कोई साधारण औरत का काम नहीं है। अब उसके साथ एक पल बिताना मेरे लिए पॉसिबल नहीं है। आई एम् सॉरी।" अपर्णा का डर देखकर जीतूजीने कहा, "अपर्णा, डरो मत। तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा। मेरी बात ध्यान से सुनो।" उसके बाद जीतूजी ने अपर्णा को अपना प्लान बताया। जीतूजी की बात सुन-कर अपर्णा को कुछ तसल्ली हुई। अपर्णा अपने पति रोहित की बाँहों में कुछ देर आराम कर ने के लिए सो गयी।
हालांकि बार बार बाहर से कालिया की "अपर्णा... अपर्णा..." की आवाज सुनाई दे रही थी। जीतूजी वैसे ही बैठे हुए सोच में डूबे हुए सही समय का इंतजार कर रहे थे। रोहितभी इस ट्रिपमें क्या क्या रोमांचक और खतरनाक अनुभवोंके बारे में सोचते हुए अपनी बीबी की चूँचियों को सहलाते हुए तंद्रा में पड़े रहे। रात बीती जारही थी। अपर्णा थकानके मारे कुछही मनटोंमें गहरी नींद सो गयी। जीतूजी की आँख में नींद का नामो निशाँ नहीं था। रोहित कभी सो जाते तो कभी जाग जाते। बाहर से कालिये की "अपर्णा...... अपर्णा....." की पुकार कुछ मिनटों बाद सुनाई देती रहती थी। कुछ देर बाद अपर्णा को जीतूजी ने जगाया। अपर्णा गहरी नींद में से चौंक कर जागी। काफी रात हो चुकी थी। रात के करीब बारह बजने वाले थे। जीतूजी ने अपर्णा को इशारा किया।
अपर्णा ने जीतूजी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। तब रोहित बोले, "देखो डार्लिंग! या तो हम यहाँ सारी रात गुजारें और कल इन लोगों की मार खाएं। सबसे बुराहाल तो तुम्हारा होगा। एक बार यह लोग समझ गए की हम उनकी बात नहीं मानने वाले हैं तो यह लोग एक के बाद एक या तो कई लोग एक साथ तुम्हारे सुन्दर बदन को भूखे भेड़िये समान नोंच नोंच कर चींथड़े कर देंगे। बाकी तुम जानो।" अपर्णा अपने पति की बात सुनकर डर के मारे काँपने लगी। उसे अपनी आँखों के सामने अन्धेरा दिखने लगा। उसे लगा की उसके लिए तो एक और कुआं था तो दूसरी और खाई। अगर पति की बात मानी तो पता नहीं यह कालिया उसके साथ क्या क्या करेगा। और नहीं मानी तो क्या हुआ यह तो बता ही दिया था। अपर्णा ने अपने पति रोहित से कहा, "तुम्हें पता है, मेरे साथ पुरे रास्ते में वह कालिया ने क्या क्या किया? उसने मेरे पुरे बदन को नोंचा, मेरे पिछवाड़े को अपने आगे से खूब कुरेदा और अपने हाथों से मेरी छाती को मसल मसल कर मेरे सीने को लाल लाल कर दिया। पुरे रास्ते वह मुझे मनाता रहा की मैं उसके साथ एक रात गुजारूं। मुझे मरना है की मैं उसके साथ एक मिनट भी गुजारूं। बापरे मेरे बंधे हाथ में उसने अपना गवर्नर पकड़ा दिया था। बापरे, कितना बड़ा और मोटा था उसका गवर्नर! पता नहीं इसकी कोई बीबी है या नहीं। पर अगर है तो वह एक भैंस जैसी ही होगी क्यूंकि इस कालिये का लेना कोई साधारण औरत का काम नहीं है। अब उसके साथ एक पल बिताना मेरे लिए पॉसिबल नहीं है। आई एम् सॉरी।" अपर्णा का डर देखकर जीतूजीने कहा, "अपर्णा, डरो मत। तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा। मेरी बात ध्यान से सुनो।" उसके बाद जीतूजी ने अपर्णा को अपना प्लान बताया। जीतूजी की बात सुन-कर अपर्णा को कुछ तसल्ली हुई। अपर्णा अपने पति रोहित की बाँहों में कुछ देर आराम कर ने के लिए सो गयी।
हालांकि बार बार बाहर से कालिया की "अपर्णा... अपर्णा..." की आवाज सुनाई दे रही थी। जीतूजी वैसे ही बैठे हुए सोच में डूबे हुए सही समय का इंतजार कर रहे थे। रोहितभी इस ट्रिपमें क्या क्या रोमांचक और खतरनाक अनुभवोंके बारे में सोचते हुए अपनी बीबी की चूँचियों को सहलाते हुए तंद्रा में पड़े रहे। रात बीती जारही थी। अपर्णा थकानके मारे कुछही मनटोंमें गहरी नींद सो गयी। जीतूजी की आँख में नींद का नामो निशाँ नहीं था। रोहित कभी सो जाते तो कभी जाग जाते। बाहर से कालिये की "अपर्णा...... अपर्णा....." की पुकार कुछ मिनटों बाद सुनाई देती रहती थी। कुछ देर बाद अपर्णा को जीतूजी ने जगाया। अपर्णा गहरी नींद में से चौंक कर जागी। काफी रात हो चुकी थी। रात के करीब बारह बजने वाले थे। जीतूजी ने अपर्णा को इशारा किया।