26-12-2019, 04:18 PM
जब जीतूजी ने कहा की उन्हें भाग निकलना चाहिए तो अपर्णा को उस मुसीबत के दरम्यान भी हँसी आगयी। जीतूजी ऐसे बात कर रहे थे जैसे बाहर निकलना बच्चों का खेल हो। बाहर कालिया भैंसे जैसा पहलवान बैठा था, जिसके हाथ में भरी हुई बंदूक थी। उपर से कर्नल नसीम ने बात बात में उन्हें सावध कर दिया था की बाहर ही उन्होंने भयानक हाउण्ड भूखे छोड़ रखें हैं, जिनको जीतूजी के बदन की भली भाँती पहचान थी। जाहिर है की बाहर और भी सिपाही लोग पहरा दे रहे होंगे। ऐसे में भाग निकलने का तो सवाल ही नहीं था। कुछ ही देरमें किसीने उनका दरवाजा खटखटाया। एक चौकीदार तीन प्लेट्स और खाना लेकर आया। उसने मेज पर खाना लगा दिया। खाना सजा कर पहरेदार झुक कर चला गया। अपर्णा और रोहित जीतूजी की और देख ने लगे। जीतूजी ने कहा, "देखो कहावत है ना की बकरे को मारने के पहले अच्छा खासा खिलाया पिलाया जाता है। चलो आज रात को तो खापी लें। सबने मिलकर खाया।
अपर्णा को कुछ आराम करने की जरुरत थी। अपर्णा कमरे के साथ में ही लगे गुसलखाने (बाथरूम) में गयी। बाथरूम साफ़ सुथरा था। बाल्टी में ठंडा साफ़ पानी भी था। अपर्णा का नहाने का मन किया। पर सवाल था की नहाने के बाद पोंछे किससे और कपड़ा क्या बदलें? अपर्णा ने अपने पति रोहित को इशारा किया और पास बुलाया। अपर्णा ने कहा, "मुझे नहाना है। साफ़ होना है। उस गंदे बदबूदार कालिये ने पुरे रास्ते में मेरी जान ही निकाल ली है। मुझे इतना गंदा सा फील हो रहा है। पर क्या करूँ? ना तो कोई तौलिया है और ना ही कोई बदलने के लिए कपड़ा।" रोहित ने कहा, "देखो, हम कोई पांच सितारा होटल में नहीं ठहरे हैं। यह जेल है। भगवान् इनका भला करे की इन्होने हमें इतनी भी सहूलियत दी है। वह सोच रहे होंगे की शायद हमें सहूलियत देने से हम उनको सारी खुफिया खबर यूँ ही दे देंगे। खैर जहां तक बात है तौलिये की और कपडे बदलने की, तो तुम नहा कर इन्हीं कपड़ों से पोंछ लेना और इन्हें सुखाने के लिए रख देना। इतनी गर्मी में यह जल्द ही सुख जाएंगे।" अपर्णा ने अपने पति की और अचम्भे से देखा और बोली, "तुम पागल हो? अरे मैंने अगर कपडे भिगोये और सुखाने के लिए रक्खे तो फिर मैं क्या पहन के सोऊंगी?" रोहित ने कहा, "रोज कौन से कपडे पहन कर सोती हो?"
अपर्णा ने अपने पति की और देखा और बोली, "तुम्हारा जवाब नहीं। अरे एक ही तो पलंग है। और सोने वाले हैं हम तीन। कोई पर्दा भी नहीं है। तो क्या मैं जीतूजी के साथ नंगी सो जाऊं?" रोहित ने कड़ी नज़रों से अपर्णा की और देखा और बोले, "वह सब तुम जानो। अगर नंगी सो भी जाओगी तो यकीन मानो तुम पर चढ़ जाकर तुम्हें चोदेंगे नहीं। हम एक आपात स्थिति में हैं। यहां हम सब यह सोचकर नहीं आये।" अपर्णा ने एक गहरी साँस ली। पति के साथ बात करना बेकार था। अपर्णा ने कहा, "चलो ठीक है, सबसे पहले आप लोग नहालो या फ्रेश हो जाओ। फिर मैं सीचूंगी मुझे क्या करना है।" सबसे पहले जीतूजी बाथरूम में गए और नहा कर जब बाहर निकले तो उन्होंने एक छोटी सी निक्कर पहन रक्खी थी, अंदर के बाकी कपडे धो कर निचोड़ कर पलंग पर ही उन्होंने इधर उधर लटकाये। उन्होंने अपना यूनिफार्म जराभी गिला नहीं किया।
अपर्णा को कुछ आराम करने की जरुरत थी। अपर्णा कमरे के साथ में ही लगे गुसलखाने (बाथरूम) में गयी। बाथरूम साफ़ सुथरा था। बाल्टी में ठंडा साफ़ पानी भी था। अपर्णा का नहाने का मन किया। पर सवाल था की नहाने के बाद पोंछे किससे और कपड़ा क्या बदलें? अपर्णा ने अपने पति रोहित को इशारा किया और पास बुलाया। अपर्णा ने कहा, "मुझे नहाना है। साफ़ होना है। उस गंदे बदबूदार कालिये ने पुरे रास्ते में मेरी जान ही निकाल ली है। मुझे इतना गंदा सा फील हो रहा है। पर क्या करूँ? ना तो कोई तौलिया है और ना ही कोई बदलने के लिए कपड़ा।" रोहित ने कहा, "देखो, हम कोई पांच सितारा होटल में नहीं ठहरे हैं। यह जेल है। भगवान् इनका भला करे की इन्होने हमें इतनी भी सहूलियत दी है। वह सोच रहे होंगे की शायद हमें सहूलियत देने से हम उनको सारी खुफिया खबर यूँ ही दे देंगे। खैर जहां तक बात है तौलिये की और कपडे बदलने की, तो तुम नहा कर इन्हीं कपड़ों से पोंछ लेना और इन्हें सुखाने के लिए रख देना। इतनी गर्मी में यह जल्द ही सुख जाएंगे।" अपर्णा ने अपने पति की और अचम्भे से देखा और बोली, "तुम पागल हो? अरे मैंने अगर कपडे भिगोये और सुखाने के लिए रक्खे तो फिर मैं क्या पहन के सोऊंगी?" रोहित ने कहा, "रोज कौन से कपडे पहन कर सोती हो?"
अपर्णा ने अपने पति की और देखा और बोली, "तुम्हारा जवाब नहीं। अरे एक ही तो पलंग है। और सोने वाले हैं हम तीन। कोई पर्दा भी नहीं है। तो क्या मैं जीतूजी के साथ नंगी सो जाऊं?" रोहित ने कड़ी नज़रों से अपर्णा की और देखा और बोले, "वह सब तुम जानो। अगर नंगी सो भी जाओगी तो यकीन मानो तुम पर चढ़ जाकर तुम्हें चोदेंगे नहीं। हम एक आपात स्थिति में हैं। यहां हम सब यह सोचकर नहीं आये।" अपर्णा ने एक गहरी साँस ली। पति के साथ बात करना बेकार था। अपर्णा ने कहा, "चलो ठीक है, सबसे पहले आप लोग नहालो या फ्रेश हो जाओ। फिर मैं सीचूंगी मुझे क्या करना है।" सबसे पहले जीतूजी बाथरूम में गए और नहा कर जब बाहर निकले तो उन्होंने एक छोटी सी निक्कर पहन रक्खी थी, अंदर के बाकी कपडे धो कर निचोड़ कर पलंग पर ही उन्होंने इधर उधर लटकाये। उन्होंने अपना यूनिफार्म जराभी गिला नहीं किया।