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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
जो कालिया अपर्णा को गोद में बिठाकर घोड़े पर बाँध कर ले आया था वह वहीँ खड़ा था। उसकी और इशारा करते हुए कर्नल नसीम ने कहा, "अगर आपको कोई भी चीज़ की जरुरत हो तो यह अब्दुल मियाँ आपकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। तो फिर कल सुबह मिलेंगे। तब तक के लिए खुदा हाफ़िज़।" यह कह कर कर्नल नसीम चल दिए। दरवाजे पर पहुँचते ही जैसे कुछ याद आया हो ऐसे वह वापस घूमे और कर्नल साहब की और देख कर बोले, "देखिये, अगर आप के मन में कोई भागने का प्लान हो ता ऐसी गलती भूल कर भी मत करियेगा। हमारे हाउण्ड भूखे हैं। वह आपकी गंध को अच्छी तरह पहचानते हैं। हमने उन्हें खुला छोड़ रखा है। बाकी आप समझदार हैं। खुदा हाफ़िज़।" यह कह कर कर्नल नसीम रवाना हुए। कालिया को दरवाजे पर ही तैनात किया गया था। जैसे ही नसीम साहब गए, कालिया की लोलुप नजर फिर से अपर्णाके बदन पर मंडराने लगीं। अब उसे एक तसल्ली थी की सरदार को मोहतरमा में कोई दिलचस्पी नहीं थी। कालिया को लगा की अगर वह कैसे भी अपर्णा को मना लेता है तो उसकी रात सुहानी बन सकती है। 

रोहित ने दोनों दरवाजे बंद कर दिए। कालिया दरवाजे के बाहर पहरेदारी में था। दरवाजा बंद होते ही अपर्णा, रोहित और जीतूजी इकट्ठे हो गए और एक दूसरे की और देखने लगे। जीतूजी ने होँठों पर उंगली रख कर सब को चुप रहने का इशारा किया और वह पुरे कमरे की छानबीन करने में लग गए। उन्होंने पलंग, कुर्सी, मेज, दरवाजे, खिड़कियाँ सब जगह बड़ी अच्छी तरीके छानबीन की। जीतूजी को कोई भी कैमरा, या ऐसा कोई खुफिया यंत्र नहीं मिला। चैन की सांस लेते हुए उन्होंने रोहित और अपर्णा को कहा, "हमारे दुश्मन की सेना के अफसर हमसे हमारी सेना की गति विधियों के बारेमें खुफिया जानकारी हमसे लेना चाहते हैं। दुश्मन का कुछ प्लान है। शायद वह हम पर कोई एक जगह हमला कर घुसपैठ करना चाहते हैं। पर उन्हें पता नहीं की हम कहाँ कितने सतर्क हैं। वह हमारी खातरदारी तब तक करते रहेंगे जबतक हम उनको खबर देते रहेंगे। जैसे ही उनको लगा की हम उनसे को-आपरेट नहीं करेंगे तो वह हमें या तो मार डालेंगे या फिर अपनी जेल में बंद कर देंगे। यह तय है की हम हमारे मुल्क से धोखा नहीं करेंगे। कल जब उनके जनरल के सामने हमारी पेशी होगी तो वह जान जाएंगे की हम उन्हें कुछ भी नहीं बताने वाले। वह हमें खूब त्रास देंगे, मारेंगे, पीटेंगे, जलती हुई आग के अंगारों पर चलाएंगे और पता नहीं क्या क्या जुल्म करेंगे। हमारी भलाई इसी में है की हम इस रात को ही कुछ भी कर यहां से भाग निकलें।

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गर्मी और पसीने के मारे जीतूजी, रोहित और अपर्णा, तीनों की हालत खराब थी। ऊबड़खाबड़ रास्ते पर इतना लंबा सफर वह भी घोड़े पर हाथ पाँव बंधे हुए करना थकावट देनेवाला था। अपर्णा लगभग बेहोशी की हालत में थी। एक तो इतना लंबा सफर उपरसे कालिया की पुरे सफर के दौरान अपर्णा के बूब्स को दबाना और जाँघों पर हाथ फिराते फिराते अपर्णा की चूत तक हाथ ले जाना और मौक़ा मिलने पर पैंटी उठाकर चूत के अंदर उंगली घुसाने की कोशिश करते रहना बगैरह हरकतों से अपर्णा एकदम थक चुकी थी। जीतूजी के बारेमें सोचते हुए कई बार अपर्णा उत्तेजित भी हो जाती थी और एकाध बार तो झड़ भी चुकी थी। उपर से कालिया के अजगर जैसे लम्बे और मोटे लण्ड से निकली हुई उसकी चिकनाहट ने अपर्णा के पूरा हाथ को चिकनाहट से भर दिया था।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 04:17 PM



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