26-12-2019, 04:11 PM
उस समय सब एक पहाड़ी के निचे से गुजर रहे थे। अचानक जोरों से वही डरावनी हाउण्ड की चिंघाड़ सुनाई दी। उस वक्त एकदम करीब ऊपर की और से आवाज आ रही थी। सब ने जब डर कर ऊपर देखा तो सब चौंक गए। उपर से दो भारी भरखम जंगली हाउण्ड, जिन्होंने सब लोगों का जीना हराम कर रखा था, वह जोरों से दहाड़ते हुए कर्नल साहब के ऊपर कूद पड़े। लगभग पंद्रह फुट की ऊंचाई से सीधे कर्नल साहब के ऊपर कूदने के कारण कर्नल साहब लड़खड़ा कर गिर पड़े। इस अफरातफरी में एक हाउण्ड ने बड़ी ताकत के साथ कर्नल साहब के हाथ से उनका रिवाल्वर छीन लिया। दुसरा हाउण्ड कैप्टेन गौरव पर कूद पड़ा और उसने उसी तरीके से गौरव के हाथ से रिवाल्वर छीन लिया। उतनी ही देरमें उनके बिलकुल पीछे लगभग दस से बारह घुड़सवारों ने बन्दुक तानकर सब को घेर लिया। सबा को "हैंड्स अप" करवा कर काफिले के मुखिया ने पूछा, "आप में से जनाब रोहित वर्मा कौन है?" फिर रोहित की और देख कर उसने अपनी जेब में से एक तस्वीर निकाली। तस्वीर जम्मू स्टेशन पर ली गयी थी जब सब ट्रैन से सुबह उतरे थे। उसमें सब के नाम एक कलम से लिखे हुए थे। रोहित का नाम पढ़कर सरदार ने रोहित को ढूंढ लिया और बोले, "आप जाने माने रिपोर्टर रोहित वर्मा है ना? हमें आप की और कर्नल साहब की आवश्यकता है।"
बाकी सब की और देखा और बोले, "अगर आप सब चुपचाप यहां से बगैर कोई हरकत किये चल पड़ोगे तो आप को कोई नुक्सान नहीं होगा।।" श्रेया, कैप्टेन गौरव और अंकिता चुपचाप बिना कुछ बोले वहीँ स्तंभित से खड़े रहे। कर्नल साहब और रोहित की और देखकर मुखिया ने एक साथीदार को कहा, "इन्हें बाँध दो" जैसे ही जीतूजी को बाँधने के लिए साथीदार आगे बढ़ा की अपर्णा भी आगे बढ़ी और उस आदमी को कंधे से पकड़ कर कस के एक तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और एक धक्का मार कर उसे गिरा दिया। फिर उनके मुखिया की और भाग कर उसे भी पकड़ा और उसे उसकी बन्दुक छीनने की कोशिश की। अपर्णा साथ ही साथ में चिल्ला कर कहने लगी, "अरे कुत्तों, शर्म करो। धोखा देकर हमला करते हो? यह कर्नल साहब और रोहित क्या तुम्हारे बाप का माल है की उन्हें पकड़ कर तुम ले जाओगे? जब तक हिन्दुस्तान का एक भी मर्द अथवा औरत ज़िंदा है तब तक तुम्हारी यह चाल कामयाब नहीं होगी। यह वीरों का देश है बुझदिल और कायरों का नहीं।" मुखिया अपर्णा की इस हरकत से कुछ पलों तक तो स्तब्ध होकर मौन हो गया और अपर्णा के भयानक रूप को देखता ही रहा। उसने सोचा भी नहीं था की एक औरत में इतना दम हो की इतने सारे बन्दुक धारियों के सामने ऐसी हरकत कर सके। फिर सम्हल कर वह आगे बढ़ा और बड़ा ही जबरदस्त थप्पड़ उसने अपर्णा के गाल पर दे मारा।
सरदार का हाथ भारी था और थप्पड़ इतना तेज था की अपर्णा गिर पड़ी और बेहोश हो गयी। उसके गाल लाल हो गये। अपर्णा के मुंह में से खून निकलने लगा। निचे गिर पड़ने से अपर्णा की स्कर्ट ऊपर उठने से अपर्णा की जाँघें नंगीं हो गयीं। अपर्णा ऐसे गिरी थी की उसका टॉप भी ऊपर से कुछ खुल गया और अपर्णा के करारे बूब्स का उभार साफ़ दिखाई देने लगा। मुखिया अपर्णा की खूबसूरती और बदन देख कर कुछ पल चुपचाप अपर्णा के बदन को देखता ही रहा। अपर्णा की दबंगाई देख कर बाकी सब सिपाही फुर्ती सेअपनी बंदूकें सबकी और तान कर खड़े हो गए। उनका सरदार हंस पड़ा और ठहाका मार कर हँसते हुए बोला, "बड़ी करारी औरत हे रे यह तो। बड़ा दम हैरे इसके अंदर। क्या कस के थप्पड़ मारा है इस बेचारे को। साला गिर ही पड़ा। बड़ी छम्मक छल्लो भी है यह औरत तो।" फिर मुखिया अपने साथीयों की और देख कर बोला, "बाँध दो इस औरत को भी। ले चलते हैं इसे भी। बड़ी खूबसूरत जवान है ये। साली पलंग में भी इतनी ही गरम होगी यह तो। चलो यह औरत जनाब का बिस्तर गरम करेगी आज रात को। ऐसा माल देख कर बहुत खुश होंगें जनाब। मुझे अच्छा खासा मोटा सा इनाम देंगे। जनाब का बिस्तर गरम करने के बाद में हम सब मिलकर साली का मजा लेंगे।"
बाकी सब की और देखा और बोले, "अगर आप सब चुपचाप यहां से बगैर कोई हरकत किये चल पड़ोगे तो आप को कोई नुक्सान नहीं होगा।।" श्रेया, कैप्टेन गौरव और अंकिता चुपचाप बिना कुछ बोले वहीँ स्तंभित से खड़े रहे। कर्नल साहब और रोहित की और देखकर मुखिया ने एक साथीदार को कहा, "इन्हें बाँध दो" जैसे ही जीतूजी को बाँधने के लिए साथीदार आगे बढ़ा की अपर्णा भी आगे बढ़ी और उस आदमी को कंधे से पकड़ कर कस के एक तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और एक धक्का मार कर उसे गिरा दिया। फिर उनके मुखिया की और भाग कर उसे भी पकड़ा और उसे उसकी बन्दुक छीनने की कोशिश की। अपर्णा साथ ही साथ में चिल्ला कर कहने लगी, "अरे कुत्तों, शर्म करो। धोखा देकर हमला करते हो? यह कर्नल साहब और रोहित क्या तुम्हारे बाप का माल है की उन्हें पकड़ कर तुम ले जाओगे? जब तक हिन्दुस्तान का एक भी मर्द अथवा औरत ज़िंदा है तब तक तुम्हारी यह चाल कामयाब नहीं होगी। यह वीरों का देश है बुझदिल और कायरों का नहीं।" मुखिया अपर्णा की इस हरकत से कुछ पलों तक तो स्तब्ध होकर मौन हो गया और अपर्णा के भयानक रूप को देखता ही रहा। उसने सोचा भी नहीं था की एक औरत में इतना दम हो की इतने सारे बन्दुक धारियों के सामने ऐसी हरकत कर सके। फिर सम्हल कर वह आगे बढ़ा और बड़ा ही जबरदस्त थप्पड़ उसने अपर्णा के गाल पर दे मारा।
सरदार का हाथ भारी था और थप्पड़ इतना तेज था की अपर्णा गिर पड़ी और बेहोश हो गयी। उसके गाल लाल हो गये। अपर्णा के मुंह में से खून निकलने लगा। निचे गिर पड़ने से अपर्णा की स्कर्ट ऊपर उठने से अपर्णा की जाँघें नंगीं हो गयीं। अपर्णा ऐसे गिरी थी की उसका टॉप भी ऊपर से कुछ खुल गया और अपर्णा के करारे बूब्स का उभार साफ़ दिखाई देने लगा। मुखिया अपर्णा की खूबसूरती और बदन देख कर कुछ पल चुपचाप अपर्णा के बदन को देखता ही रहा। अपर्णा की दबंगाई देख कर बाकी सब सिपाही फुर्ती सेअपनी बंदूकें सबकी और तान कर खड़े हो गए। उनका सरदार हंस पड़ा और ठहाका मार कर हँसते हुए बोला, "बड़ी करारी औरत हे रे यह तो। बड़ा दम हैरे इसके अंदर। क्या कस के थप्पड़ मारा है इस बेचारे को। साला गिर ही पड़ा। बड़ी छम्मक छल्लो भी है यह औरत तो।" फिर मुखिया अपने साथीयों की और देख कर बोला, "बाँध दो इस औरत को भी। ले चलते हैं इसे भी। बड़ी खूबसूरत जवान है ये। साली पलंग में भी इतनी ही गरम होगी यह तो। चलो यह औरत जनाब का बिस्तर गरम करेगी आज रात को। ऐसा माल देख कर बहुत खुश होंगें जनाब। मुझे अच्छा खासा मोटा सा इनाम देंगे। जनाब का बिस्तर गरम करने के बाद में हम सब मिलकर साली का मजा लेंगे।"