Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
गौरव ने अंकिता को उठा कर पत्थर के पास हरी नरम घास की कालीन पर लिटा दिया। फिर बड़े प्यार से अंकिता के स्कर्ट को ऊपर उठाया और उसकी पैंटी निकाल फेंकी। उसे स्कर्ट में से अंकिता की करारी जाँघे और उनके बिच स्थित उसकी सुन्दर रसीली चूत के दर्शन हुए। उसने जल्द ही अंकिता की स्कर्ट में मुंह डाल कर उसकी चूत को चूमा। अंकिता को गौरव का लंड डलवाने की जल्दी थी। उसने कहा, "अरे जल्दी करो। यह सब बाद में करते रहना। अभी तो तुम ऊपर चढ़ आओ और अपना काम करो। कहीं कोई ना जाए और हमें देख ना ले।" उसे क्या पता था उन दोनों की चुदाई की पूरी फिल्म जीतूजी और अपर्णा अच्छी तरह से देख रहे थे।

गौरव ने अपना लण्ड पतलून से जब निकाला तब उसे जीतूजी ने देखा तो उनके मुंहसे भाई हलकी सी "आह... " निकल गयी। शायद उन्होंने भी उसके पहले इतना बड़ा लण्ड अपने सिवाय कभी किसीका देखा नहीं था। अपर्णा ने पीछे मूड कर देखा। जीतूजी की प्रतिक्रया देख कर वह मुस्कुराई और जीतूजी की टांगों के बिच खड़े हुए टेंट पर अपर्णा ने अपना हाथ रखा। जीतूजी ने फ़ौरन अपर्णाका हाथ वहाँसे हटा दिया। अपर्णा ने जीतूजीकी और देखातो जीतूजी कुछ हिचकि-चाते हुए बोले, "अभी मैं ड्यूटी पर हूँ। वैसे भी अब मैं तुम्हारे साथ कोई भी हरकत नहीं करूंगा क्यूंकि फिर मेरी ही बदनामी होती है और हाथ में कुछ आता जाता नहीं है। मुझे छोडो और इन प्रेमी पंछियों को देखो।"

अपर्णा ने अपनी गर्दन घुमाई और देखा की अंकिता ने गौरव को अपनी बाँहों में दबोच रखा था और गौरव अंकिता के स्कर्ट को ऊंचा कर अपनी पतलून को नीचा कर अपना लण्ड अपने हाथों में सहला रहा था। अंकिता ने फ़ौरन गौरव को अपना लण्ड उसकी चूत में डालने को बाध्य किया। गौरव ने देखा की अंकिता की चूत में से उसका रस रिस रहा था। गौरव ने हलके से अपना लण्ड अंकिता की चूत के छिद्र पर केंद्रित किया और हिलाकर उसके लण्ड को घुसने की जगह बनाने की कोशिश की। अंकिता की चूत एकदम टाइट थी। कई महीनों या सालों नहीं चुदने के कारण वह संकुडा गयी थी। वैसे भी अंकिता की चूत का छिद्र छोटा ही था। गौरव ने धीरे धीरे जगह बनाकर और अपने हाथों से अपना लण्ड इधर उधर हिलाकर अंकिता की टाइट चूत को फैलाने की कोशिश की। अंकिता ने दर्द और डर के मारे अपनी आँखें मूंद लीं थीं। धीरे धीरे गौरव का मोटा और कडा लण्ड अंकिता की लगभग कँवारी चूत में घुसने लगा। अंकिता मारे दर्द के छटपटा रही थी पर अपने आप को इस मीठे दर्द को सहने की भी कोशिश कर रही थी। उसे पता था की धीरे धीरे यह दर्द गायब हो जाएगा। गौरव ने धीरे धीरे अपनी गाँड़ के जोर से अंकिता की चूत में धक्के मारने शुरू किये।

इस तरफ अपर्णा का हाल भी देखने वाला था। अंकिता की चुदाई देख कर अपर्णा की चूत में भी अजीब सी जलन और हलचल हो रही थी। उन्हें चोदने के लिए सदैव इच्छुक उसके प्यारे जीतूजी वहीं खड़े थे। हकीकत में अपर्णा अपनी पीठ में महसूस कर रही की जीतूजी का लण्ड उनकी पतलूनमें फनफना रहाथा। पर दोनोंकी मजबूरियां थीं। अपर्णा ने फिर भी अपना हाथ पीछे किया और जीतूजी के बार बार अपर्णा के हाथ को हटाने की नाकाम कोशिशों के बावजूद जीतूजी की जाँघों के बिच में डाल ही दिया। जीतूजी के पतलून की ज़िप खोलकर अपर्णा ने बड़ी मुश्किल से निक्कर को हटा कर जीतूजी का चिकना और मोटा लण्ड अपनी उँगलियों में पकड़ा।

गौरव अब अंकिता की अच्छी तरह चुदाई कर रहे थे। दोनों टाँगों को पूरी तरह फैला कर अंकिता गौरव के मोटे तगड़े लण्ड से चुदवाने का मजा ले रही थी। गौरव का लण्ड जैसे ही अंकिता की चूत पर फटकार मारता तो अंकिता के मुंह से आह... निकल जाती।

जीतूजी और अपर्णा को वहाँ बैठे हुए अंकिता और गौरव की चुदाई का पूरा दृश्य साफ़ साफ़ दिख रहा था। वह गौरव का मोटा लण्ड अंकिता की चूत में घुसते हुए साफ़ देख पा रहे थे। अपर्णा ने जीतूजी की और देखा और पूछा, "कर्नल साहब, आपके जहन में यह देख कर क्या हो रहा है?" जीतूजी का बुरा हाल था।
[+] 2 users Like usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 04:04 PM



Users browsing this thread: 18 Guest(s)