26-12-2019, 04:00 PM
पत्नी की अदला-बदली - 07
अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थाम कर दबाया और बोली, "यह यूनिफार्म पहन कर आप को क्या हो जाता है? अचानक आप इतने बदल कैसे जाते हो? और आपने अपने पीछे यह बैकपैक में क्या रखा हुआ है?"
जीतूजी ने अपर्णा की और आश्चर्य से देखा और बोले, "कैसे? मैं कहाँ बदला हूँ? पीछे मेरे बैकपैक में कुछ जरुरी सामान रखा हुआ है।"
अपर्णा ने हँस कर कहा, "एक जवान मर्द और एक जवान खूबसूरत औरत मुख्य मार्ग छोड़कर जहां कोई नहीं हो ऐसी जगह भला क्यों जाएंगे? उस बात को समझ कर एन्जॉय करने के बजाय आप खतरे की बात कर रहे हो? अगर ख़तरा वहाँ हो सकता है, तो खतरा यहां भी तो हो सकता है?"
जीतूजी ने कहा, "अपर्णा, तुम नहीं जानती। पिछले दो तीन दिनों में इस एरिया में कुछ आशंका जनक घटनाएं हो रहीं हैं। खैर, यह सब बात को छोडो। चलो हम उन्हें जा कर सावधान करते हैं और मुख्य रास्ते पर आ जाने के लिए कहते हैं।"
अपर्णा ने अपनी आँखें नचाकर पूछा, "खबरदार! आप ऐसा कुछ नहीं करोगे। आप वहाँ जाकर किसी के रंग में भंग करोगे क्या?"
जीतूजी ने कहा, "अगर कुछ ऐसा वैसा चल रहा होगा तो फिर हम वहाँ उनको डिस्टर्ब नहीं करेंगे। पर उनको अकेला भी तो नहीं छोड़ सकते।"
अपर्णा ने कहा, "वह सब आप मुझ पर छोड़ दीजिये। आप चुपचाप मेरे साथ चलिए। हम लोग छुपते छुपाते चलते हैं ताकि वह दोनों हमें देख ना लें और डिस्टर्ब ना हों। देखते हैं वहाँ वह दोनों क्या पापड बेल रहे हैं। और खबरदार! आप बिलकुल चुप रहना।"
अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थामा और दोनों चुपचाप अंकिता और गौरव जिस दिशा में गए थे उस तरफ उनके पीछे छिपते छिपाते चल पड़े। पीछे आ रहे श्रेया और रोहित ने दूर से देखा तो उन्हें नजर आया की अपर्णा जीतूजी का हाथ थामे मुख्य मार्ग से हट कर निचे नदी की कंदराओं की और बढ़ रही थी। आश्चर्य की बात यह थी की वह कभी पौधोंके पीछे तो कभी लम्बी लम्बी घाँस के पीछे छिपते हुए चल रहे थे।
मौक़ा मिलते ही श्रेया ने कहा, "रोहित, देखा आपने? आपकी पतिव्रता पत्नी, मेरे पति का हाथ थामे कैसे हमसे छिप कर उन्हें अपने साथ खींचती हुई उधर जा रही है? लगता है उसका सारा मान, वचन और राजपूतानी वाला नाटक आज बेपर्दा हो जाएगा। मुझे पक्का यकीन है की आज उसकी नियत मेरे पति के लिए ठीक नहीं है l और मेरे पति भी तो देखो! कैसे बेशर्मी से उसके पीछे पीछे छुपते छुपाते हुए चल रहे हैं। अरे भाई तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है तो साफ़ साफ़ कहो। हम ने कहाँ रोका है? पर यह नाटक करने की क्या जरुरत है? चलो हम भी उनके पीछे चलते हैं और देखते हैं की आज तुम्हारी बीबी और मेरे पति क्या गुल खिलाते हैं? हम भी वहाँ जा कर उनका पर्दाफाश करते हैं।"
रोहित ने कहा, "उन्हें छोडो। शायद अपर्णा को पेशाब जाना होगा। इसी लिए वह उस साइड हो गए हैं। उनकी चिंता छोडो। आप और हम आगे बढ़ते हैं।" यह कह कर रोहित ने श्रेया का हाथ थामा और उनके साथ मुख्य रास्ते पर आगे जाने के लिए अग्रसर हो गए।
अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थाम कर दबाया और बोली, "यह यूनिफार्म पहन कर आप को क्या हो जाता है? अचानक आप इतने बदल कैसे जाते हो? और आपने अपने पीछे यह बैकपैक में क्या रखा हुआ है?"
जीतूजी ने अपर्णा की और आश्चर्य से देखा और बोले, "कैसे? मैं कहाँ बदला हूँ? पीछे मेरे बैकपैक में कुछ जरुरी सामान रखा हुआ है।"
अपर्णा ने हँस कर कहा, "एक जवान मर्द और एक जवान खूबसूरत औरत मुख्य मार्ग छोड़कर जहां कोई नहीं हो ऐसी जगह भला क्यों जाएंगे? उस बात को समझ कर एन्जॉय करने के बजाय आप खतरे की बात कर रहे हो? अगर ख़तरा वहाँ हो सकता है, तो खतरा यहां भी तो हो सकता है?"
जीतूजी ने कहा, "अपर्णा, तुम नहीं जानती। पिछले दो तीन दिनों में इस एरिया में कुछ आशंका जनक घटनाएं हो रहीं हैं। खैर, यह सब बात को छोडो। चलो हम उन्हें जा कर सावधान करते हैं और मुख्य रास्ते पर आ जाने के लिए कहते हैं।"
अपर्णा ने अपनी आँखें नचाकर पूछा, "खबरदार! आप ऐसा कुछ नहीं करोगे। आप वहाँ जाकर किसी के रंग में भंग करोगे क्या?"
जीतूजी ने कहा, "अगर कुछ ऐसा वैसा चल रहा होगा तो फिर हम वहाँ उनको डिस्टर्ब नहीं करेंगे। पर उनको अकेला भी तो नहीं छोड़ सकते।"
अपर्णा ने कहा, "वह सब आप मुझ पर छोड़ दीजिये। आप चुपचाप मेरे साथ चलिए। हम लोग छुपते छुपाते चलते हैं ताकि वह दोनों हमें देख ना लें और डिस्टर्ब ना हों। देखते हैं वहाँ वह दोनों क्या पापड बेल रहे हैं। और खबरदार! आप बिलकुल चुप रहना।"
अपर्णा ने जीतूजी का हाथ थामा और दोनों चुपचाप अंकिता और गौरव जिस दिशा में गए थे उस तरफ उनके पीछे छिपते छिपाते चल पड़े। पीछे आ रहे श्रेया और रोहित ने दूर से देखा तो उन्हें नजर आया की अपर्णा जीतूजी का हाथ थामे मुख्य मार्ग से हट कर निचे नदी की कंदराओं की और बढ़ रही थी। आश्चर्य की बात यह थी की वह कभी पौधोंके पीछे तो कभी लम्बी लम्बी घाँस के पीछे छिपते हुए चल रहे थे।
मौक़ा मिलते ही श्रेया ने कहा, "रोहित, देखा आपने? आपकी पतिव्रता पत्नी, मेरे पति का हाथ थामे कैसे हमसे छिप कर उन्हें अपने साथ खींचती हुई उधर जा रही है? लगता है उसका सारा मान, वचन और राजपूतानी वाला नाटक आज बेपर्दा हो जाएगा। मुझे पक्का यकीन है की आज उसकी नियत मेरे पति के लिए ठीक नहीं है l और मेरे पति भी तो देखो! कैसे बेशर्मी से उसके पीछे पीछे छुपते छुपाते हुए चल रहे हैं। अरे भाई तुम्हारी चूत में खुजली हो रही है तो साफ़ साफ़ कहो। हम ने कहाँ रोका है? पर यह नाटक करने की क्या जरुरत है? चलो हम भी उनके पीछे चलते हैं और देखते हैं की आज तुम्हारी बीबी और मेरे पति क्या गुल खिलाते हैं? हम भी वहाँ जा कर उनका पर्दाफाश करते हैं।"
रोहित ने कहा, "उन्हें छोडो। शायद अपर्णा को पेशाब जाना होगा। इसी लिए वह उस साइड हो गए हैं। उनकी चिंता छोडो। आप और हम आगे बढ़ते हैं।" यह कह कर रोहित ने श्रेया का हाथ थामा और उनके साथ मुख्य रास्ते पर आगे जाने के लिए अग्रसर हो गए।