26-12-2019, 03:56 PM
गौरव ने अंकिता के हाथों में अपना हाथ देते हुए कहा, "अंकिता ज़रा बताओ तो, आसमान अपनी प्रीतमा धरती को कैसे चूम रहा है?"
अंकिता ने कुछ शर्माते हुए कहा, "मुझे क्या पता? तुम्हीं बताओ."
गौरव ने अंकिता के गालों पर हल्का सा चुम्बन लेते हुए कहा, "ऐसे?"
अंकिता ने कहा, "भला कोई अपनी प्रियतमा को ऐसे थोड़े ही चुम्बन करता है?"
गौरव ने पूछा, "तो बताओ ना? फिर कैसे करता है?"
अंकिता ने कहा, "मैं क्यों बताऊँ? क्या तुम नहीं बता सकते?"
गौरव ने हँस कर एक ही झटके में अंकिता को अपनी बाँहों में भरकर उसके लाल लाल चमकते होँठों पर अपने होँठ रख दिए और एक हाथ नीचा कर अंकिता की छाती पर हलके से रखते हुए शर्म के मारे लाल हो रही अंकिता को जोर से चूमने और उसकी चूँचियों को टॉप के ऊपर से ही मसलने में लग गए। अफ़रातफरी में अंकिता ने गौरव के हाथ अपनी छाती पर से हटा दिए और बोली, "शर्म करो! हमारे पीछे कर्नल साहब आ रहे हैं। अगर हम यही रास्ते पर चलते रहे तो वह जल्द ही यहां पहुँच जाएंगे।"
गौरव ने निराशा भरे अंदाज में कहा, "तो फिर क्या करें? कहाँ जाएं?"
अंकिता ने बहते हुए झरने की और इशारा करते हुए कहा, "हम इस पहाड़ी वाले रास्ते से थोड़ा निचे उतर जाते हैं। वहाँ थोड़ी सी खाई जैसा दिख रहा है ना? वहाँ चलते हैं। वहाँ से नजारा भी अच्छा देखने को मिलगा और हमें कोई देखेगा भी नहीं और कोई दखल भी नहीं देगा।"
गौरव ने हिचकिचाते हुए कहा, "पर सेना के नियम के अनुसार हम इस रास्ते से अलग नहीं चल सकते।"
अंकिता ने मुस्कराते हुए कहा, "अच्छा जनाब? क्या आप सब काम नियम के अनुसार ही करेंगे? क्या हम जो कर रहे हैं, नियम के अनुसार है?"
गौरव ने असहायता दिखाते हुए अपने हाथ खड़े कर कहा,"हे भगवान्! इन औरतों से बचाये! ठीक है भाई। चलो, वहीँ चलते हैं।"
अंकिता ने शरारत भरी नज़रों से गौरव की और देखते हुए कहा, "अच्छा? लगता है जनाब का काफी औरतों से पाला पड़ा है?"
गौरव ने उसी अंदाजमें कहा, "भाई एक ही औरत काफी है। ज्यादा को तो मैं सम्हाल ही नहीं पाउँगा।" ऐसा कह कर अंकिता का हाथ कस के पकड़ कर गौरव भाग कर मुख्य रास्ते से निचे उतर गए और निचे की और एक गुफा जैसा बना हुआ था वहाँ एक बड़े पत्थर के पीछे जा पहुंचे।
अंकिता ने कुछ शर्माते हुए कहा, "मुझे क्या पता? तुम्हीं बताओ."
गौरव ने अंकिता के गालों पर हल्का सा चुम्बन लेते हुए कहा, "ऐसे?"
अंकिता ने कहा, "भला कोई अपनी प्रियतमा को ऐसे थोड़े ही चुम्बन करता है?"
गौरव ने पूछा, "तो बताओ ना? फिर कैसे करता है?"
अंकिता ने कहा, "मैं क्यों बताऊँ? क्या तुम नहीं बता सकते?"
गौरव ने हँस कर एक ही झटके में अंकिता को अपनी बाँहों में भरकर उसके लाल लाल चमकते होँठों पर अपने होँठ रख दिए और एक हाथ नीचा कर अंकिता की छाती पर हलके से रखते हुए शर्म के मारे लाल हो रही अंकिता को जोर से चूमने और उसकी चूँचियों को टॉप के ऊपर से ही मसलने में लग गए। अफ़रातफरी में अंकिता ने गौरव के हाथ अपनी छाती पर से हटा दिए और बोली, "शर्म करो! हमारे पीछे कर्नल साहब आ रहे हैं। अगर हम यही रास्ते पर चलते रहे तो वह जल्द ही यहां पहुँच जाएंगे।"
गौरव ने निराशा भरे अंदाज में कहा, "तो फिर क्या करें? कहाँ जाएं?"
अंकिता ने बहते हुए झरने की और इशारा करते हुए कहा, "हम इस पहाड़ी वाले रास्ते से थोड़ा निचे उतर जाते हैं। वहाँ थोड़ी सी खाई जैसा दिख रहा है ना? वहाँ चलते हैं। वहाँ से नजारा भी अच्छा देखने को मिलगा और हमें कोई देखेगा भी नहीं और कोई दखल भी नहीं देगा।"
गौरव ने हिचकिचाते हुए कहा, "पर सेना के नियम के अनुसार हम इस रास्ते से अलग नहीं चल सकते।"
अंकिता ने मुस्कराते हुए कहा, "अच्छा जनाब? क्या आप सब काम नियम के अनुसार ही करेंगे? क्या हम जो कर रहे हैं, नियम के अनुसार है?"
गौरव ने असहायता दिखाते हुए अपने हाथ खड़े कर कहा,"हे भगवान्! इन औरतों से बचाये! ठीक है भाई। चलो, वहीँ चलते हैं।"
अंकिता ने शरारत भरी नज़रों से गौरव की और देखते हुए कहा, "अच्छा? लगता है जनाब का काफी औरतों से पाला पड़ा है?"
गौरव ने उसी अंदाजमें कहा, "भाई एक ही औरत काफी है। ज्यादा को तो मैं सम्हाल ही नहीं पाउँगा।" ऐसा कह कर अंकिता का हाथ कस के पकड़ कर गौरव भाग कर मुख्य रास्ते से निचे उतर गए और निचे की और एक गुफा जैसा बना हुआ था वहाँ एक बड़े पत्थर के पीछे जा पहुंचे।