26-12-2019, 03:54 PM
सब के बैठने के बाद कर्नल जीतूजी भी वहाँ उपस्थित हुए। उन्होंने सब को आंतांकियों की गतिविधियों के बारेमें कहा और सबको सतर्क रहने की चेतावनी भी दी। यदि कोई सूरत में किसी का आतंकवादियों से या उनकी हरकतों से सामना होता है तो कैसे आतंकवादियों से मुकाबला किया जा सकता है उसके बारे में भी उन्होंने कुछ जरुरी हिदायतें दीं। सबको कैंटीन में नाश्ते के लिए कहा गया। नाश्ते की समय सीमा 30 मिनट दी गयी। सबने फ़टाफ़ट नाश्ता किया। अगला कार्यक्रम था पहाड़ो में ट्रैकिंग करना।
याने पहाडोंमें उबड़ खाबड़ लंबा रास्ता लकड़ी के सहारे चल कर तय करना। करीब दस किलोमीटर दूर एक आर्मीका छोटासा कैंप बना हुआ था जहां दुपहर के खाने की व्यवस्था थी। सबको वहाँ पहुँचना था। अपर्णा ने सिल्हटों वाली फ्रॉक पहनी थी। उस में अपर्णा की करारी जाँघें कमाल की दिख रहीं थीं। फ्रॉक घुटनोँ से थोड़ी सी ऊपर तक थीं। देखने में वह बिलकुल अश्लील नहीं लग रही थी। ऊपर अपर्णा ने सफ़ेद रंग का ब्लाउज पहना था और अंदर सफ़ेद रंग की ब्रा थी। उसका परिवेश निहायत ही साधारण सा था पर उसमें भी अपर्णाका यौवन और रूप निखार रहाथा। अपर्णा की गाँड़ का घुमाव और स्तनोँ का उभार लण्ड खड़ा कर देने वाला था। श्रेया ने कुछ लम्बी सी काप्री पहन राखी थी। घुटनों से काफी निचे पर यदि से काफी ऊपर वह काप्री में श्रेया की घुमावदार गोल गाँड़ का घुमाव सुहावना लग रहा था। ऊपर श्रेया ने मर्दों वाला शर्ट कमीज पहन रखा था। उस शर्ट में भी उनके स्तनोँ का उभार जरासा भी छुप नहीं रहा था। दोनों कामिनियाँ श्रेया और अपर्णा गजब की कामिनी लग रहीं थीं। जब वह मैदान में पहुंचीं तो सबकी आँखें उन दोनों की चूँचियाँ और गाँड़ पर टिक गयीं थीं।
कैंटीन में अपर्णा और श्रेयाकी मुलाक़ात अंकिता से हुई। उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब कहीं नजर नहीं आ रहे थे। अंकिता ने घुटनों तक पहुंचता हुआ स्कर्ट पहना था। उसकी करारी जाँघें खूबसूरत और सेक्सी लग रहीं थीं। ऊपर उसने सिलवटों वाला छोटी बाँहों वाला टॉप पहना था। टॉप पीछे से खुला था जो एक पतली सी डोर से बंधा था। पीछे से अंकिता की ब्रा की पट्टी साफ़ दिख रही थी। अंकिता के अल्लड़ स्तन उसके छोटे से टॉप में समा नहीं रहे थे और उसके टॉप में से उभर कर बाहर आने की भरसक कोशिश में लगे हुए दिख रहे थे। लम्बी और गोरी अंकिता अपने गदराते हुए बदन के कारण हर जवान मर्द के लण्ड को जैसे चुनौती दे रही थी। अंकिता ने कपाल पर टिका लगा रखा था जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था। "हेलो, हाई" होने के बाद अपर्णा ने चुपके से जब अंकिता के कान में कप्तान गौरव के बारे में कुछ पूछा तो अंकिता थोड़ा शर्मायी और बोली की उसे गौरव के बारेमें कुछ भी पता नहीं था। गौरव से उसकी मुलकात सिर्फ पिछली शामको हुई थी उसके बाद पता नहीं वह कहाँ चले गएथे। अपर्णा ने अंकिता की कान में कुछ और भी बताया जिसके कारण शर्म केमारे अंकिता का मुंह लाल लाल हो गया। श्रेया ने यह देखा पर कुछ ना बोली।
कुछ ही देर में वहाँ गौरव और ब्रिगेडियर साहब हाजिर हुए। शायद हॉल के बाहर ही वह दोनों मिल गए थे और ब्रिगेडियर साहब कप्तान गौरव की कमर में हाथ डाले उन्हें साथ लेकर अपनी बीबी अंकिता के सामने आकर खड़े हुए। अंकिता के पास पहुँचते ही खन्ना साहब ने गौरव से कहा, "गौरव साहब, मैं ज्यादा चल नहीं पाउँगा इस लिए इस ट्रैकिंग में मैं आ नहीं पाउँगा। मैं चाहता हूँ की आप युवा लोग इस ट्रैकिंग में जाएं और खूब मौज करें। मेरी ख्वाहिश है की आप अंकिता के साथ ही रहें और उसका ध्यान रखें। अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा।"
याने पहाडोंमें उबड़ खाबड़ लंबा रास्ता लकड़ी के सहारे चल कर तय करना। करीब दस किलोमीटर दूर एक आर्मीका छोटासा कैंप बना हुआ था जहां दुपहर के खाने की व्यवस्था थी। सबको वहाँ पहुँचना था। अपर्णा ने सिल्हटों वाली फ्रॉक पहनी थी। उस में अपर्णा की करारी जाँघें कमाल की दिख रहीं थीं। फ्रॉक घुटनोँ से थोड़ी सी ऊपर तक थीं। देखने में वह बिलकुल अश्लील नहीं लग रही थी। ऊपर अपर्णा ने सफ़ेद रंग का ब्लाउज पहना था और अंदर सफ़ेद रंग की ब्रा थी। उसका परिवेश निहायत ही साधारण सा था पर उसमें भी अपर्णाका यौवन और रूप निखार रहाथा। अपर्णा की गाँड़ का घुमाव और स्तनोँ का उभार लण्ड खड़ा कर देने वाला था। श्रेया ने कुछ लम्बी सी काप्री पहन राखी थी। घुटनों से काफी निचे पर यदि से काफी ऊपर वह काप्री में श्रेया की घुमावदार गोल गाँड़ का घुमाव सुहावना लग रहा था। ऊपर श्रेया ने मर्दों वाला शर्ट कमीज पहन रखा था। उस शर्ट में भी उनके स्तनोँ का उभार जरासा भी छुप नहीं रहा था। दोनों कामिनियाँ श्रेया और अपर्णा गजब की कामिनी लग रहीं थीं। जब वह मैदान में पहुंचीं तो सबकी आँखें उन दोनों की चूँचियाँ और गाँड़ पर टिक गयीं थीं।
कैंटीन में अपर्णा और श्रेयाकी मुलाक़ात अंकिता से हुई। उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब कहीं नजर नहीं आ रहे थे। अंकिता ने घुटनों तक पहुंचता हुआ स्कर्ट पहना था। उसकी करारी जाँघें खूबसूरत और सेक्सी लग रहीं थीं। ऊपर उसने सिलवटों वाला छोटी बाँहों वाला टॉप पहना था। टॉप पीछे से खुला था जो एक पतली सी डोर से बंधा था। पीछे से अंकिता की ब्रा की पट्टी साफ़ दिख रही थी। अंकिता के अल्लड़ स्तन उसके छोटे से टॉप में समा नहीं रहे थे और उसके टॉप में से उभर कर बाहर आने की भरसक कोशिश में लगे हुए दिख रहे थे। लम्बी और गोरी अंकिता अपने गदराते हुए बदन के कारण हर जवान मर्द के लण्ड को जैसे चुनौती दे रही थी। अंकिता ने कपाल पर टिका लगा रखा था जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था। "हेलो, हाई" होने के बाद अपर्णा ने चुपके से जब अंकिता के कान में कप्तान गौरव के बारे में कुछ पूछा तो अंकिता थोड़ा शर्मायी और बोली की उसे गौरव के बारेमें कुछ भी पता नहीं था। गौरव से उसकी मुलकात सिर्फ पिछली शामको हुई थी उसके बाद पता नहीं वह कहाँ चले गएथे। अपर्णा ने अंकिता की कान में कुछ और भी बताया जिसके कारण शर्म केमारे अंकिता का मुंह लाल लाल हो गया। श्रेया ने यह देखा पर कुछ ना बोली।
कुछ ही देर में वहाँ गौरव और ब्रिगेडियर साहब हाजिर हुए। शायद हॉल के बाहर ही वह दोनों मिल गए थे और ब्रिगेडियर साहब कप्तान गौरव की कमर में हाथ डाले उन्हें साथ लेकर अपनी बीबी अंकिता के सामने आकर खड़े हुए। अंकिता के पास पहुँचते ही खन्ना साहब ने गौरव से कहा, "गौरव साहब, मैं ज्यादा चल नहीं पाउँगा इस लिए इस ट्रैकिंग में मैं आ नहीं पाउँगा। मैं चाहता हूँ की आप युवा लोग इस ट्रैकिंग में जाएं और खूब मौज करें। मेरी ख्वाहिश है की आप अंकिता के साथ ही रहें और उसका ध्यान रखें। अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा।"