26-12-2019, 03:52 PM
रोहित की बात से सेहमी हुई अपर्णा बिना कुछ बोले रोहित के एक के बाद एक धक्के झेलती रही। रोहित ने अपर्णा की टांगें अपने कंधे पर रखी हुई थी। गाँड़ के निचे रखे तकिये के कारण अपर्णा की प्यारी चूत थोड़ी सी ऊपर उठी हुईथी जिससे रोहित का लंड बिलकुल उनकी बीबी अपर्णा की चूत के द्वार के सामने रहे और पूरा का पूरा लण्ड अपर्णाकी चूत में घुसे। रोहित धीमी रफ़्तार से अपर्णा की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे। रफ़्तार जरूर धीमी थी पर धक्का इतना तगड़ा होता था की उनका पूरा पलंग समेत अपर्णा का पूरा बदन धक्के से हिल जाता था। अपर्णा के भरे हुए बूब्स रोहित के लगाए हुए धक्के के कारण हवा में उछल जाते और फिर जब रोहित का लण्ड चूत के सिरे तक चला जाता और एक पल के लिए रुक जाते तो वापस गिर् कर अपना आकार ले लेते। कामोत्तेजना के कारण अपर्णा की निप्पलेँ पूरी तरह से फूली हुई थीं। निप्पलेँ थोड़े ऊपर उठे हुए फुंसियों से भरी हुई हलकी सी चॉकलेटी रंग की गोल आकार वाली एरोलाओं पर ऐसी लग रहीं थीं जैसे एक छोटा सा डंडा मनी प्लाँट को टिकाने के लिए माली लोग रखते हैं।
रोहित ने अपनी बीबी के उछलते हुए स्तनों को देखा तो उस पर टिकी हुई निप्पलोँ को अपनी उँगलियों में पिचकाते हुए उत्तेजित हो गए और अपर्णा के दोनों स्तनोँ को जोर से दबा कर धक्के मार कर चुदाई का पूरा मजा लेने में जुट गए। श्रेया और जीतूजी रोहित और अपर्णा की चुदाई का साक्षात दृश्य पहली बार देख रहे थे। हकीकत में ऐसा कम ही होता है की आपको किसी और कपल की चुदाई का दृश्य देखने को मिले। हालांकि उनको रोहित का लण्ड और अपर्णा की चूत इतनी दूर से ठीक से दिख नहीं रही थी पर जो कुछ भी अच्छी तरह से दिख रहा था वह वाकई में देखने लायक था। रोहित ने भी देखा की खास तौर से श्रेया अपर्णा की चुदाई बड़े ध्यान से देख रही थी। शायद वह यह देखना चाहती हो की रोहित अपनी बीबी की चुदाई भी वैसे ही कर रहे थे जैसे की रोहित ने कुछ ही घन्टों पहले श्रेया की की थी। यह तो स्त्री सुलभ इर्षा का विषय था। कहते हैं ना की "भला तुम्हारी कमीज मेरी कमीजसे ज्यादा सफ़ेद कैसे?" जाहिर है अपर्णा की चूत की पूरी नाली में चुदाई के कारण हो रहे कामुक घर्षण से अपर्णा को अद्भुत सा उन्माद होना चाहिए था। पर रोहित की बात सुनकर उसका मन कहीं और उड़ रहा था। वह जाँबाज़ जीतूजी को मन ही मन याद कर रही थी। हालांकि रोहित का लण्ड जीतूजी के लण्ड से उन्नीस बिस हो सकता है, पर काश उस समय वह लण्ड जीतूजी का होता जिससे रोहित चोद रहे थे ऐसी एक ललक भरी कल्पना अपर्णा की चूत में आग लगा रही थी।
रोहित के बदन की अकड़न से अपने पति का वीर्य छूटने वाला था यह अपर्णा जान गयी। उसे भी तो अपना पानी छोड़ना था। वह अपने पति रोहितके ऊपर चढ़ कर रोहित को चोदना चाहती थी जिससे वह भी फ़ौरन अपने पति के साथ झड़ कर अपना पानी छोड़ सके। पर उसे डर था की उधर जीतूजी उसे चुदाई करते हुए देख लेंगे। एक होताहै औरतको नंगी देखना। दुसरा होताहै किसी नंगी औरत की चुदाई होते हुए देखना। दोनों में अंतर होता है। और यहां तो अपर्णा रोहित को चौदेगी। वह तो एक और भी अनूठी बात हो जाती है। अपर्णा का शर्माना जायजथा। फिर भी अपर्णा ने अपने पति से हिचकिचाते हुए धीरे से कहा, "ऐसा लगता है की तुम्हारा अब छूटने वाला है। थोड़ा रुको। मुझे भी तो मौका दो।" रोहित ने फ़ौरन कहा, "आ जाओ। मेरे पर चढ़ कर मुझे चोदो। दिखादो सबको की सिर्फ मर्द ही औरत को चोदता है ऐसा नहीं है, औरत भी मर्द को चोद सकती है।"
अपर्णा जब हिचकिचाने लगी तब रोहित ने कहा, "यही तो कमी है औरतों में। मर्दों के साफ़ साफ़ आग्रह करने पर भी औरतें अपनी सीमा से बाहर नहीं आतीं। फिर कहतीं हैं मर्द जातने उन को दबा रखा है? यह कहाँ का न्याय है?"
रोहित ने अपनी बीबी के उछलते हुए स्तनों को देखा तो उस पर टिकी हुई निप्पलोँ को अपनी उँगलियों में पिचकाते हुए उत्तेजित हो गए और अपर्णा के दोनों स्तनोँ को जोर से दबा कर धक्के मार कर चुदाई का पूरा मजा लेने में जुट गए। श्रेया और जीतूजी रोहित और अपर्णा की चुदाई का साक्षात दृश्य पहली बार देख रहे थे। हकीकत में ऐसा कम ही होता है की आपको किसी और कपल की चुदाई का दृश्य देखने को मिले। हालांकि उनको रोहित का लण्ड और अपर्णा की चूत इतनी दूर से ठीक से दिख नहीं रही थी पर जो कुछ भी अच्छी तरह से दिख रहा था वह वाकई में देखने लायक था। रोहित ने भी देखा की खास तौर से श्रेया अपर्णा की चुदाई बड़े ध्यान से देख रही थी। शायद वह यह देखना चाहती हो की रोहित अपनी बीबी की चुदाई भी वैसे ही कर रहे थे जैसे की रोहित ने कुछ ही घन्टों पहले श्रेया की की थी। यह तो स्त्री सुलभ इर्षा का विषय था। कहते हैं ना की "भला तुम्हारी कमीज मेरी कमीजसे ज्यादा सफ़ेद कैसे?" जाहिर है अपर्णा की चूत की पूरी नाली में चुदाई के कारण हो रहे कामुक घर्षण से अपर्णा को अद्भुत सा उन्माद होना चाहिए था। पर रोहित की बात सुनकर उसका मन कहीं और उड़ रहा था। वह जाँबाज़ जीतूजी को मन ही मन याद कर रही थी। हालांकि रोहित का लण्ड जीतूजी के लण्ड से उन्नीस बिस हो सकता है, पर काश उस समय वह लण्ड जीतूजी का होता जिससे रोहित चोद रहे थे ऐसी एक ललक भरी कल्पना अपर्णा की चूत में आग लगा रही थी।
रोहित के बदन की अकड़न से अपने पति का वीर्य छूटने वाला था यह अपर्णा जान गयी। उसे भी तो अपना पानी छोड़ना था। वह अपने पति रोहितके ऊपर चढ़ कर रोहित को चोदना चाहती थी जिससे वह भी फ़ौरन अपने पति के साथ झड़ कर अपना पानी छोड़ सके। पर उसे डर था की उधर जीतूजी उसे चुदाई करते हुए देख लेंगे। एक होताहै औरतको नंगी देखना। दुसरा होताहै किसी नंगी औरत की चुदाई होते हुए देखना। दोनों में अंतर होता है। और यहां तो अपर्णा रोहित को चौदेगी। वह तो एक और भी अनूठी बात हो जाती है। अपर्णा का शर्माना जायजथा। फिर भी अपर्णा ने अपने पति से हिचकिचाते हुए धीरे से कहा, "ऐसा लगता है की तुम्हारा अब छूटने वाला है। थोड़ा रुको। मुझे भी तो मौका दो।" रोहित ने फ़ौरन कहा, "आ जाओ। मेरे पर चढ़ कर मुझे चोदो। दिखादो सबको की सिर्फ मर्द ही औरत को चोदता है ऐसा नहीं है, औरत भी मर्द को चोद सकती है।"
अपर्णा जब हिचकिचाने लगी तब रोहित ने कहा, "यही तो कमी है औरतों में। मर्दों के साफ़ साफ़ आग्रह करने पर भी औरतें अपनी सीमा से बाहर नहीं आतीं। फिर कहतीं हैं मर्द जातने उन को दबा रखा है? यह कहाँ का न्याय है?"