26-12-2019, 03:50 PM
अपर्णा अब यह अच्छी तरह जान गयी थी की वह इस जनममें तो नहीं होगा। श्रेया जी भी अपने पति का घोड़े जैसा लण्ड लेकर काफी उत्तेजित लग रहीं थीं। अपने पति के साथ साथ अपर्णा श्रेया का स्टैमिना देख कर भी हैरान रह गयी। श्रेया ने रोहित से उस दोपहर चुदवाया था यह तो स्थापित हो चुका था। और अपर्णा यह भी जानती थी की उसके पति कैसी जबरदस्त चुदाई करते हैं। जब वह चोदते हैं तो औरत की जान निकाल लेते हैं।
अपर्णा को इसका पूरा अनुभव था। अपर्णा यह भी जानती थी की श्रेया की चूत का द्वार एकदम छोटा था। रोहित से चुदवाने के बाद अगर वह जीतूजी के इतने मोटे लण्ड से चुदवा रही थी तो मानना पडेगा की श्रेया की दर्द सहन करने की क्षमता बहुत ज्यादा थी। अपर्णाने अपने मन ही मन में गहराई से सोचने लगी। आखिर उसके पति रोहितकी बात तो सही थी। हर औरत अपने मर्दसे चुदवातीतो है ही। हर मर्द भी लगभग हर रात को अपनी बीबी को चोदता ही है। यह तो पूरी दुनिया जानती है, चाहे वह इस बातको किसी से ना कहे। जीतूजी भी जानते थे की रोहित अपर्णा को कैसे चोदते थे। बल्कि उस रात ट्रैन में तो जरूर जीतूजी ने अपर्णा और रोहित की चुदाई कम्बल के अंदर होती हुई देखि भले ना हो पर महसूस तो जरूर की होगी। जब उस समय जीतूजी और श्रेया की चुदाई अपर्णा बड़ी ही बेशर्मी से खुद देख रही थी तो उसे कोई अधिकार नहीं था की वह जीतूजी और श्रेया से अपनी चुदाई छुपाये। क्या उन दोनों को भी अपर्णा की चुदाई देखने का अधिकार नहीं है? अपर्णाके पास इस बातका कोई जवाब नहींथा। अपर्णाने आखिर में हार कर अपने पतिके कानोंमें बोला, "रोहित, आपसे ना? बहस करना बेकार है। देखिये मैं आपकी बीबी हूँ। मेरी लाज की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। अगर आप ही मेरी इज्जत नीलाम करोगे तो फिर मैं कहाँ जाउंगी?" रोहित अपने मन में ही मुस्काये। उनको महसूस हुआ की उस रात पहेली बार उनकी बीबी अपर्णा चुदाई के मामले में उनके साथ एक कदम और चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार हुई थी। रोहित ने एक चद्दर अपर्णा पर डाल दी और उसका गाउन निकाल दिया और बोले, "क्या तुम्हें कभी भी ऐसा लगा की जीतूजी, मैं और श्रेया हम तीनों में से कोई भी तुम्हारी इज्जत नहीं करता? क्या तुम्हें ऐसा शक है की अगर मैं तुम्हें चोदुँगा तो तुम्हारी इज्जत हम तीनों की नजर में कम हो जायेगी? अरे भाई, हम पति पत्नी हैं। अगर हम चुदाई करती हैं तो तुम्हारी इज्जत कैसे कम होगी?"
अपर्णा ने अपने पति की बात का कोई जवाब नहीं दिय। अपर्णा समझ गयी थी की उसके पति उसको तर्क में तो जितने नहीं देंगे। अपर्णा खुद जीतूजी और श्रेया की चुदाई देख कर काफी उत्तेजित हो गयी थी। उनकी खुल्लम खुली चुदाई देखकर उसकी हिचकिचाहट कुछ तो कम हुई ही थी, पर फिरभी जबतक रोहित ज्यादा आग्रह नहीं करंगे तो भला वह कैसे मान सकती है? आखिर वह एक मानिनी भी तो है? उसको दिखावा करना पडेगा की वह तो राजी नहीं थी, पर पति की जिद के आगे वह करे भी तो क्या करे? अपर्णा इस उलझन में थी की तब अचानक ही उन्हें जीतूजी की हाँफती हुए आवाज सुनाई दी। वह बोले, "रोहित और अपर्णा, अब ज्यादा बातचीत किये बिना जो करना है जल्दी करो। कल जल्दी सुबह चार बजे ही उठ कर पांच बजे मैदान पर पहुँचना है।" अपर्णा ने जीतूजी के पलंग की और देखातो पाया की जीतूजी पूरी तरह जोशो खरोश से श्रेया को चोद रहे थे और शायद उनका मामला अब लास्ट स्टेज पर पहुंचा हुआ था। जीतूजी कस कस के श्रेया की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे। पुरे कमरे में उनकी चुदाई की "फच्च, फच्च" की आवाज गूंज रही थी। जैसे ही जीतूजी का लण्ड पूरा श्रेया की चूत में घुस जाता था और उनका अंडकोष श्रेया की गांड पर फटाक फटाक थपेड़ मार रहा था, तो उस थपेड़ की "फच्च फच्च" आवाज के साथ श्रेया की एक कराहट और जीतूजी का "उम्फ... उम्फ..." की आवाज भी उस आवाज में शामिल होजाती थी।
अपर्णा को इसका पूरा अनुभव था। अपर्णा यह भी जानती थी की श्रेया की चूत का द्वार एकदम छोटा था। रोहित से चुदवाने के बाद अगर वह जीतूजी के इतने मोटे लण्ड से चुदवा रही थी तो मानना पडेगा की श्रेया की दर्द सहन करने की क्षमता बहुत ज्यादा थी। अपर्णाने अपने मन ही मन में गहराई से सोचने लगी। आखिर उसके पति रोहितकी बात तो सही थी। हर औरत अपने मर्दसे चुदवातीतो है ही। हर मर्द भी लगभग हर रात को अपनी बीबी को चोदता ही है। यह तो पूरी दुनिया जानती है, चाहे वह इस बातको किसी से ना कहे। जीतूजी भी जानते थे की रोहित अपर्णा को कैसे चोदते थे। बल्कि उस रात ट्रैन में तो जरूर जीतूजी ने अपर्णा और रोहित की चुदाई कम्बल के अंदर होती हुई देखि भले ना हो पर महसूस तो जरूर की होगी। जब उस समय जीतूजी और श्रेया की चुदाई अपर्णा बड़ी ही बेशर्मी से खुद देख रही थी तो उसे कोई अधिकार नहीं था की वह जीतूजी और श्रेया से अपनी चुदाई छुपाये। क्या उन दोनों को भी अपर्णा की चुदाई देखने का अधिकार नहीं है? अपर्णाके पास इस बातका कोई जवाब नहींथा। अपर्णाने आखिर में हार कर अपने पतिके कानोंमें बोला, "रोहित, आपसे ना? बहस करना बेकार है। देखिये मैं आपकी बीबी हूँ। मेरी लाज की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। अगर आप ही मेरी इज्जत नीलाम करोगे तो फिर मैं कहाँ जाउंगी?" रोहित अपने मन में ही मुस्काये। उनको महसूस हुआ की उस रात पहेली बार उनकी बीबी अपर्णा चुदाई के मामले में उनके साथ एक कदम और चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार हुई थी। रोहित ने एक चद्दर अपर्णा पर डाल दी और उसका गाउन निकाल दिया और बोले, "क्या तुम्हें कभी भी ऐसा लगा की जीतूजी, मैं और श्रेया हम तीनों में से कोई भी तुम्हारी इज्जत नहीं करता? क्या तुम्हें ऐसा शक है की अगर मैं तुम्हें चोदुँगा तो तुम्हारी इज्जत हम तीनों की नजर में कम हो जायेगी? अरे भाई, हम पति पत्नी हैं। अगर हम चुदाई करती हैं तो तुम्हारी इज्जत कैसे कम होगी?"
अपर्णा ने अपने पति की बात का कोई जवाब नहीं दिय। अपर्णा समझ गयी थी की उसके पति उसको तर्क में तो जितने नहीं देंगे। अपर्णा खुद जीतूजी और श्रेया की चुदाई देख कर काफी उत्तेजित हो गयी थी। उनकी खुल्लम खुली चुदाई देखकर उसकी हिचकिचाहट कुछ तो कम हुई ही थी, पर फिरभी जबतक रोहित ज्यादा आग्रह नहीं करंगे तो भला वह कैसे मान सकती है? आखिर वह एक मानिनी भी तो है? उसको दिखावा करना पडेगा की वह तो राजी नहीं थी, पर पति की जिद के आगे वह करे भी तो क्या करे? अपर्णा इस उलझन में थी की तब अचानक ही उन्हें जीतूजी की हाँफती हुए आवाज सुनाई दी। वह बोले, "रोहित और अपर्णा, अब ज्यादा बातचीत किये बिना जो करना है जल्दी करो। कल जल्दी सुबह चार बजे ही उठ कर पांच बजे मैदान पर पहुँचना है।" अपर्णा ने जीतूजी के पलंग की और देखातो पाया की जीतूजी पूरी तरह जोशो खरोश से श्रेया को चोद रहे थे और शायद उनका मामला अब लास्ट स्टेज पर पहुंचा हुआ था। जीतूजी कस कस के श्रेया की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे। पुरे कमरे में उनकी चुदाई की "फच्च, फच्च" की आवाज गूंज रही थी। जैसे ही जीतूजी का लण्ड पूरा श्रेया की चूत में घुस जाता था और उनका अंडकोष श्रेया की गांड पर फटाक फटाक थपेड़ मार रहा था, तो उस थपेड़ की "फच्च फच्च" आवाज के साथ श्रेया की एक कराहट और जीतूजी का "उम्फ... उम्फ..." की आवाज भी उस आवाज में शामिल होजाती थी।