26-12-2019, 03:47 PM
फिर उसने अपने पति के कान में मुंह डाल कर धीरे से कहा, "ठीक है, पर लाइट तो बंद करो?" रोहितने कहा, "देखो तुमने कहातो मैं मान गया की चलो चद्दर के निचे चोदेंगे। अब तुम कह रही हो लाइट बंद करो! तुम्हारी शर्तें तो हर पल बढ़ती ही जाती हैं। लगता है तुम्हें चुदवाने का मूड़ नहीं है। अगर ऐसा है तो साफ़ साफ़ कहो। मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता। पर अगर लाइट बंद करने मैं गया तो वह जो तुम्हारा आर्मी वाला आशिक है ना? वह दहाड़ने लगेगा! अगर फिर भी तुम्हें लाइट बंद करनी ही हो तो तुम उठो, मैं तो नहीं जाऊंगा। तुम्ही खड़ी हो कर जाओ और जाकर खुद ही लाइट बंद करो। फिर अगर जीतूजी गुस्सा होंगे तो मुझे मत कहना।" अपर्णा सोच में पड़ गयी। रोहित को बात तो सही थी। एक बार पहले भी तो अपर्णा जीतूजी से झाड़ खा चुकी थी जब अपर्णा स्विमिंग कॉस्टूयूम में जीतूजी के सामने जाने में हिचकिचा रही थी।
कुछ सोच कर अपर्णा ने कहा, "चलो ठीक है। आखिर वह मियाँ बीबी हैं तो हम भी तो मियाँ बीबी ही है ना? अगर हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं तो कौनसी नयी बात है? हर मियाँ बीबी रात को सेक्स तो करते ही है ना?" रोहित ने अपर्णा के मुंह पर हाथ रख कर कहा, "डार्लिंग! हम यहां घूमने आये हैं। अगर तुम घुमा फिरा कर ना बोलो और अगर चुदाई की ही बात करती हो तो बोलो चुदाई करवानी है! अगर ऐसा बोलोगी तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ने वाला है? खुल्लम खुल्ला बोलो तो चोदने का और मजा आता है।" अपर्णा ने अपनी ही लाक्षणिक अदा में अपने पति को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करती मुद्रा में कहा, "अच्छा मेरे पतिदेव, मैं हारी और तुम जीते। ठीक है भाई। चलो अब मैं सेक्स नहीं चुदाई ही कहूँगी, बस? खुश? तो चलो, पर फिर मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो जाओ।" रोहित ने अपना खड़ा लण्ड अपनी बीबी के हाथों में देते हुए कहा, "मैं तो कब का तैयार हूँ यह देखो।" अपर्णा ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए कहा, "हाँ भाई, यह तो बिलकुल लोहे की छड़ की तरह खड़ा है! और अपना रस भी खूब निकाल रहा है!" फिर थोड़ी धीमी आवाज में अपर्णा ने अपने पति के कानों में अपना मुंह डाल कर फुफुसाते हुए पूछा, "सच सच बताना, क्या श्रेया दीदी ने आज नहाते हुए अंगूठा दिखाया क्या? उन्हें चोदने का मौक़ा नहीं मिला क्या?" अपनी बीबी अपर्णा की बात सुन कर रोहित थोड़ा सा झेंप गए और बोले, "देखो डार्लिंग! सच कहूं? आज अगर मैं दस बार भी चोदुँगा ना? तो भी मेरा लण्ड ऐसा ही खड़ा रहेगा क्यूंकि चुदाई का मौसम है। मैं तो इस कैंप में आने के लिए इसी लिए तैयार हुआ था की यहां आते ही हम सब मिलकर खूब चुदाई करेंगे। शायद जीतूजी के मन में यह बात नहीं हो तो कह नहीं सकता। पर उन दोनों को अभी चुदाई की तैयारी करते हुए देख कर ऐसा तो नहीं लगता। और तुम यह मत कहना की तुम्हें पता नहीं था।" अपर्णा समझ गयी की उसके पति ने भले ही सीधासाधा ना माना हो की उन्होंने श्रेया को चोदा था। पर इधर उधर बात घुमाते हुए यह कबूल कर ही लिया की उन्होंने श्रेया की चुदाई उस वाटर फॉल के निचे जरूर ही की थी। पर बीबी जो थी! पति ने अगर श्रेया की चुदाई की तो वह जरूर उनसे कबूल करवाना चाहेगी।
अपर्णा ने कहा, "तो फिर तुम भी खुल्लमखुल्ला यह क्यों कबूल नहीं कर लेते हो की तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को अच्छी तरह से चोदा था?" रोहित की बोलती बंद हो गयी। अब वह झूठ तो बोल नहीं सकते थे। उनकी उलझन देख कर अपर्णा मुस्कराई और बोली, "चलो, छोडो भी, मुझे झूठ सुनना अच्छा नहीं लगेगा और सच बोलने की आपमें हिम्मत नहीं है। तो मैं कह देती हूँ की आज तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को खूब अच्छी तरह से चोदा था। अगर मेरी बात सही है तो तुम्हें कुछ बोलने की जरुरत नहीं है। और अगर मेरी बात गलत है तो तुम मना करो।" रोहित के चेहरे पर यह सुनकर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह चुप रहे।
कुछ सोच कर अपर्णा ने कहा, "चलो ठीक है। आखिर वह मियाँ बीबी हैं तो हम भी तो मियाँ बीबी ही है ना? अगर हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं तो कौनसी नयी बात है? हर मियाँ बीबी रात को सेक्स तो करते ही है ना?" रोहित ने अपर्णा के मुंह पर हाथ रख कर कहा, "डार्लिंग! हम यहां घूमने आये हैं। अगर तुम घुमा फिरा कर ना बोलो और अगर चुदाई की ही बात करती हो तो बोलो चुदाई करवानी है! अगर ऐसा बोलोगी तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ने वाला है? खुल्लम खुल्ला बोलो तो चोदने का और मजा आता है।" अपर्णा ने अपनी ही लाक्षणिक अदा में अपने पति को दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करती मुद्रा में कहा, "अच्छा मेरे पतिदेव, मैं हारी और तुम जीते। ठीक है भाई। चलो अब मैं सेक्स नहीं चुदाई ही कहूँगी, बस? खुश? तो चलो, पर फिर मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो जाओ।" रोहित ने अपना खड़ा लण्ड अपनी बीबी के हाथों में देते हुए कहा, "मैं तो कब का तैयार हूँ यह देखो।" अपर्णा ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए कहा, "हाँ भाई, यह तो बिलकुल लोहे की छड़ की तरह खड़ा है! और अपना रस भी खूब निकाल रहा है!" फिर थोड़ी धीमी आवाज में अपर्णा ने अपने पति के कानों में अपना मुंह डाल कर फुफुसाते हुए पूछा, "सच सच बताना, क्या श्रेया दीदी ने आज नहाते हुए अंगूठा दिखाया क्या? उन्हें चोदने का मौक़ा नहीं मिला क्या?" अपनी बीबी अपर्णा की बात सुन कर रोहित थोड़ा सा झेंप गए और बोले, "देखो डार्लिंग! सच कहूं? आज अगर मैं दस बार भी चोदुँगा ना? तो भी मेरा लण्ड ऐसा ही खड़ा रहेगा क्यूंकि चुदाई का मौसम है। मैं तो इस कैंप में आने के लिए इसी लिए तैयार हुआ था की यहां आते ही हम सब मिलकर खूब चुदाई करेंगे। शायद जीतूजी के मन में यह बात नहीं हो तो कह नहीं सकता। पर उन दोनों को अभी चुदाई की तैयारी करते हुए देख कर ऐसा तो नहीं लगता। और तुम यह मत कहना की तुम्हें पता नहीं था।" अपर्णा समझ गयी की उसके पति ने भले ही सीधासाधा ना माना हो की उन्होंने श्रेया को चोदा था। पर इधर उधर बात घुमाते हुए यह कबूल कर ही लिया की उन्होंने श्रेया की चुदाई उस वाटर फॉल के निचे जरूर ही की थी। पर बीबी जो थी! पति ने अगर श्रेया की चुदाई की तो वह जरूर उनसे कबूल करवाना चाहेगी।
अपर्णा ने कहा, "तो फिर तुम भी खुल्लमखुल्ला यह क्यों कबूल नहीं कर लेते हो की तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को अच्छी तरह से चोदा था?" रोहित की बोलती बंद हो गयी। अब वह झूठ तो बोल नहीं सकते थे। उनकी उलझन देख कर अपर्णा मुस्कराई और बोली, "चलो, छोडो भी, मुझे झूठ सुनना अच्छा नहीं लगेगा और सच बोलने की आपमें हिम्मत नहीं है। तो मैं कह देती हूँ की आज तुमने उस वाटर फॉल के निचे दीदी को खूब अच्छी तरह से चोदा था। अगर मेरी बात सही है तो तुम्हें कुछ बोलने की जरुरत नहीं है। और अगर मेरी बात गलत है तो तुम मना करो।" रोहित के चेहरे पर यह सुनकर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह चुप रहे।