26-12-2019, 03:46 PM
उन्हीने भी अपर्णा की छाती वाली ज़िप खोल कर अपर्णा के उन्मत्त स्तनोँ को अपने बंधन से आजाद किया और अपने हाथों की हथेलियों में लेकर वह भी उन से खेलने लगे। अपने पति की हरकतें महसूस कर अपर्णा नींद में से जाग गयी। जागते ही उसे समझ में आया की शराब पीने के बाद उसने कुछ गलत हरकत की थी। उसे धुंधला सा मेजर कपूर साहब का चेहरा याद आ रहा था पर आगे कुछ नहीं याद आ रहा था। अपर्णा अपने आप दोषी महसूस कर रही थी। उसे यह तो समझ में आ रहा था की कहीं ना कहीं उसने मेजर कपूर के साथ ऐसा कुछ किया था जिससे उसकी अपनी और उसके पति रोहित की इज्जत को उसने ठेस पहुंचाई थी। अगर रोहित वहाँ सही समय पर नहीं पहुँचते तो पता नहीं शायद मेजर कपूर अपर्णा को चोद ही देते और शायद इसके लिए अपर्णा ने खुद सहमति दिखाई होगी क्यूंकि वरना इतने लोगों के सामने उनकी क्या हिम्मत की वह अपर्णा पर जबरदस्ती कर सके? अपर्णा अपने पति रोहित की दोषी भी थी और साथ साथ में आभारी भी थी क्यूंकि उन्होंने अपर्णा को उस बदनामी और अपराध से बचा लिया, और फिर अपर्णा का वचन भी ना टूटा। अपर्णा ने तय किया की उसको इसके लिए अपने पति को कुछ पारितोषिक (उपहार) तो देना ही चाहिए। भला एक खूबसूरत पत्नी अपने पति से अगर दिल खोल कर बढ़िया चुदाई करवाए तो उससे कोई भी पति के लिए और बढ़िया पारितोषिक क्या हो सकता है?
पर इस में एक और मुश्किल थी। जीतूजी के और उनके कमरे के बिच वाला किवाड़ खुला जो था उपर से कमरे की बत्तियां भी जल रहीं थीं। ऐसे में अगर वह स्वच्छंद चुदाई करवाना चाहे तो ख़ास करके उन्हें चुदाई करते हुए नंगी देख सकते हैं। यह सच था की अपर्णा जीतूजी के सामने आधी से भी ज्यादा नंगी तो हुई ही थी, पर पूरी तरह से नंगी होना और चुदाई करवाते हुए किसी को दिखाना एक अलग बात थी। हालांकि जब अपर्णा यह सब सोच रही थी तब श्रेया अपने पति जीतूजीसे काफी कुछ सेक्सकी अठखेलियां कर रही थी। अपर्णा ने एक बार उन दोनों को नंगी हरकतें करते हुए देखा भी। पर उसने फिर अपनी आँखें फिरा लीं और उनकी हरकतों को अनदेखा कर दिया। अपर्णा ने अपने पति को अपने पास खींचा और बोली, "हाय राम! इन्हें तो देखो! कैसे खुल्लम खुल्ला बेशर्मी से एक दूसरे से मस्ती कर रहे हैं?" फिर कुछ बेफिक्री की अदा दिखाते हुए अपर्णा ने कहा, "वैसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें जो करना है वह करे! आखिर वह पति पत्नी जो हैं? पर मैं ऐसा आपके साथ खुल्लमखुल्ला नहीं कर सकती और कम से कम जीतूजी के सामने तो बिलकुल नहीं। "
रोहित ने अपर्णा को अपनी बाँहों में खींचते हुए कहा, "अरे यार तुम ना? बेकार की इन चक्करोंमें पड़ी रहती हो। आजाओ चलो खुल्लम-खुल्ला ना सही, चद्दर के निचे तो करने दोगी लोगी ना? इनको देख कर तो मेरा लण्डभी खड़ा हो रहा है। क्या तुम मेरा इलाज नहीं करोगी?" अपर्णा ने अपने पति रोहित से कहा, "हे भगवान्! मैं क्यों नहीं करुँगी? मैं जानती हूँ की ट्रैन में मैं आपको अच्छी तरह से आनंद दे नहीं पायी। हमेशा कोई उठ जाएगा, कोई देख लेगा यह डर रहता था। पर आज मौक़ा है। मेरा भी मन आप से जबरदस्त करवाने का है। पर आपने तो यहां मेरे लिए इस किवाड़ को खुला रख कर एक मुसीबत ही खड़ी कर दी है। अब मैं आपसे कैसे खुल्लमखुल्ला करवा सकती हूँ? क्या हम यह किवाड़ बंद नहीं कर सकते?" रोहित ने अपनी बीबी की और देखा और उसे अपनी बाँहों में ले कर उसके गाउन में हाथ डालकर उसकी चूँचियों को मसलते हुए कहा, "जानेमन, हमने सब मिलकर यह तय किया था की हम दोनों कपल एक दूसरे के बिच पर्दा नहीं रखेंगे। तुमने यह वचन श्रेया को भी दिया था।" अपर्णा अपने पतिकी बात सुनकर चुप हो गयी।
पर इस में एक और मुश्किल थी। जीतूजी के और उनके कमरे के बिच वाला किवाड़ खुला जो था उपर से कमरे की बत्तियां भी जल रहीं थीं। ऐसे में अगर वह स्वच्छंद चुदाई करवाना चाहे तो ख़ास करके उन्हें चुदाई करते हुए नंगी देख सकते हैं। यह सच था की अपर्णा जीतूजी के सामने आधी से भी ज्यादा नंगी तो हुई ही थी, पर पूरी तरह से नंगी होना और चुदाई करवाते हुए किसी को दिखाना एक अलग बात थी। हालांकि जब अपर्णा यह सब सोच रही थी तब श्रेया अपने पति जीतूजीसे काफी कुछ सेक्सकी अठखेलियां कर रही थी। अपर्णा ने एक बार उन दोनों को नंगी हरकतें करते हुए देखा भी। पर उसने फिर अपनी आँखें फिरा लीं और उनकी हरकतों को अनदेखा कर दिया। अपर्णा ने अपने पति को अपने पास खींचा और बोली, "हाय राम! इन्हें तो देखो! कैसे खुल्लम खुल्ला बेशर्मी से एक दूसरे से मस्ती कर रहे हैं?" फिर कुछ बेफिक्री की अदा दिखाते हुए अपर्णा ने कहा, "वैसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें जो करना है वह करे! आखिर वह पति पत्नी जो हैं? पर मैं ऐसा आपके साथ खुल्लमखुल्ला नहीं कर सकती और कम से कम जीतूजी के सामने तो बिलकुल नहीं। "
रोहित ने अपर्णा को अपनी बाँहों में खींचते हुए कहा, "अरे यार तुम ना? बेकार की इन चक्करोंमें पड़ी रहती हो। आजाओ चलो खुल्लम-खुल्ला ना सही, चद्दर के निचे तो करने दोगी लोगी ना? इनको देख कर तो मेरा लण्डभी खड़ा हो रहा है। क्या तुम मेरा इलाज नहीं करोगी?" अपर्णा ने अपने पति रोहित से कहा, "हे भगवान्! मैं क्यों नहीं करुँगी? मैं जानती हूँ की ट्रैन में मैं आपको अच्छी तरह से आनंद दे नहीं पायी। हमेशा कोई उठ जाएगा, कोई देख लेगा यह डर रहता था। पर आज मौक़ा है। मेरा भी मन आप से जबरदस्त करवाने का है। पर आपने तो यहां मेरे लिए इस किवाड़ को खुला रख कर एक मुसीबत ही खड़ी कर दी है। अब मैं आपसे कैसे खुल्लमखुल्ला करवा सकती हूँ? क्या हम यह किवाड़ बंद नहीं कर सकते?" रोहित ने अपनी बीबी की और देखा और उसे अपनी बाँहों में ले कर उसके गाउन में हाथ डालकर उसकी चूँचियों को मसलते हुए कहा, "जानेमन, हमने सब मिलकर यह तय किया था की हम दोनों कपल एक दूसरे के बिच पर्दा नहीं रखेंगे। तुमने यह वचन श्रेया को भी दिया था।" अपर्णा अपने पतिकी बात सुनकर चुप हो गयी।