26-12-2019, 03:45 PM
रोहित बोले, "जीतूजी, क्या आप अब मुझे और अपर्णा को अपना अंतरंग साथी नहीं मानते?" जीतूजी ने जवाब दिया, "हाँ मैं और श्रेया आप दोनों को अपना घनिष्ठ अंतरंग साथी मानते हैं। इसमें पूछने वाली बात क्या है?" रोहित ने कहा, "तब फिर क्या हम दोनों पति पत्नी की जोड़ियों में कोई पर्दा होना चाहिए?" जीतूजी ने फ़ौरन कहा, "बिलकुल नहीं होना चाहिए। पर आप यह क्यों पूछ रहे हैं?" रोहित ने कहा, "मैं भी यही मानता हूँ। पर मैं यहां यह कहना चाहता हूँ की कुछ बातें इतनी नाजुक होती हैं, की उन्हें कहा नहीं जाना चाहिए। हम लोगों को उन्हें बिना कहे ही समझ जाना चाहिए। मैं हम दोनों पति पत्नियों के बिच के संबंधों की बात कर रहा हूँ। मैं चाहता हूँ की हम दोनों जोड़ियों के बिच किसी भी तरह का कोई भी परायापन ना रहे l अगर हम सब एक-दूसरे के घनिष्ठ अंतरंग हैं तो फिर खास कर अपने पति या अपनी पत्नी के प्रति एक दूसरे के पति या पत्नी से सम्बन्ध के बारे में किसी भी तरह का मालिकाना भाव ना रक्खें। मुझे यह कहने, सुनने या महसूस करने में कोई परेशानी या झिझक ना हो की अपर्णा आपसे बेतहाशा प्यार करती है और आपको भी वैसे ही श्रेया के बारे में हो।" जीतूजी ने रोहित का हाथ थामते हुए कहा, "बिलकुल! मेरी और श्रेया की तो इस बारे में पहले से ही यह सहमति रही है। फिर रोहित की और प्यार से देखते हुए जीतूजी बोले, "रोहित, आप चिंता ना करें। आप और श्रेया के बिच के भाव, इच्छा और सम्बन्ध को मैं अच्छी तरह जानता और समझता हूँ। मेरे मन में आप और श्रेया को लेकर किसी भी तरह की कोई दुर्भावना नहीं है। आप दोनों मेरे अपने हो और हमेशा रहोगे। आप दोनों के बिच के कोई भी और किसी भी तरह के सम्बन्ध से मुझको कोई भी आपत्ति नहीं है ना होगी।"
पलंग पर मदहोश लेटी हुई अपर्णा की और देखते हुए अपनी आवाज में अफ़सोस ना आये यह कोशिश करते हुए जीतूजी ने कहा, "जहां तक मेरा और अपर्णा के सम्बन्ध का सवाल है, तो मैं यही कहूंगा की अपर्णा की अपनी कुछ मजबूरियां हैं। मैं भी अपर्णा से बेतहाशा प्यार करता हूँ। मैं अपर्णा की बड़ी इज्जत करता हूँ और साथ साथ में उसकी मजबुरोयों की भी बड़ी इज्जत करता हूँ।" यह कह कर जीतूजी बिना कुछ और बोले अपने मायूस चेहरे को रोहित की नज़रों से छुपाते हुए, बिच वाले खुले किवाड़ से अपने पलंग पर जा पहुंचे जहां श्रेया ने अपनी बाँहें फैलाकर उनको अपने आहोश में ले लिया। दोनों पति पत्नी एक दूसरे से लिपट गए। रोहित जी हैरान से देख रहे थे की उनकी निगाहों की परवाह किये बगैर जीतूजी श्रेया को पलंग पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गए और श्रेया के गाउन के ऊपर से ही श्रेया के बड़े मम्मों को दबाने लगे। दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। रोहित श्रेया और जीतूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जीतूजी ने श्रेया के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर श्रेया कुछ मुस्कुरायी और उसने शरारत भरी नज़रों से रोहित की और अपना सर घुमा कर देखा। फिर अपनी हथेली को किस कर श्रेया ने एक फूंक मार कर जैसे उस किस को रोहित की दिशा में फेंकने का इशारा किया और अपने पति जीतूजी के निचे लेटी हुई श्रेया अपने पति जीतूजी के पयजामे में हाथ डाल कर उनका लण्ड एक हाथ में पकड़ उसे सहलाने लगी। अपर्णा के साथ दिन में हुए कई निजी सम्पर्कों की वजह से जीतूजी काफी उत्तेजित थे। श्रेया का हाथ लगते ही जीतूजी का लण्ड खड़ा होने लगा। श्रेया के थोड़े से हिलाने पर ही उसने अपना पूरा लंबा और मोटा आकार धारण कर लिया।
श्रेया ने फ़टाफ़ट जीतूजी के पाजामे का नाडा खोला और अपने पति के लण्ड को आज़ाद कर उस को लण्ड प्यार से हिलाने और सहलाने लगी। जीतूजी ने रोहित की नज़रों के परवाह किए बगैर श्रेया के छाती के आगे वाली ज़िप खोल दी और श्रेया ने उन्मत्त स्तनोँ को दोनों हाथों की हथेलियाँ फैलाकर उनसे खेलने लगे। जीतूजी और उनकी बीबी श्रेया की उनके पलंग पर हो रही प्रेमक्रीड़ा देख कर रोहित का लण्ड भी उनके पाजामे में फुंफकारने लगा।
पलंग पर मदहोश लेटी हुई अपर्णा की और देखते हुए अपनी आवाज में अफ़सोस ना आये यह कोशिश करते हुए जीतूजी ने कहा, "जहां तक मेरा और अपर्णा के सम्बन्ध का सवाल है, तो मैं यही कहूंगा की अपर्णा की अपनी कुछ मजबूरियां हैं। मैं भी अपर्णा से बेतहाशा प्यार करता हूँ। मैं अपर्णा की बड़ी इज्जत करता हूँ और साथ साथ में उसकी मजबुरोयों की भी बड़ी इज्जत करता हूँ।" यह कह कर जीतूजी बिना कुछ और बोले अपने मायूस चेहरे को रोहित की नज़रों से छुपाते हुए, बिच वाले खुले किवाड़ से अपने पलंग पर जा पहुंचे जहां श्रेया ने अपनी बाँहें फैलाकर उनको अपने आहोश में ले लिया। दोनों पति पत्नी एक दूसरे से लिपट गए। रोहित जी हैरान से देख रहे थे की उनकी निगाहों की परवाह किये बगैर जीतूजी श्रेया को पलंग पर लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गए और श्रेया के गाउन के ऊपर से ही श्रेया के बड़े मम्मों को दबाने लगे। दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। रोहित श्रेया और जीतूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जीतूजी ने श्रेया के कानों में कुछ कहा। यह सुनकर श्रेया कुछ मुस्कुरायी और उसने शरारत भरी नज़रों से रोहित की और अपना सर घुमा कर देखा। फिर अपनी हथेली को किस कर श्रेया ने एक फूंक मार कर जैसे उस किस को रोहित की दिशा में फेंकने का इशारा किया और अपने पति जीतूजी के निचे लेटी हुई श्रेया अपने पति जीतूजी के पयजामे में हाथ डाल कर उनका लण्ड एक हाथ में पकड़ उसे सहलाने लगी। अपर्णा के साथ दिन में हुए कई निजी सम्पर्कों की वजह से जीतूजी काफी उत्तेजित थे। श्रेया का हाथ लगते ही जीतूजी का लण्ड खड़ा होने लगा। श्रेया के थोड़े से हिलाने पर ही उसने अपना पूरा लंबा और मोटा आकार धारण कर लिया।
श्रेया ने फ़टाफ़ट जीतूजी के पाजामे का नाडा खोला और अपने पति के लण्ड को आज़ाद कर उस को लण्ड प्यार से हिलाने और सहलाने लगी। जीतूजी ने रोहित की नज़रों के परवाह किए बगैर श्रेया के छाती के आगे वाली ज़िप खोल दी और श्रेया ने उन्मत्त स्तनोँ को दोनों हाथों की हथेलियाँ फैलाकर उनसे खेलने लगे। जीतूजी और उनकी बीबी श्रेया की उनके पलंग पर हो रही प्रेमक्रीड़ा देख कर रोहित का लण्ड भी उनके पाजामे में फुंफकारने लगा।