26-12-2019, 03:44 PM
रोहित पलंग के पास से हट कर खिड़की के पास खड़े हो कर सोचते हुए अँधेरे में दूर दूर जंगल की और सितारों की रौशनी में देख रहे थे तब उन्हें भौंकते और रोते हुए भेड़ियों की आवाज सुनाई दी। उन्होंने कई बार शहर में भौंकते हुए कुत्तों की आवाज सुनी थी पर यह आवाज काफी डरावनी और अलग थी। रोहित की समझ में यह नहीं आ रहा था की यह कैसी आवाज थी। तब रोहित ने जीतूजी का हाथ अपने काँधों पर महसूस किया। जीतूजी और श्रेया अपने कमरे में आ चुके थे। श्रेया कपडे बदल ने के लिए वाशरूम में गयी थी। रोहित को खिड़की के पास खड़ा देख कर जीतूजी वहाँ पहुँच गए और उन के पीछे खड़े होकर जीतूजी ने कहा, "यह जो आवाज आप सुन रहे हो ना, वह क्या है जानते हो? यह कोई साधारण जंगली भेड़िये की आवाज नहीं। यह आवाज सेनाके तैयार कियेगए ख़ास भयानक नस्ल के कुत्तों की आवाज है।" जीतूजी ने थोड़ा थम कर फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "सेना में इन कुत्तों को खास तालीम दी जाती है। इनका इस्तेमाल ख़ास कर दुश्मनों के बंदी सिपाही जब कैद से भाग जाते हैं तब उनको पकड़ ने के लिए किया जाता है। उनको अंग्रेजी में "हाऊण्ड" कहते हैं। यह कुत्ते "हाऊण्ड", जानलेवा होते हैं। इनसे बचना लगभग नामुमकिन होता है। कैद से भागे हुए कैदी सिपाही के कपडे या जूते इन्हें सुँघाये जाते हैं। अगर कैदी को मार देना है तो इन हाउण्ड को कैदियों के पीछे खुल्ला छोड़ दिया जाता है। हाउण्ड उन कैदियों को कुछ ही समय में जंगल में से ढूंढ निकालते हैं और उनको चीरफाड़ कर खा जाते हैं। अगर क़ैदियों को ज़िंदा पकड़ना होता है तो सेना के जवान इन हाउण्ड को रस्सी में बाँध कर उनके पीछे दौड़ते रहते हैं। यह हाउण्ड कैदी की गंध सूंघते सूंघते उनको जल्द ही पकड़ लेते हैं।" जीतूजी ने बड़ी गंभीरता से कहा, "रोहित मेरी समझ में यह नहीं आता की यह हाउण्ड किसके हैं। हमारी सेना ने तो इस एरिया में कोई हाउण्ड नहीं रखे। तो मुमकिन है की यह दुश्मनों के हाउण्ड हैं। अगर ऐसा है तो हमारी सीमा में दुश्मनों के यह हाउण्ड कैसे पहुंचे? मुझे डर है की जल्द ही कुछ भयानक घटना घटने वाली है।"
जीतूजीकी बात सुनकर रोहित चौंक गए। रोहित ने पूछा, "जीतूजी कहीं ऐसा तो नहीं की हमारी सेना के कुछ जवानों को दुश्मनने कैदी बना लिया हो?" जीतूजी ने अपने हाथ अपनी स्टाइल में झकझोरते हुए कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यही तो सोचनेवाली बात है। कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक रही है, और वह क्या है हमें नहीं पता।" रोहितने घूमकर जीतूजी का हाथ थामकर कहा, "जीतूजी, आप बहुत ज्यादा सोचते हो। भला दुश्मन के सिपाहियों की इतनी हिम्मत कहाँ की हमारी सीमा में घुस कर ऐसी हरकत करें? क्या यह नहीं हो सकता की हम अपना दिमाग बेकार ही खपा रहे हों और वास्तव में यह आवाज जंगली भेड़ियों की ही हो?" जीतूजी ने हार मानते हुए कहा, "पता नहीं। हो भी सकता है।"
रोहित ने जीतूजी की नजरों से नजर मिलाते हुए पलंग में लेटी हुई अपनी बीबी अपर्णा की और इशारा करते हुए कहा, "फिलहाल तो मुझे अपर्णा के खर्राटों की दहाड़ का मुकाबला करना है। पता नहीं आपने उस पर क्या वशीकरण मन्त्र किया है की वह आपकी ही बात करती रहती है।" रोहित की बात सुनकर जीतूजी को जब सकते में आते हुए देखातो रोहित मुस्कुराये और फिरसे जीतूजी का हाथ थाम कर अपने पलंग के पास ले गए जहां अपर्णा जैसे घोड़े बेचकर बेहाल सी गहरी नींद सो रही थी। अपनी आवाज में कुछ गंभीरता लाते हुए रोहित ने कहा, "जीतूजी मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ। क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगे?" बड़ी मुश्किलसे अपर्णा की माँसल जाँघों परसे अपनी नजर हटाकर जीतूजीने आश्चर्य भरी निगाहों से रोहित की और देखा। अपना सर हिलाते हुए जीतूजी ने बिना कुछ बोले यह इशारा किया की वह बुरा नहीं मानेंगे।
जीतूजीकी बात सुनकर रोहित चौंक गए। रोहित ने पूछा, "जीतूजी कहीं ऐसा तो नहीं की हमारी सेना के कुछ जवानों को दुश्मनने कैदी बना लिया हो?" जीतूजी ने अपने हाथ अपनी स्टाइल में झकझोरते हुए कहा, "ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। यही तो सोचनेवाली बात है। कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक रही है, और वह क्या है हमें नहीं पता।" रोहितने घूमकर जीतूजी का हाथ थामकर कहा, "जीतूजी, आप बहुत ज्यादा सोचते हो। भला दुश्मन के सिपाहियों की इतनी हिम्मत कहाँ की हमारी सीमा में घुस कर ऐसी हरकत करें? क्या यह नहीं हो सकता की हम अपना दिमाग बेकार ही खपा रहे हों और वास्तव में यह आवाज जंगली भेड़ियों की ही हो?" जीतूजी ने हार मानते हुए कहा, "पता नहीं। हो भी सकता है।"
रोहित ने जीतूजी की नजरों से नजर मिलाते हुए पलंग में लेटी हुई अपनी बीबी अपर्णा की और इशारा करते हुए कहा, "फिलहाल तो मुझे अपर्णा के खर्राटों की दहाड़ का मुकाबला करना है। पता नहीं आपने उस पर क्या वशीकरण मन्त्र किया है की वह आपकी ही बात करती रहती है।" रोहित की बात सुनकर जीतूजी को जब सकते में आते हुए देखातो रोहित मुस्कुराये और फिरसे जीतूजी का हाथ थाम कर अपने पलंग के पास ले गए जहां अपर्णा जैसे घोड़े बेचकर बेहाल सी गहरी नींद सो रही थी। अपनी आवाज में कुछ गंभीरता लाते हुए रोहित ने कहा, "जीतूजी मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ। क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगे?" बड़ी मुश्किलसे अपर्णा की माँसल जाँघों परसे अपनी नजर हटाकर जीतूजीने आश्चर्य भरी निगाहों से रोहित की और देखा। अपना सर हिलाते हुए जीतूजी ने बिना कुछ बोले यह इशारा किया की वह बुरा नहीं मानेंगे।