Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 2.4 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
रोहित ने अपर्णा को एक बार एक विशेषज्ञ साइक्याट्रिस्ट को दिखाया तो उन्होंने कुछ टेस्ट करने के बाद कहा था, "चिंता की कोई बात नहीं है। अपर्णा की नशा हजम करने की क्षमता दूसरे लोगों से काफी कम है। बस अपर्णा को शराब से दूर रखा जाय तो कोई दिक्कत नहीं है। जैसे ही वह ज्यादा नशीली शराब जैसे व्हिस्की, रम, वोदका आदि थोड़ी सी ज्यादा पी लेती हैं तो उनका मन चंचल हो उठता है। जब तक उनपर नशे का शुरुर छाया रहता है तब तक वह उस समय उनके मन में चल रही इच्छा को अपने सामने ही फलीभूत होते हुए देखती है। मतलब वह यातो अपने को कोई और समझ लेती है या फिर किसी और को अपने मन पसंद किरदार में देखने लगती है। अगर उस समय अपर्णा के मन में शाहरूख खानके बारे में विचार होते हैं तो वह किसी भी व्यक्ति को शाहरूख खान समझ लेती है और उससे उसी तरह पेश आती है। उस समय यदि उसका मन कोई फिल्म में एक्टिंग करने का होता है वह खुद को एक्टर समझ लेती है और एक्टिंग करने लग जाती है। नशा उतरते ही वह फिर अपनी मूल भूमिका में जाती है। उसे पता तो चलता है की उसने कुछ गड़बड़ की थी। पर उसे याद नहीं रहता की उसने क्या किया था। तब फिर उसे अफ़सोस होने लगता है और वह अपने किये कराये के लिए माफ़ी मांगने लग जाती है और उस समय उसे सम्हालने वाले पर काफी एहसान मंद हो जाती है।" साइक्याट्रिस्ट की राय जान कर रोहित की जान में जान आयी। इसी लिए रोहित ख़ास ध्यान रखते थे की अपर्णा को कोई ज्यादा मद्य पेय (व्हिस्की, रम, वोदका आदि) ना दे। जब कोई ज्यादा आग्रह करता तो अपर्णा को रोहित थोड़ा सा बियर पिने देते, पर बस एकाद घूँट अंदर जाते ही रोहित उसका ग्लास छीन लेते इस डर से की कहीं उसको चढ़ ना जाए और वह कोई नया ही बवंडर खड़ा ना करदे। पर उस दिन शाम उस समय रोहित कहीं आगे पीछे हो गए और अंकिता, गौरव साहब बगैरह लोगों ने मिलकर अपर्णा को व्हिस्की पिला ही दी।

नशे का सुरूर अपर्णा पर छा रहा था। सेना के जवानों की शूरवीरता और बलिदानकी वह कायल थी। वह खुद भी देश के लिए बलिदान करने के लिए पूरी तरह तैयार थी। शराब का नशा चढ़ते ही अपर्णा के दिमाग में जैसे कोई बवंडर सा उठ खड़ा हुआ। उसको अपने सामने मेजर कपूर नहीं, कर्नल अभिजीत सिंह (जीतूजी) दिखाई देने लगे। वह जीतूजी, जो देश के लिए अपनी जान देने के लिए सदैव तैयार रहते थे। वह जीतूजी जिन्होंने अपर्णा के लिए क्या कुछ नहीं किया? जब कपूर साहब ने अपर्णा से कहा की वह देश के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार थे तो अपर्णा सोचने लगी, "जब जीतूजी देश के लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार थे तो भला ऐसे जाँबाज़ के लिए देशवासियों का भी कर्तव्य बनता है की वह उनके लिए अपना सबकुछ कुर्बान करदें। अगर उनकी इच्छा सेक्स करने की हो तो क्या अपर्णा को उनकी इच्छा पूरी नहीं करनी चाहिए?" अपर्णा ने कपूर साहब से कहा, "जीतूजी, आप मेरे पति की चिंता मत करिये। आप मेरे वचन की भी चिंता मत करिये। जब आप देश के लिए अपनी जान तक का बलिदान करने के लिए तैयार हैं तो मैं आपको आगे बढ़ने से रोकूंगी नहीं। चलिए मैं तैयार हूँ। पर यहां नहीं। यहां सब देखेंगे। बोलिये कहाँ चलें?" कपूर साहब अपर्णा को देखते ही रहे। इनकी समझ में नहीं आया की यह जीतूजी कौन थे और अपर्णा कौनसे वचन की बात कर रही थी? अपर्णा उन्हें जीतूजी कह कर क्यों बुला रही थी? पर फिर उन्होंने सोचा, "क्या फर्क पड़ता है? जीतूजी बनके ही सही, अगर इतनी खूबसूरत मोहतरमा को चोदने का मौक़ा मिल जाता है तो क्यों छोड़ा जाये, जब वह खुद सामने चलकर आमंत्रण दे रही थी?"
[+] 1 user Likes usaiha2's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:41 PM



Users browsing this thread: 12 Guest(s)