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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
मेजर कपूर और अपर्णा अलग हुए। मेजर कपूर फ़ौरन व्हिस्की के दो गिलास ले आये और अपर्णा को एक थमाते हुए बोले, "देखिये मोहतरमा, मैं सरहद पर तैनात हूँ। कल ही सरहद से आया हूँ। अगले हफ्ते फिर सरहद पर लौटना है। जिस तरह से सरहद पर लड़ाई छिड़ने का माहौल है, पता नहीं कल ही बुलावा जाये। और फिर पता नहीं मैं अपने पाँव से चलके आऊं या फिर दूसरों के कंधों पर। पता नहीं फिर हम मिल पाएं भी या नहीं। तो क्यों हम दोनों अकेले ही इस समाँ को एन्जॉय ना करें? कहते हैं ना की "कल हो ना हो"

अपर्णा को याद आया की जीतूजीने अपनी पत्नी श्रेया को भी यह शब्द कहे थे। अपर्णा सोच रही थी की इन शब्दोंमें कितनी सच्चाई थी। उसने खुद कई सगे और सम्बन्धियों की लाशें खुद देखीं थीं। उसे अपने पिता की याद गयी। अपर्णा ने भगवान् का शुक्र किया की उसके पिता जख्मी तो हुए थे, पर उनको अपनी जान नहीं गँवानी पड़ी थी। अपर्णा ने एक ही झटके में व्हिस्की का गिलास खाली कर दिया। यहाँ अपर्णा के व्यक्तित्व के बारे में एक बात कहनी जरुरी है। वैसे तो अपर्णा एक साधारण सी भारतीय नारी ही थी। वह थोड़ी सी वाचाल, बुद्धि की कुशाग्र, शर्मीली, चंचल, चुलबुली और एक पतिव्रता नारी थी। पर जब उसे शराब का नशा चढ़ जाता था तब अपर्णा की हरकतें कुछ अजीबोगरीब हो जाती थीं। अपर्णा को जानने वाला यह मान ही नहीं सकता था की वह अपर्णा थी। उसके हावभाव, उसकी वाचा, उसके चलने एवं बोलने का ढंग एकदम ही बदल जाता था। यह कहना मुश्किल था की वह असल में अपर्णा ही थी। रोहित को ऐसा अनुभव दो बार हुआ। 

एक बार ऐसा हुआ की पार्टी में दोस्तों के आग्रह से अपर्णा ने कुछ ज्यादा ही पी ली। पिने के कुछ देर तक तो अपर्णा बैठी सबकी बातें सुनती रही। फिर जब उसे नशे का शुरूर चढ़ने लगा तब अपर्णा ने रोहित के एक दोस्त का हाथ पकड़ कर उस आदमी को रोहित समझ कर उसे चिपक कर उसे सबके सुनते हुए जल्दी से घर चलने का आग्रह करने लगी। वह जोर जोर से यही बोलती रही की "पार्टी में आने से पहले तो तुम मुझे बार बार कहते थे की आज रात को बिस्तर में सोने के बाद खूब मौज करेंगे? तो चलो ना, अब पार्टी में देर क्यों कर रहे हो? आज तो मेरा भी बड़ा मन कर रहा है। चलो जल्दी करो, कहीं तुम्हारा मूड (??!!) ढीला ना पड़ जाए!" वह रोहित का दोस्त बेचारा समझ ही नहीं पाया की वह रोये या हँसे?

दूसरी बार अपर्णा ने दो पेग व्हिस्की के लगाए तब अचानक ही वह योद्धांगिनी बन गयी और वहाँ खड़े हुए सब को चुनौती देने लगी की यदि उसके हाथ में ३०३ का राइफल होता तो वह युद्ध में जाकर दुश्मनों के दाँत खट्टे कर देती। और फिर वह वहाँ खडे हुए लोगों को ऐसे आदेश देने लगी जैसे वह सब लोग फ़ौज की कोई टुकड़ी हो और अपर्णा को सेना के जवानों की टुकड़ी का लीडर बनाया गया हो। अपर्णा चाहती थी की उस का कमांड सुनकर वहाँ खडे लोग परेड शुरू करें। वह "लेफ्ट, राइट, आगे बढ़ो, पीछे मूड़" इत्यादि कमांड देने लगी थी। जब वह लोग उलझन में खड़े देखते रहे तब अपर्णा ने उन लोगों को ऐसा झाड़ना शुरू किया की, "शर्म नहीं आती, आप सब जवानों को? तनख्वाह फ़ौज से लेते हो और हुक्म का पालन नहीं करते?" इत्यादि। बड़ी मुश्किल से रोहित ने सबसे माफ़ी मांगीं और अपर्णा को समझा बुझा कर घर ले आये।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:40 PM



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