26-12-2019, 03:38 PM
श्रेया अपर्णा के पति के साथ चिपकी हुई थी। गौरव और अंकिता कुछ देर डांस करने क बाद वहाँ से थोड़ी दूर कुछ गुफ्तगू कर रहे थे। अपर्णा से बात करने वाला कोई वहाँ नहीं था। अपर्णा उठ खड़ी हो रही थी की एक साहब जो की आर्मी वाले ही लग रहे थे झूमते हुए अपर्णाके पास आये और बोले, "मैं मेजर कपूर हूँ। लगता है आप अकेली हैं। क्या मैं आपके साथ डांस कर सकता हूँ?" अपर्णा उठ खड़ी हुई और मेजर साहब की खुली बाँहों में चली गयी और बोली, "क्यों नहीं? मेरे पति किसी और औरत की बाँहों में हैं। पर सच कहूं कपूर साहब? मुझे डांस करना नहीं आता।"
कपूर साहब ने कहा, "कोई बात नहीं। आप मेरे बदन से साथ झूमते हुए थिरकते रहिये। धीरे धीर लय के साथ झूमते हुए आप सिख जाएंगे।" कपूर साहब करीब पैंतालीस साल के होंगे। आर्मी की नियमित कसरत बगैरह की आदत के कारण उनका बदन सुगठित था और उनके चपल चहल कदमी से लगता था की वह बड़े फुर्तीले थे। उनके सर पर कुछ सफ़ेद बाल दिख रहे थे जो उनके सुन्दर चेहरे पर जँचते थे। अपर्णा ने पूछा, "क्या आप अकेले हैं?" कपूर साहब ने फ़ौरन जवाब दिया, "नहीं, मेरी पत्नी भी आयी है।" फिर दूर कोने की और इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "वह जो उस कोने में जीन्स और डार्क ब्लू टॉप पहने हुए सुन्दर सी महिला उस अधेड़ पुरुष के साथ डांस करती दिख रही है, वह मेरी पत्नी पूजा है।" अपर्णा ने देखा तो वह सुन्दर महिला एक आर्मी अफसर के साथ काफी करीबी से डांस कर रही थी।" अपर्णा का मन किया की वह पूछे की वह मर्द कौन था? पर फिर उसने पूछने की जरूरत नहीं समझी। कपूर साहबी काफी रोमांटिक लग रहे थे। वह अपर्णा को एक के बाद एक कैसे स्टेप लेने चाहिए और कब अलग हो जाना है और कब एक दूसरेसे चिपक जाना है इत्यादि सिखाने लगे। अपर्णा तो वैसे ही बड़ी कुशाग्र बुद्धि की थी और जल्द ही वह संगीत के लय के साथ कपूर साहब का डांस में साथ देने लगी। कपूर साहबभी काफी रूमानी मिजाज के लग रहे थे। जब बदन चिपका ने मौक़ा आता था तब कपूर साहब मौक़ा छोड़ते नहीं थे। वह अपर्णा का बदन अपने बदन से चिपका लेते थे। अपर्णा को महसूस हुआ की कपूर साहब का लण्ड खड़ा हो गया था और जब कपूर साहब उससे चिपकते थे तब अपर्णा उसे अपनी जाँघों के बिच महसूस कर रही थी। पर उसे कुछ बुरा नहीं लगता था। वह भली-भाँति जानती थी ऐसे हालात में बेचारे मर्द का लण्ड करे तो क्या करे? ऐसे हालात में अगर औरत को भी कोई अपनी मर्जी के पुरुष के करीब आने का मौक़ा मिले तो क्या उसकी चूत में और उसकी चूँचियों में हलचल मच नहीं जाती? तो भला पुरुष का ही क्या दोष? पुरुष जाती तो वैसे ही चुदाई के लिए तड़पती रहती है।
मेजर कपूर ने अपर्णा से पूछा, "अपर्णाजी क्या आप के पति यहाँ नहीं है?" अपर्णा ने रोहित को दिखाते हुए कहा, "कपूर साहब! वह सबसे खूबसूरत महिला जिनके साथ डांस कर रही है वह मेरे पति हैं।" कपूर साहब बोल पड़े, "अरे वह तो मिसिस अभिजीत सिंह है।" अपर्णा ने कहा, "कमाल है साहब, आप अपने आप उन्हें मिसिस अभिजीत सिंह क्यों कह रहे हैं?"हाँ वही श्रेया हैं। देखा आपने वह कितना करीबी से मेरे पति के साथ डांस कर रहीं हैं?" कपूर साहब ने कहा, "तो फिर आपको किसने रोका है? आप भी तो मेरे साथ एकदम करीबी से डांस कर सकती हैं।" अपर्णा ने अपनी आँख नचाते हुए पूछा, "अच्छा? क्या आप की पत्नी बुरा तो नहीं मानेगी?" कपूर साहब ने कहा, "भाई अगर आपके पति बुरा नहीं मानेंगे तो मेरी पत्नी क्यों बुरा मानेंगी? वह तो खुद ही उन साहब की बाँहों में चिपक कर डांस कर रही है।" अपर्णा ने कहा, "ठीक है फिर तो।" बस इतना बोल कर अपर्णा चुप हो गयी। कपूर साहब को तो जैसे खुला लाइसेंस ही मिल गया हो वैसे वह अपर्णा को अपनी बाँहों में दबाकर बड़ी उत्कटता से अपनी जाँघों से अपर्णा की जांघें रगड़ते हुए डांस करना शुरू किया। संगीत में चंद मिनटों का ब्रेक हुआ।
कपूर साहब ने कहा, "कोई बात नहीं। आप मेरे बदन से साथ झूमते हुए थिरकते रहिये। धीरे धीर लय के साथ झूमते हुए आप सिख जाएंगे।" कपूर साहब करीब पैंतालीस साल के होंगे। आर्मी की नियमित कसरत बगैरह की आदत के कारण उनका बदन सुगठित था और उनके चपल चहल कदमी से लगता था की वह बड़े फुर्तीले थे। उनके सर पर कुछ सफ़ेद बाल दिख रहे थे जो उनके सुन्दर चेहरे पर जँचते थे। अपर्णा ने पूछा, "क्या आप अकेले हैं?" कपूर साहब ने फ़ौरन जवाब दिया, "नहीं, मेरी पत्नी भी आयी है।" फिर दूर कोने की और इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "वह जो उस कोने में जीन्स और डार्क ब्लू टॉप पहने हुए सुन्दर सी महिला उस अधेड़ पुरुष के साथ डांस करती दिख रही है, वह मेरी पत्नी पूजा है।" अपर्णा ने देखा तो वह सुन्दर महिला एक आर्मी अफसर के साथ काफी करीबी से डांस कर रही थी।" अपर्णा का मन किया की वह पूछे की वह मर्द कौन था? पर फिर उसने पूछने की जरूरत नहीं समझी। कपूर साहबी काफी रोमांटिक लग रहे थे। वह अपर्णा को एक के बाद एक कैसे स्टेप लेने चाहिए और कब अलग हो जाना है और कब एक दूसरेसे चिपक जाना है इत्यादि सिखाने लगे। अपर्णा तो वैसे ही बड़ी कुशाग्र बुद्धि की थी और जल्द ही वह संगीत के लय के साथ कपूर साहब का डांस में साथ देने लगी। कपूर साहबभी काफी रूमानी मिजाज के लग रहे थे। जब बदन चिपका ने मौक़ा आता था तब कपूर साहब मौक़ा छोड़ते नहीं थे। वह अपर्णा का बदन अपने बदन से चिपका लेते थे। अपर्णा को महसूस हुआ की कपूर साहब का लण्ड खड़ा हो गया था और जब कपूर साहब उससे चिपकते थे तब अपर्णा उसे अपनी जाँघों के बिच महसूस कर रही थी। पर उसे कुछ बुरा नहीं लगता था। वह भली-भाँति जानती थी ऐसे हालात में बेचारे मर्द का लण्ड करे तो क्या करे? ऐसे हालात में अगर औरत को भी कोई अपनी मर्जी के पुरुष के करीब आने का मौक़ा मिले तो क्या उसकी चूत में और उसकी चूँचियों में हलचल मच नहीं जाती? तो भला पुरुष का ही क्या दोष? पुरुष जाती तो वैसे ही चुदाई के लिए तड़पती रहती है।
मेजर कपूर ने अपर्णा से पूछा, "अपर्णाजी क्या आप के पति यहाँ नहीं है?" अपर्णा ने रोहित को दिखाते हुए कहा, "कपूर साहब! वह सबसे खूबसूरत महिला जिनके साथ डांस कर रही है वह मेरे पति हैं।" कपूर साहब बोल पड़े, "अरे वह तो मिसिस अभिजीत सिंह है।" अपर्णा ने कहा, "कमाल है साहब, आप अपने आप उन्हें मिसिस अभिजीत सिंह क्यों कह रहे हैं?"हाँ वही श्रेया हैं। देखा आपने वह कितना करीबी से मेरे पति के साथ डांस कर रहीं हैं?" कपूर साहब ने कहा, "तो फिर आपको किसने रोका है? आप भी तो मेरे साथ एकदम करीबी से डांस कर सकती हैं।" अपर्णा ने अपनी आँख नचाते हुए पूछा, "अच्छा? क्या आप की पत्नी बुरा तो नहीं मानेगी?" कपूर साहब ने कहा, "भाई अगर आपके पति बुरा नहीं मानेंगे तो मेरी पत्नी क्यों बुरा मानेंगी? वह तो खुद ही उन साहब की बाँहों में चिपक कर डांस कर रही है।" अपर्णा ने कहा, "ठीक है फिर तो।" बस इतना बोल कर अपर्णा चुप हो गयी। कपूर साहब को तो जैसे खुला लाइसेंस ही मिल गया हो वैसे वह अपर्णा को अपनी बाँहों में दबाकर बड़ी उत्कटता से अपनी जाँघों से अपर्णा की जांघें रगड़ते हुए डांस करना शुरू किया। संगीत में चंद मिनटों का ब्रेक हुआ।