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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अंकिता अपर्णा का जोश और जस्बा ताज्जुब से देख रही थी। उसने अपर्णा की हिम्मत ट्रैन में देखि थी। वाकई में तो सबकी जान अपर्णा ने ही बचाई थी क्यूंकि अगर अपर्णा ने गौरव की टाँगें कस के काफी देर तक पकड़ रक्खी नहीं होतीं तो गौरव फुल स्पीड में चल रही ट्रैन से गिर पड़ते और अंकिता और गौरव दोनों की मौत पक्की थी। श्रेया ने अपर्णा के गिलास में कुछ ज्यादा और अपने गिलास में कुछ कम व्हिस्की डाली और सोडा से मिलाकर अपर्णा को दी। जीतूजी और रोहित अपनी बीबियों की करतूत देख कर मन ही मन खुश हो रहे थे। अगर पी कर यह मस्त हो गयीं तो समझो उनकी रात का मजा कुछ और होगा। लाउड स्पीकर पर डांस संगीत शुरू हो गया था। अंकिता और गौरव बाँहों में बाँहें डाले नाच रहे थे। उनको देख कर अपर्णा ने श्रेया से कहा, "लगता है यह दो जवान बदनों की हवस की आग इस यात्रा के दरम्यान जरूर रंग लाएगी।"

अपर्णा पर व्हिस्की का रंग चढ़ रहा था। झूमती हुई अपर्णा गौरव और अंकिता डांस कर रहे थे वहाँ पहुंची और दोनों के पास जाकर अंकिता का कंधा पकड़ कर बोली, "देखो बेटा। मैं तुम दोनों से बड़ी हूँ। मैं तुम्हें खुल्लम खुल्ला कहती हूँ की जब भी मौक़ा मिले मत गंवाओ। जिंदगी चार दिनकी है, और जवानी सिर्फ दो दिन की। मौज करो। अंकिता तुम्हारे पति ब्रिगेडियर साहब ने खुद तुम्हें किसी भी तरह से रोका नहीं है। बल्कि वह तो तुम्हें गौरव से घुल मिल कर मौज करने के लिए कहते हैं। वह तुम्हें बेटी मानते हैं। वह जानते हैं की वह तुम्हें पति या प्रियतम का मरदाना प्यार नहीं दे सकते। तो फिर सोचते क्या हो? जवानीके दो दिन का फायदा उठाओ। अगर आप के प्यार करने से किसी का घर या दिल नहीं टूटता है, तो फिर दिल खोल कर प्यार करो। अंकिता के कान के पास जा कर अपर्णा अंकिता के कान में बोली, "हम भी यहां मौज करने आये हैं।" फिर अपनी माँ ने दी हुई कसम को याद कर अपर्णा के चेहरे पर गमगीनी छा गयी। अपर्णा थर्राती आवाज में बोली, "पर बेटा मेरी तो साली तक़दीर ही खराब है। जिनसे मैं चुदाई करवाना चाहती थी उनसे करवा नहीं सकती। कहते हैं ना की "नसीब ही साला गांडू तो क्या करेगा पांडु?" अंकिता और गौरव बिना बोले अपर्णा की और आश्चर्य से एकटक देख रहे थे की अपर्णाजी जो इतनी परिपक्व लगती थीं शराब के नशेमें कैसे अपने मन की बात सबको बता रही थी।

रोहित और श्रेया हॉल की बाँहों में बाँहें डाले घूम घूम कर डांस कर रहे थे। साथ साथ में जब मौक़ा मिलता था तब वह एक दूसरे से एकदम चिपक भी जाते थे। अपर्णा ने यह देखा। उसकी नजर जीतूजी को ढूंढने लगी। जीतूजी कहीं नजर नहीं रहे थे। जब अपर्णा ने ध्यान से देखा तो पाया की जीतूजी वहाँ से काफी दूर एक दूसरे कोने में अपनी बीबी के करतब से बेखबर बाहर आर्मी कैंप के कुछ अफसरान से बातें करने में मशरूफ थे। अपर्णा को व्हिस्की का सुरूर चढ़ रहा था। उसे जीतूजी के लिए बड़ा अफ़सोस हो रहा था। अपर्णा और जीतूजी आपस में एक दूसरे से एक होना चाहते थे पर अपर्णा की माँ के वचन के कारण एक नहीं हो सकते थे। यह जानते हुए भी की अपर्णा उनसे चुदवाने का ज्यादा विरोध नहीं करेगी, अगर वह अपर्णा पर थोड़ी सी जोर जबरदस्ती करें। पर जीतूजी अपने सिद्धांत पर हिमाचल की तरह अडिग थे। वह तब तक अपर्णा को चुदाई के लिए नहीं कहेंगे जब तक अपर्णा ने माँ को दिया हुआ वचन पूरा नहीं हो जाता और वह वचन इस जनम में तो पूरा होना संभव नहीं था। मतलब रेल की दो पटरियों की तरह अपर्णा और जीतूजी के बदन इस जनम में तो एक नहीं हो सकते थे। हालांकि अपर्णाने स्पष्ट कर दिया था की चुदाई के सिवा वह सब कुछ कर सकते हैं, पर अब तो जीतूजी ने यह भी तय कर दियाथा की वह अपर्णाको छेड़ेंगे भी नहीं। कारण जीतूजी का लण्ड जीतूजी के नियत्रण में नहीं रहता था। जब जब भी अपर्णा उनके करीब आती थी तो वह काबू के बाहर हो जाता था और तब जीतूजी का दिमाग एकदम घूम जाता था। इस लिए वह अपर्णा से दूर रहना ही पसंद करने लगे जो अपर्णा को बड़ा चुभ रहा था।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:37 PM



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