26-12-2019, 03:37 PM
उसने गौरव को कहा, "कप्तान साहब, अंकिता आपसे अपनी शादी के बारे में कहना चाहती थी पर वह उस वक्त उसमें कहने की हिम्मत न थी और जब वह आपसे कहने लगी थी तो बात टल गयी और वह कह नहीं पायी। वह आपका दिल नहीं तोड़ना चाहती थी। आप उसको समझें और उसे क्षमा करें और देखो यह समाँ और मौक़ा मिला है उसे जाया ना करें। आप दोनों घूमे फिरें और एन्जॉय करें। बाकी आप खुद समझदार हो।"
इतना कह कर अपर्णा कप्तान गौरव को शरारत भरी हँसी देकर, आँख मार कर वापस अपने पति रोहित, जीतूजी और श्रेया के पास वापस आ गयी। उसे ख़ुशी हुईकी अगर यह दो जवान दिल आपस में मिल कर प्यार में कुछ समय एक साथ बिताते हैं तो वह भी उनके लिए और खास कर अंकिता के लिए बहुत बड़ी बात होगी। शाम धीरे धीरे जवाँ हो रही थी। जीतूजी और रोहित ने अपने जाम में व्हिस्की भर चुस्की पर चुस्की ले रहे थे। अपर्णा और श्रेया चाय के साथ कुछ स्नैक्स ले रहीं थीं। जीतूजी की उलझन ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी। अपर्णा ने अपने पति रोहित को कहा, "ऐसा लगता है की कोई गंभीर मामला है जिसके बारे में जीतूजी कुछ जानते हैं पर हमसे शेयर करना नहीं चाहते। आप ज़रा जा कर पूछिए ना की क्या बात है?"
रोहित जीतूजी के पास पहुंचे। जीतूजी आर्मी के कुछ अफसरान से गुफ्तगू कर रहे थे। कुछ देर बाद जब जीतूजी फारिग हुए तब रोहित ने जीतूजी से पूछा, भाई, हमें हमें बताइये ना की क्या बात है? आप इतने चिंतित क्यों हैं?" जीतू जी ने रोहित की और देख कर पूरी गंभीरता से कहा, "रोहित, आपसे क्या छिपा हुआ है? आप को भी तो मिनिस्ट्री से हिदायत मिली हुई है की कुछ जासुस हमारी सेना के कुछ अफसरान के पीछे पड़े हुए हैं। वह हमारी सेना की गति-विधियोँ की गुप्त जानकारी पाना चाहते हैं। वह जानना चाहते हैं की हमारी सेना की क्या रणनीति होगी। मैं सोच रहा था की कहीं जो हमारे साथ कुछ हादसे हुए हैं उससे इस बात का तो कोई सम्बन्ध नहीं है?" जीतूजी की बात सुनकर रोहित चौक गए और बोल पड़े, "क्या इसका मतलब यह हुआ की पडोसी देश के जासूस हमारे पीछे पड़े हुए हैं? वह हम से कुछ सच्चाई उगलवाना चाहते हैं?" अपर्णा ने अपने पतिके मुंह से यह शब्द सुने तो उसके चेहरे पर जैसे हवाइयाँ उड़ने लगीं। उसके चेहरे पर साफ़ साफ़ भय और आतंक के निशान दिख रहे थे।
अपर्णा बोल उठी, "बापरे! वह टैक्सी वाला और वह टिकट चेकर क्या दुश्मनों के जासूस थे? अब मैं सोचती हूँ तो समझ में आता है की वह लोग वाकई कितने भयंकर लग रहे थे।" जीतूजी की और मुड़कर अपर्णा बोली, "जीतूजी अब क्या होगा?" जीतू जी ने अपर्णा का हाथ थामा और दिलासा देते हुए बोले, " अपने नन्हे से दिमाग को कष्ट ना दो। हमें कुछ नहीं होगा। हम इतनी बड़ी हिंदुस्तानी फ़ौज के कैंप में हैं और उनकी निगरानी में हैं। मुझसे गलती हुई की मैंने तुम्हें यह सब बताया।" तब अपर्णा ने अपना खूबसूरत सीना तान कर कहा, "हम भी भारत की शक्ति हैं। मैं एक क्षत्राणी हूँ और एक बार ठान लूँ तो सबसे निपट सकती हूँ। मुझे कोई डर नहीं।"
श्रेया ने अपर्णा की दाढ़ी अपनी उँगलियों में पकड़ी और उसे हिलाते हुए कहा, "अगर क्षत्राणी है तो फिर यह जूस ही क्यों पी रही है? कुछ गरम पेय पी कर दिखा की तू भी वाकई में क्षत्राणी है" अपर्णा ने श्रेया की और मुड़कर देखा और बोली, "इसमें कौनसी बड़ी बात है? चलो दीदी डालो ग्लास में व्हिस्की और हम भी हमारे मर्दों को दिखाते हैं की हम जनाना भी मर्दों से कोई कम नहीं।"
इतना कह कर अपर्णा कप्तान गौरव को शरारत भरी हँसी देकर, आँख मार कर वापस अपने पति रोहित, जीतूजी और श्रेया के पास वापस आ गयी। उसे ख़ुशी हुईकी अगर यह दो जवान दिल आपस में मिल कर प्यार में कुछ समय एक साथ बिताते हैं तो वह भी उनके लिए और खास कर अंकिता के लिए बहुत बड़ी बात होगी। शाम धीरे धीरे जवाँ हो रही थी। जीतूजी और रोहित ने अपने जाम में व्हिस्की भर चुस्की पर चुस्की ले रहे थे। अपर्णा और श्रेया चाय के साथ कुछ स्नैक्स ले रहीं थीं। जीतूजी की उलझन ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी। अपर्णा ने अपने पति रोहित को कहा, "ऐसा लगता है की कोई गंभीर मामला है जिसके बारे में जीतूजी कुछ जानते हैं पर हमसे शेयर करना नहीं चाहते। आप ज़रा जा कर पूछिए ना की क्या बात है?"
रोहित जीतूजी के पास पहुंचे। जीतूजी आर्मी के कुछ अफसरान से गुफ्तगू कर रहे थे। कुछ देर बाद जब जीतूजी फारिग हुए तब रोहित ने जीतूजी से पूछा, भाई, हमें हमें बताइये ना की क्या बात है? आप इतने चिंतित क्यों हैं?" जीतू जी ने रोहित की और देख कर पूरी गंभीरता से कहा, "रोहित, आपसे क्या छिपा हुआ है? आप को भी तो मिनिस्ट्री से हिदायत मिली हुई है की कुछ जासुस हमारी सेना के कुछ अफसरान के पीछे पड़े हुए हैं। वह हमारी सेना की गति-विधियोँ की गुप्त जानकारी पाना चाहते हैं। वह जानना चाहते हैं की हमारी सेना की क्या रणनीति होगी। मैं सोच रहा था की कहीं जो हमारे साथ कुछ हादसे हुए हैं उससे इस बात का तो कोई सम्बन्ध नहीं है?" जीतूजी की बात सुनकर रोहित चौक गए और बोल पड़े, "क्या इसका मतलब यह हुआ की पडोसी देश के जासूस हमारे पीछे पड़े हुए हैं? वह हम से कुछ सच्चाई उगलवाना चाहते हैं?" अपर्णा ने अपने पतिके मुंह से यह शब्द सुने तो उसके चेहरे पर जैसे हवाइयाँ उड़ने लगीं। उसके चेहरे पर साफ़ साफ़ भय और आतंक के निशान दिख रहे थे।
अपर्णा बोल उठी, "बापरे! वह टैक्सी वाला और वह टिकट चेकर क्या दुश्मनों के जासूस थे? अब मैं सोचती हूँ तो समझ में आता है की वह लोग वाकई कितने भयंकर लग रहे थे।" जीतूजी की और मुड़कर अपर्णा बोली, "जीतूजी अब क्या होगा?" जीतू जी ने अपर्णा का हाथ थामा और दिलासा देते हुए बोले, " अपने नन्हे से दिमाग को कष्ट ना दो। हमें कुछ नहीं होगा। हम इतनी बड़ी हिंदुस्तानी फ़ौज के कैंप में हैं और उनकी निगरानी में हैं। मुझसे गलती हुई की मैंने तुम्हें यह सब बताया।" तब अपर्णा ने अपना खूबसूरत सीना तान कर कहा, "हम भी भारत की शक्ति हैं। मैं एक क्षत्राणी हूँ और एक बार ठान लूँ तो सबसे निपट सकती हूँ। मुझे कोई डर नहीं।"
श्रेया ने अपर्णा की दाढ़ी अपनी उँगलियों में पकड़ी और उसे हिलाते हुए कहा, "अगर क्षत्राणी है तो फिर यह जूस ही क्यों पी रही है? कुछ गरम पेय पी कर दिखा की तू भी वाकई में क्षत्राणी है" अपर्णा ने श्रेया की और मुड़कर देखा और बोली, "इसमें कौनसी बड़ी बात है? चलो दीदी डालो ग्लास में व्हिस्की और हम भी हमारे मर्दों को दिखाते हैं की हम जनाना भी मर्दों से कोई कम नहीं।"