26-12-2019, 03:34 PM
दोपहर के आराम के बाद कप्तान गौरव अच्छे खासे स्वस्थ दिख रहे थे। मेहमानों का स्वागत करते हुए कैंप के मुखिया ने बताया की हमारा पडोसी मुल्क हमारे मुल्क की एकता को आहत करने की फिराक में है। चूँकि वह हमसे सीधा पंगा लेने में असमर्थ है इसलिए वह छद्म रूप से हम को एक के बाद एक घाव देनेकी कोशिश कर रहा है। वह अपने आतंक वादियों को हमारे मुल्क में भेज कर हमारे जवानों और नागरिकों को मार कर भय का वातावरण फैलाना चाहता है। हालात गंभीर हैं और हमें सजग रहना है।
इन आतंकवादीयों को हमारे ही कुछ धोखेबाज नागरिक चंद रूपयों के लालच में आश्रय और प्रोत्साहन देते हैं। आतंकवादी अलग अलग शहरों में आतंक फैलाने का प्रोग्राम बना रहे हैं। इन हालात में सेना के अधिकारीयों ने यह सोचा की एक आतंकी विरुद्ध नागरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाए जिस में हमारे नागरिकों को आतंकीयों से कैसे निपटा जाए और शहर में आतंकी हमला होने पर कैसे हमें उनका सामना करना चाहिए इसके बारे में बताया जाए। उन्होंने बताया की इसी हेतु से यह प्रोग्राम तैयार किया गया था।
सारे मेहमानोंको चार ग्रुपमें बाँटा गया था। कप्तान गौरव, अंकिता , उसके पति ब्रिगेडियर साहब और उनके दो हम उम्र दोस्त, जीतूजी, रोहित, श्रेया और अपर्णा एक ग्रुप में थे। ऐसे तीन ग्रुप और थे। कुल मिलाकर करीब छत्तीस मेहमान थे। हर एक ग्रुप में नौ लोग थे। सुबह पाँच बजे योग और हलकी कसरत और उसके बाद चाय नाश्ता। बाद में सुबह सात बजे पहाड़ों में ट्रैकिंग का प्रोग्राम था। दोपहर का खाना ट्रैकिंग के आखिरी पड़ाव पर था। ट्रैकिंग का रास्ता पहले से ही तय किया गया था और जगह जगह तीरों के निशान लगाए गए थे। परिचय और प्रोग्राम की बात ख़त्म होते होते शाम के सात बज चुके थे। लाउड स्पीकर पर सब को आग की धुनि के सामने ड्रिंक्स और नाच गाने के प्रोग्राम में हिस्सा लेने का आमंत्रण दिया गया।
मजेकी बात यहथी की अंकिता उसके पति ब्रिगेडियर साहब और गौरव भी अपर्णा, रोहित, जीतूजी और श्रेया वाली धुनि के आसपास बैठे हुए थे। ब्रिगेडियर खन्ना, कप्तान गौरव के साथ बड़े चाव से बात कर रहे थे। कप्तान गौरव बार बार अंकिता की और देख कर अपनी नाराजगी जाहिर करने की कोशिश कर रहे थे की क्यों अंकिता ने उन्हें अपनी शादी के बारेमें नहीं कहा? तुरंत उन्हें याद आया की अंकिता ने उन्हें कहने की कोशिस तो की थी जब उसने कहा था की "जिंदगी में कुछ परिस्थितियां ऐसी आती हैं की उन्हें झेलना ही पड़ता है।" परन्तु उसके बाद बात ने कुछ और मोड़ ले लीया था और अंकिता अपने बारे में बता नहीं सकी थी। अब जब अंकिता शादीशुदा है तो गौरव को अपना सपना चकनाचूर होते हुए नजर आया। ब्रिगेडियर साहब ने गौरव से अपनी जिंदगी के बारे में बताना शुरू किया। उन्होंने बताया की कैसे अंकिता और उसके के पिता ने ब्रिगेडियर साहब और उनकी स्वर्गवासी पत्नी की सेवा की थी। बादमें अंकिता के पिता की मौत के बाद अंकिता को उन्होंने आश्रय दिया। उनके सम्बन्ध अंकिता से कुछ ज्यादा ही निजी हो गए। तब उन्होंने अंकिता को समाज में बदनामी से बचानेके लिए शादी करली। ब्रिगेडियर साहब ने गौरव को यह भी बताया की वह उम्र में उनसे काफी छोटी होने के कारण अंकिता को अपनी पत्नी नहीं बेटी जैसा मानते हैं। वह चाहते हैं की अगर कोई मर्द अंकिता को अपनाना चाहता हो तो वह उसे तलाक देकर ख़ुशी से अंकिताकी शादी उस युवक से करा भी देंगे।
ब्रिगेडियर साहब ने अंकिता को बुलाकर अपने पास बिठाया और बोले, "अंकिता बेटा, मैं जा रहा हूँ। मैं थोड़ा थक भी गया हूँ। तो आप कप्तान गौरव और बाकी कर्नल साहब और इन लोगों के साथ एन्जॉय करो। मैं फिर अपने हट में जाकर विश्राम करूंगा।" कह कर ब्रिगेडियर साहब चल दिए। ब्रिगेडियर साहब के जाने के बाद अपर्णा उठकर कप्तान गौरव के करीब जा बैठी।
इन आतंकवादीयों को हमारे ही कुछ धोखेबाज नागरिक चंद रूपयों के लालच में आश्रय और प्रोत्साहन देते हैं। आतंकवादी अलग अलग शहरों में आतंक फैलाने का प्रोग्राम बना रहे हैं। इन हालात में सेना के अधिकारीयों ने यह सोचा की एक आतंकी विरुद्ध नागरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाए जिस में हमारे नागरिकों को आतंकीयों से कैसे निपटा जाए और शहर में आतंकी हमला होने पर कैसे हमें उनका सामना करना चाहिए इसके बारे में बताया जाए। उन्होंने बताया की इसी हेतु से यह प्रोग्राम तैयार किया गया था।
सारे मेहमानोंको चार ग्रुपमें बाँटा गया था। कप्तान गौरव, अंकिता , उसके पति ब्रिगेडियर साहब और उनके दो हम उम्र दोस्त, जीतूजी, रोहित, श्रेया और अपर्णा एक ग्रुप में थे। ऐसे तीन ग्रुप और थे। कुल मिलाकर करीब छत्तीस मेहमान थे। हर एक ग्रुप में नौ लोग थे। सुबह पाँच बजे योग और हलकी कसरत और उसके बाद चाय नाश्ता। बाद में सुबह सात बजे पहाड़ों में ट्रैकिंग का प्रोग्राम था। दोपहर का खाना ट्रैकिंग के आखिरी पड़ाव पर था। ट्रैकिंग का रास्ता पहले से ही तय किया गया था और जगह जगह तीरों के निशान लगाए गए थे। परिचय और प्रोग्राम की बात ख़त्म होते होते शाम के सात बज चुके थे। लाउड स्पीकर पर सब को आग की धुनि के सामने ड्रिंक्स और नाच गाने के प्रोग्राम में हिस्सा लेने का आमंत्रण दिया गया।
मजेकी बात यहथी की अंकिता उसके पति ब्रिगेडियर साहब और गौरव भी अपर्णा, रोहित, जीतूजी और श्रेया वाली धुनि के आसपास बैठे हुए थे। ब्रिगेडियर खन्ना, कप्तान गौरव के साथ बड़े चाव से बात कर रहे थे। कप्तान गौरव बार बार अंकिता की और देख कर अपनी नाराजगी जाहिर करने की कोशिश कर रहे थे की क्यों अंकिता ने उन्हें अपनी शादी के बारेमें नहीं कहा? तुरंत उन्हें याद आया की अंकिता ने उन्हें कहने की कोशिस तो की थी जब उसने कहा था की "जिंदगी में कुछ परिस्थितियां ऐसी आती हैं की उन्हें झेलना ही पड़ता है।" परन्तु उसके बाद बात ने कुछ और मोड़ ले लीया था और अंकिता अपने बारे में बता नहीं सकी थी। अब जब अंकिता शादीशुदा है तो गौरव को अपना सपना चकनाचूर होते हुए नजर आया। ब्रिगेडियर साहब ने गौरव से अपनी जिंदगी के बारे में बताना शुरू किया। उन्होंने बताया की कैसे अंकिता और उसके के पिता ने ब्रिगेडियर साहब और उनकी स्वर्गवासी पत्नी की सेवा की थी। बादमें अंकिता के पिता की मौत के बाद अंकिता को उन्होंने आश्रय दिया। उनके सम्बन्ध अंकिता से कुछ ज्यादा ही निजी हो गए। तब उन्होंने अंकिता को समाज में बदनामी से बचानेके लिए शादी करली। ब्रिगेडियर साहब ने गौरव को यह भी बताया की वह उम्र में उनसे काफी छोटी होने के कारण अंकिता को अपनी पत्नी नहीं बेटी जैसा मानते हैं। वह चाहते हैं की अगर कोई मर्द अंकिता को अपनाना चाहता हो तो वह उसे तलाक देकर ख़ुशी से अंकिताकी शादी उस युवक से करा भी देंगे।
ब्रिगेडियर साहब ने अंकिता को बुलाकर अपने पास बिठाया और बोले, "अंकिता बेटा, मैं जा रहा हूँ। मैं थोड़ा थक भी गया हूँ। तो आप कप्तान गौरव और बाकी कर्नल साहब और इन लोगों के साथ एन्जॉय करो। मैं फिर अपने हट में जाकर विश्राम करूंगा।" कह कर ब्रिगेडियर साहब चल दिए। ब्रिगेडियर साहब के जाने के बाद अपर्णा उठकर कप्तान गौरव के करीब जा बैठी।