26-12-2019, 03:32 PM
अपर्णा ने श्रेया से कहा, "दीदी, लाइए मैं आपके बालों को आजकी पार्टीके लिए सजा देती हूँ। मैं चाहती हूँ की आज मेरी दीदी अपनी खूबसूरती, जवानी और कमसिनता से सारे ही जवानों और अफसरों पर गजब का कहर ढाये! मैं सबको दिखाना चाहती हूँ की मेरी दीदी पार्टी में सब औरतों और लड़कियों से ज्यादा सुन्दर लगे।"
रोहित जब वाशरूम में से तैयार होकर निकले तो उन्होंने देखा की अपर्णा श्रेया को सजाने में लगी हुई थी। श्रेया को आधे अधूरे कपड़ों में देख कर रोहित ने अपने आप पर संयम रखते हुए दोनों महिलाओं को "बाई" कहा और खुद जीतूजी को मिलने निकल पड़े।
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शामके ठीक छह बजे जब सब ने अपनी जगह ली तब तक अपर्णा और श्रेया जी पहुंचे नहीं थे। मंच पर जीतूजी और कैंप के अधिकारी कुछ गुफ्तगू में मशगूल थे। जीतूजी को भी मंच पर ख़ास स्थान दिया गया था। धीरे धीरे सारी कुर्सियां भर गयीं। प्रोग्राम शुरू होने वाला ही था की श्रेया और अपर्णा का प्रवेश हुआ। उस समय सब लोग एक दूसरे से बात करने में इतने मशरूफ थे की पूरा हॉल सब की आवाज से गूँज रहा था। जैसे ही अपर्णा और श्रेया ने प्रवेश किया की सब तरफ सन्नाटा छा गया। सब की निगाहें अपर्णा और श्रेया पर गड़ी की गड़ी ही रह गयीं। श्रेया ने स्कर्ट और उसके ऊपर एक फ्रिल्ल वाला सतह पर सतह हो ऐसा सूत का सफ़ेद चिकन की कढ़ाई किया हुआ टॉप पहना था। श्रेया के बाल अपर्णा ने इतनी खूबसूरती से सजाये थे की श्रेया नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रहीं थीं। श्रेया का टॉप पीछे से खुला हुआ ब्लाउज की तरह था। श्रेया जी के सुदृढ़ बूब्स का उभार उनके टॉप से बाहर उछल कर निकल ने की कोशिश कर रहा था। श्रेया के कूल्हे इतने सुगठित और सुआकार लग रहे थे की लोगों की नजर उस पर टिकी ही रह जाती थीं।
अपर्णा ने साडी पहन रक्खी थी। श्रेया के मुकाबले अपर्णा ज्यादा शांत और मँजी हुई औरत लग रही थी। साडी में भी अपर्णा के सारे अंगों के उतार चढ़ाव की कामुकता भरी झलक साफ़ साफ़ दिख रही थी। अपर्णा की गाँड़ साडी में और भी उभर कर दिख रही थी। जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जीतू जी का स्थान सभा के मंच पर था। कैंप के प्रशिक्षकों में से वह एक थे। वह सुबह की कसरत के प्रशिक्षक थे और उनके ग्रुप के लीडर मनोनीत किये गए थे। जब उनका परिचय किया गया तब श्रेया को भी मंच पर बुलाया गया और जीतूजी की "बेहतर अर्धांगिनी" (Better half) के रूप में उनका परिचय दिया गया। उस समय पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कप्तान गौरव रोहित की बगल में ही बैठे हुए थे। अंकिता और उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना आगे बैठे हुए थे। कप्तान गौरव के पाँव तले से जमीन खिसक गयी जब अंकिता का परिचय श्रीमती खन्ना के रूप में कराया गया।
रोहित जब वाशरूम में से तैयार होकर निकले तो उन्होंने देखा की अपर्णा श्रेया को सजाने में लगी हुई थी। श्रेया को आधे अधूरे कपड़ों में देख कर रोहित ने अपने आप पर संयम रखते हुए दोनों महिलाओं को "बाई" कहा और खुद जीतूजी को मिलने निकल पड़े।
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शामके ठीक छह बजे जब सब ने अपनी जगह ली तब तक अपर्णा और श्रेया जी पहुंचे नहीं थे। मंच पर जीतूजी और कैंप के अधिकारी कुछ गुफ्तगू में मशगूल थे। जीतूजी को भी मंच पर ख़ास स्थान दिया गया था। धीरे धीरे सारी कुर्सियां भर गयीं। प्रोग्राम शुरू होने वाला ही था की श्रेया और अपर्णा का प्रवेश हुआ। उस समय सब लोग एक दूसरे से बात करने में इतने मशरूफ थे की पूरा हॉल सब की आवाज से गूँज रहा था। जैसे ही अपर्णा और श्रेया ने प्रवेश किया की सब तरफ सन्नाटा छा गया। सब की निगाहें अपर्णा और श्रेया पर गड़ी की गड़ी ही रह गयीं। श्रेया ने स्कर्ट और उसके ऊपर एक फ्रिल्ल वाला सतह पर सतह हो ऐसा सूत का सफ़ेद चिकन की कढ़ाई किया हुआ टॉप पहना था। श्रेया के बाल अपर्णा ने इतनी खूबसूरती से सजाये थे की श्रेया नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रहीं थीं। श्रेया का टॉप पीछे से खुला हुआ ब्लाउज की तरह था। श्रेया जी के सुदृढ़ बूब्स का उभार उनके टॉप से बाहर उछल कर निकल ने की कोशिश कर रहा था। श्रेया के कूल्हे इतने सुगठित और सुआकार लग रहे थे की लोगों की नजर उस पर टिकी ही रह जाती थीं।
अपर्णा ने साडी पहन रक्खी थी। श्रेया के मुकाबले अपर्णा ज्यादा शांत और मँजी हुई औरत लग रही थी। साडी में भी अपर्णा के सारे अंगों के उतार चढ़ाव की कामुकता भरी झलक साफ़ साफ़ दिख रही थी। अपर्णा की गाँड़ साडी में और भी उभर कर दिख रही थी। जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जीतू जी का स्थान सभा के मंच पर था। कैंप के प्रशिक्षकों में से वह एक थे। वह सुबह की कसरत के प्रशिक्षक थे और उनके ग्रुप के लीडर मनोनीत किये गए थे। जब उनका परिचय किया गया तब श्रेया को भी मंच पर बुलाया गया और जीतूजी की "बेहतर अर्धांगिनी" (Better half) के रूप में उनका परिचय दिया गया। उस समय पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कप्तान गौरव रोहित की बगल में ही बैठे हुए थे। अंकिता और उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना आगे बैठे हुए थे। कप्तान गौरव के पाँव तले से जमीन खिसक गयी जब अंकिता का परिचय श्रीमती खन्ना के रूप में कराया गया।