26-12-2019, 03:30 PM
सिरहाने की साइड में खड़े होकर देखा जाए तो गाउन के अंदर अपर्णा के दो बड़े बूब्स के बिच की खाई और उसके दो मस्त पहाड़ की चोटी पर विराजमान निप्पलोँ तक का नजारा लण्ड खड़ा कर देने वाला था। वह इसलिए की गहरी नींद में लेटे हुए रोहित के दोनों हाथ अपनी बीबी के उन्मत्त स्तनोँ को नींद में ही दबा रहे थे। जीतूजी को रोहितके भाग्य की बड़ी ईर्ष्या हुई। रोहित को अपर्णा के साथ पूरी रात गुजारने से रोकने वाला कोई नहीं था। वह जब चाहे अपर्णा के बूब्स दबा सकते थे, अपर्णा की गाँड़ में अपना लण्ड घुसा सकते थे, अपर्णा को जब चाहे चोद सकते थे। एक गहरी साँस ले कर जीतूजी ने फिर यह सोच तसल्ली की की जिस रोहित को वह अति भाग्यशाली मानते थे वही रोहित उनकी पत्नी श्रेया के आशिक थे। यह विचार आते ही वह मन ही मन हंस पड़े। सच कहा है, घर की मुर्गी दाल बराबर। जीतूजी का बड़ा मन किया की रोहित के हाथ हटा कर वह अपने हाथ अपर्णा के गाउन में डालें और अपर्णा के मस्त नरम और फिर भी सख्त बूब्स को दबाएं, सहलाएं और अच्छी तरह से मसल दें। अपर्णा करवट लेकर पलंग के एक छोर पर सो रही थी और उसके पति रोहित उसके पीछे अपर्णाकी गाँड़में अपना लण्ड वाला हिस्सा पाजामे के अंदर से बिलकुल अपर्णा की गाँड़ में जाम किये हुए सो रहे थे। दोनों मियाँ बीबी इतनी गहरी नींद सो रहे थे की उन्हें जीतूजी के आने का एहसास नहीं हुआ l जीतूजी ने अपने आप पर बड़ा नियंत्रण रखते हुए अपर्णा के बालों में उंगलियां डाल उन्हें बालों को उँगलियों से कँघी करते हुए हलके से कहा, "अपर्णा, उठो।"
जब जीतूजी की हलकी आवाज का कोई असर नहीं हुआ तब जीतूजी रोहित के सिरहाने के पास गए और थोड़ी सख्ती और थोड़े मजाक के अंदाज में रोहित से कहा, "दोपहर का आप दोनों के मिलन का कार्यक्रम पूरा हुआ नहीं क्या? उठो, अब आप एक सेना के कैंप में हैं। आप को कुछ नियम पालन करने होंगें। सुबह साढ़े चार बजे उठना पडेगा। उठकर नित्य नियम से निपट कर सबको कुछ योग और हलकी फुलकी कसरत करनी पड़ेगी। चलो जल्दी तैयार हो जाओ। ठीक छे बजे प्रोग्रम शुरू हो जाएगा। मैं जा रहा हूँ। आप तैयार हो कर मैदान में पहुंचिए।" जीतूजी का करारा फरमान सुनकर अपर्णा चौंक कर उठ गयी। उसने जीतूजी को पलंग के पास में ही पूरा आर्मी यूनिफार्म में पूरी तरह से सुसज्ज खड़ा पाया। जीतूजी आर्मी यूनिफार्म में सटीक, शशक्त और बड़े ही प्यारे लग रहे थे। अपर्णा ने मन ही मन उनकी बलाइयाँ लीं। अपर्णा ने एक हाथ से जीतूजी को सलूट करते हुए कहा, "आप चलिए। आपको कई काम करने होंगें। हम समय पर पहुँच जाएंगे।"
चंद मिनटों में ही रोहित उठ खड़े हुए हुए और वाशरूम की और भागे। अपर्णा ने देखा की श्रेया नहा कर बाहर निकल रही थीं। तौलिये में लिपटी हुई वह सुंदरता की जीती जागती मूरत समान दिख रही थीं। अपर्णा को वह दिन याद आया जब उसने श्रेया की "मालिश" की थी। अपर्णा उठ खड़ी हुई और किवाड़ पार कर वह श्रेया के पास पहुंची। अपर्णा को आते हुए देख श्रेया ने अपनी बाँहें फैलायीं और अपर्णा को अपनी बाँहों में घेर लिया और फिर प्यार भरे शब्दों में बोली, 'अपर्णा कैसी हो? मेरे पति ने तुम्हें ज्यादा छेड़ा तो नहीं ना?" अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "दीदी झूठ नहीं बोलूंगी। जितना छेड़ना चाहिए था उतना छेड़ा। बस ज्यादा नहीं। पर मेरी छोडो अपनी बताओ। मेरे पति ने आपके साथ कुछ किया की नहीं?" श्रेया ने कहा, "बस मेरा भी कुछ वैसा ही जवाब है। थोड़ा सा ही फर्क है। तुम्हारे पति ने जितना कुछ करना था सब कर लिया, कुछ छोड़ा नहीं। अरी! तेरे शौहर तो बड़े ही रंगीले हैं यार! तेरी तो रोज मौज होती होगी। इतने गंभीर और परिपक्व दिखने वाले रोहित इतने रोमांटिक हो सकते हैं, यह तो मैंने सोचा तक नहीं था।" अपर्णा अपने पति की किसी और खूबसूरत स्त्री से प्रशंशा सुनकर उसे मुश्किल से हजम कर पायी। पर अब तो आगे बढ़ना ही था।
जब जीतूजी की हलकी आवाज का कोई असर नहीं हुआ तब जीतूजी रोहित के सिरहाने के पास गए और थोड़ी सख्ती और थोड़े मजाक के अंदाज में रोहित से कहा, "दोपहर का आप दोनों के मिलन का कार्यक्रम पूरा हुआ नहीं क्या? उठो, अब आप एक सेना के कैंप में हैं। आप को कुछ नियम पालन करने होंगें। सुबह साढ़े चार बजे उठना पडेगा। उठकर नित्य नियम से निपट कर सबको कुछ योग और हलकी फुलकी कसरत करनी पड़ेगी। चलो जल्दी तैयार हो जाओ। ठीक छे बजे प्रोग्रम शुरू हो जाएगा। मैं जा रहा हूँ। आप तैयार हो कर मैदान में पहुंचिए।" जीतूजी का करारा फरमान सुनकर अपर्णा चौंक कर उठ गयी। उसने जीतूजी को पलंग के पास में ही पूरा आर्मी यूनिफार्म में पूरी तरह से सुसज्ज खड़ा पाया। जीतूजी आर्मी यूनिफार्म में सटीक, शशक्त और बड़े ही प्यारे लग रहे थे। अपर्णा ने मन ही मन उनकी बलाइयाँ लीं। अपर्णा ने एक हाथ से जीतूजी को सलूट करते हुए कहा, "आप चलिए। आपको कई काम करने होंगें। हम समय पर पहुँच जाएंगे।"
चंद मिनटों में ही रोहित उठ खड़े हुए हुए और वाशरूम की और भागे। अपर्णा ने देखा की श्रेया नहा कर बाहर निकल रही थीं। तौलिये में लिपटी हुई वह सुंदरता की जीती जागती मूरत समान दिख रही थीं। अपर्णा को वह दिन याद आया जब उसने श्रेया की "मालिश" की थी। अपर्णा उठ खड़ी हुई और किवाड़ पार कर वह श्रेया के पास पहुंची। अपर्णा को आते हुए देख श्रेया ने अपनी बाँहें फैलायीं और अपर्णा को अपनी बाँहों में घेर लिया और फिर प्यार भरे शब्दों में बोली, 'अपर्णा कैसी हो? मेरे पति ने तुम्हें ज्यादा छेड़ा तो नहीं ना?" अपर्णा ने शर्माते हुए कहा, "दीदी झूठ नहीं बोलूंगी। जितना छेड़ना चाहिए था उतना छेड़ा। बस ज्यादा नहीं। पर मेरी छोडो अपनी बताओ। मेरे पति ने आपके साथ कुछ किया की नहीं?" श्रेया ने कहा, "बस मेरा भी कुछ वैसा ही जवाब है। थोड़ा सा ही फर्क है। तुम्हारे पति ने जितना कुछ करना था सब कर लिया, कुछ छोड़ा नहीं। अरी! तेरे शौहर तो बड़े ही रंगीले हैं यार! तेरी तो रोज मौज होती होगी। इतने गंभीर और परिपक्व दिखने वाले रोहित इतने रोमांटिक हो सकते हैं, यह तो मैंने सोचा तक नहीं था।" अपर्णा अपने पति की किसी और खूबसूरत स्त्री से प्रशंशा सुनकर उसे मुश्किल से हजम कर पायी। पर अब तो आगे बढ़ना ही था।