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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
रोहितको दोनों हाथों में लड्डू नजर रहे थे। बिस्तर में वह अपनी बीबी को चोदेंगे और कहीं और मौक़ा मिला तो श्रेया को। दोपहर का खाना खाने के बाद अलग अलग वजह से दोनों ही कपल थके हुए थे। डाइनिंग हॉल से वापस आते ही श्रेया और जीतूजी अपने पलंग पर और रोहित और अपर्णा अपने पलंग पर ढेर हो कर गिर पड़े और फ़ौरन गहरी नींद सो गए। बिच का किवाड़ खुला ही था।


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शामको छे बजे स्वागत और परिचय का कार्यक्रम था और साथ में सब मेहमानों को अगले सात दिन के प्रोग्राम से अवगत कराना था। उसके बाद खुले में कैंप फायर (एक आग की धुनि) के इर्दगिर्द कुछ ड्रिंक्स (शराब या जूस इत्यादि) और नाच गाना और फिर आखिर में खाना। शाम के पांच बजने वाले थे। सबसे पहले जीतूजी उठे। चुपचाप वह हलके पाँव वाशरूम में जाने के लिए तैयार हुए। उन्होंने अपने पत्नीकी और देखा। वह अपने गाउन में गहरी नींद सोई हुई बड़ी ही सुन्दर लग रही थी। श्रेया के घने बाल पुरे सिरहाने पर फैले हुए थे। उसका चेहरा एक संतुष्टि वाला, कभी हलकी सी मुस्कान भरा सुन्दर प्यारा दिख रहा था। जीतूजी के मन में विचार आया की कहीं उस झरने के वाटर फॉल के पीछे रोहितने उनकी बीबी को चोदा तो नहीं होगा? विचार आते ही वह मन ही मन मुस्काये। हो सकता है रोहित और श्रेया ने उस दोपहर अच्छी खासी चुदाई की होगी। क्यूंकि श्रेया और रोहित काफी कुछ ज्यादा ही दोस्ताना से एक दूसरे घुलमिल रहे थे। जीतूजी के मन में स्वाभाविक रूपसे कुछ जलन का भाव तो हुआ, पर उन्होंने एक ही झटके में उसको निकाल फेंका। वह श्रेया को बेतहाशा प्यार करते थे। श्रेया सिर्फ उनकी पत्नी ही नहीं थी। उनकी दोस्त भी थी। और प्यार में और दोस्ती में हम अपनों पर अपना अधिकार नहीं प्यार जताते हैं। हम अपनी ख़ुशी से ज्यादा अपने प्यारे की खुशी के बारे में ही सोचते हैं।

खुले हुए किवाड़ के दूसरी और जब जीतूजी ने नजर की तो देखा की रोहित अपनीं बीबी को अपनी बाँहों में घेरे हुए गहरी नींद में सो रहे थे। अपर्णा अपने पति की बाँहों में पूरी तरह से उन्मत्त हो कर निद्रा का आनंद ले रही थी। जीतूजी फुर्ती से वाशरूम में गए और चंद मिनटों में ही तैयार हो कर बाहर आये। उन्होंने फिर अपनी पत्नी को जगाया। श्रेया आखिर एक फौजी की बीबी थी। जीतूजी की एक हलकी आवाज से ही वह एकदम बैठ गयी। अपने पति को तैयार देख वह भी वाशरूम की और तैयार होने के लिए अपने कपडे लेकर भागी। जीतूजी हलके से चलकर बिच वाले खुले किवाड़ से अपने कमरे से रोहित और अपर्णा के कमरे में आये। जीतूजी ने रोहित और अपर्णा के पलंग में बदहाल गहरी नींद में लेटी हुई अपर्णा को देखा। अपर्णा का गाउन ऊपर उसकी जाँघों तक गया था। अगर थोड़ा झुक कर टेढ़ा होकर दो जाँघों के बिच में देखा जाये तो शायद अपर्णा की चूत भी दिख जाए। बस उसकी चूत के कुछ निचे तक गाउन चढ चुका था। अपर्णा की दो जाँघों के बिच में गाउन के अंदर कुछ अँधेरे के कारण गाउन अपर्णा की प्यारी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहा था। यह जाहिर था की अपर्णा ने गाउन के अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। जीतूजी को बेहाल लेटी हुई अपर्णा पर बहुत सा प्यार रहा था। पता नहीं उन्हें इससे पहले कभी किसी औरत पर ऐसा आत्मीयता वाला भाव नहीं हुआ था। वह अपर्णा को भले ही चोद ना पाएं पर अपर्णा से साथ सो कर सारी सारी रात प्यार करने की उनके मन में बड़ी इच्छा थी। उन्होंने जो कुछ भी थोड़ा सा वक्त अपर्णा को अपनी बाँहों में लेकर गुजारा था वह वक्त उनके लिए अमूल्य था। अपर्णा के बदन के स्पर्श की याद आते ही जीतूजी के शरीर में एक कम्पन सी सिहरन दौड़ गयी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:28 PM



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