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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
जीतूजी ने सारी इधर उधर की बातों पर ध्यान ना देते हुए कहा, "देखो अपर्णा, तैरने का एक मूलभूत सिद्धांत समझो। जब आप पानी में जाते हो तो यह समझलो की पानी आपको अपने अंदर नहीं रखना चाहता। हमारा शरीर पानी से हल्का है। पर हम इसलिए डूबते हैं क्यूंकि हम डूबना नहीं चाहते और इधर उधर हाथ पाँव मारते हैं l पानी की सतह पर अगर आप अपना बदन ढीला छोड़ देंगे और भरोसा रखोगे की पानी आपको डुबाएगा नहीं तो आप डूबेंगे नहीं। इसके बाद सुनियोजित ताल मेल से हाथ और पाँव चलाइये। आप पानी में ना सिर्फ तैरेंगे बल्कि आप पानी को काट कर आगे बढ़ेंगे। यही सुनियोजित तालमेल से हाथ पैर चलाने को ही तैरना कहते हैं।" अपर्णा जीतूजी की बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसे जीतूजी पर बड़ा ही प्यार रहा था। उस समय जीतूजी का पूरा ध्यान अपर्णा को तैराकी सिखाने पर था। मनसे असहाय और दुखी अपर्णा को लेकर जीतूजी फिर से गहरे पानी में पहुँच गए और फिर से अपर्णा को पहले की तरहही प्रैक्टिस करने को कहा। धीरे धीरे अपर्णा का आत्म विश्वास बढ़ने लगा। अपर्णा जीतूजी की कमर छोड़ कर अपने आपको पानी की सतह पर रखना सिख गयी। इस बिच दो घंटे बीत चुके थे। जीतूजी ने अपर्णा को कहा, "आज के लिए इतना ही काफी है। बाकी हम कल करेंगे।" यह कह कर जीतूजी पानी के बाहर आगये और अपर्णा अपना मन मसोसती हुई महिलाओं के शावर रूम में चलीगयी।


##

अपर्णा जब एकपडे बदल कर बाहर निकली तो जीतूजी बाहर नहीं निकले थे। अपर्णा को उसके पति रोहित और श्रेया आते हुए दिखाई दिए। दोनों ही काफी थके हुए लग रहे थे। अपर्णा को अंदाज हो गया की हो सकता है रोहित की मन की चाहत उस दोपहर को पूरी हो गयी थी। श्रेया भी पूरी तरह थकी हुई थी। अपर्णा को देखते ही श्रेया ने अपनी आँखें निचीं करलीं। अपर्णा समझ गयी की पतिदेव ने श्रेया जी की अच्छी खासी चुदाई करी होगी। अपर्णा ने जब अपने पति की और देखा तो उन्होंने ने भी झेंपते हुए जैसे कोई गुनाह किया हो ऐसे अपर्णा से आँख से आँख मिला नहीं पाए। अपर्णा मन ही मन मुस्कुरायी। वह अपने पति के पास गयी और अपनी आवाज और हावभाव में काफी उत्साह लाने की कोशिश करते हुए बोली, "डार्लिंग, जीतूजी ना सिर्फ मैथ्स के बल्कि तैराकी के भी कमालके प्रशिक्षक हैं। मैं आज काफी तैरना सिख गयी।" रोहित ने अपनी पत्नी का हाथ थामा और थोड़ी देर पकडे रखा। फिर बिना कुछ बोले कपडे बदल ने के लिए मरदाना रूम में चले गए।
अब श्रेया और अपर्णा आमने सामने खड़े थे।

श्रेया अपने आपको रोक ना सकी और बोल पड़ी, "अच्छा? मेरे पतिदेवने तुम्हें तैरने के अलावा और कुछ तो नहीं सिखाया ना?" अपर्णा भाग कर श्रेया जी से लिपट गयी और बोली, "दीदी आप ऐसे ताने क्यों मार रही हो? क्या आपको बुरा लगा? अगर ऐसा है तो मैं कभी आपको शिकायत का मौक़ा नहीं दूंगी। मैं जीतूजी के पास फरकुंगी भी नहीं। बस?" श्रेया जी ने अपर्णा को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "पगली, मैं तो तुम्हारी टांग खिंच रही थी। मैं जानती हूँ, मेरे पति तुम्हें तुम्हारी मर्जी बगैर कुछ भी नहीं करेंगे। और तुमने तो मुझे पहले ही बता दिया है। तो फिर मैं चिंता क्यों करूँ? बल्कि मुझे उलटी और चिंता हो रही है। मुझे लग रहा है की कहीं निराशा या निष्फलता का भाव आप और जीतूजी के सम्बन्ध पर हावी ना हो जाए।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:25 PM



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