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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
अपर्णा जीतूजी की नजर अपनी गाँड़ पर फिरती हुई देख कर शर्मा गयी और उसे नजर अंदाज करते हुए उलटा लेटे हुए अपने पाँव काफी ऊपर की और उठाकर पानी की सतह पर जैसे जीतूजी ने बताया था ऐसे पछाड़ने लगी।

पर ऐसा करने से तो जीतूजी को अपर्णा की चूत पर टिकाई हुई अपर्णा की कॉस्टूयूम की पट्टी खिसकती दिखी और एक पल के लिए अपर्णा की खूबसूरत चूत का छोटा सा हिस्सा दिख गया। यह नजारा देख कर जीतूजी का मन डाँवाँडोल हो रहा था। अपर्णा काफी कोशिश करने पर भी पानी की सतह पर ठीक से लेट नहीं पा रही थी और बार बार उसक पाँव जमीन को छू लेते थे। जीतूजी ने बड़ी मुश्किल से अपनी नजर अपर्णा की जाँघों के बिच से हटाई और अपर्णा के पेट के निचे अपना हाथ देकर अपर्णा को ऊपर उठाया। अपर्णा ने वैसे ही अपने पाँव काफी ऊपर तक उठा कर पछाड़ती रही और ना चाहते हुए भी जीतूजी की नजर अपर्णा की चूत के तिकोने हिस्से को बारबार देखने के लिए तड़पती रही। अपर्णा जीतूजी के मन की दुविधा भलीभाँति जानती थी पर खुद भी तो असहाय थी। ऐसे ही कुछ देर तक पानी में हाथ पाँव मारने के बाद जब अपर्णा कुछ देर तक पानी की सतह पर टिकी रह पाने लगी तब जीतूजी ने अपर्णा से कहा, "अब तुम पानी की सतह पर अपना बदन तैरता हुआ रख सकती हो। क्या अब तुम थोड़ा तैरने की कोशिश करने के लिए तैयार हो?"
अपर्णा को पानी से काफी डर लगता था। उसने जीतूजी से लिपट कर कहा, "जैसे आप कहो। पर मुझे पानी से बहुत डर लगता है। आप प्लीज मुझे पकडे रखना।" जीतूजी ने कहा, "अगर मैं तुम्हें पकड़ रखूंगा तो तुम तैरना कैसे सिखोगी? अपनी और से भी तुम्हें कुछ कोशिश तो करनी पड़ेगी ना?" अपर्णा ने कहा, "आप जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करुँगी। अब मेरी जान आप के हाथ में है।" जीतूजी और अपर्णा फिर थोड़े गहरे पानी में गए। अपर्णा का बुरा हाल था। वह जीतूजी की बाँह पकड़ कर तैरने की कोशिश कर रही थी। जीतूजी ने अपर्णा को पहले जैसे ही पानी की सतह पर उलटा लेटने को कहा और पहले ही की तरह पाँव उठाकर पछाड़ने को कहा, साथ साथ में हाथ हिलाकर पानी पर तैरते रहने की हिदायत दी। पहली बार अपर्णा ने जब जीतूजी का हाथ छोड़ा और पानी की सतह पर उलटा लेटने की कोशिश की तो पानी में डूबने लगी। जैसे ही पानी में उसका मुंह चला गया, अपर्णा की साँस फूलने लगी। जब वह साँस नहीं ले पायी और कुछ पानी भी पी गयी तो वह छटपटाई और इधर उधर हाथ मारकर जीतूजी को पकड़ने की कोशिश करने लगी। दोनों हाथोँ को बेतहाशा इधर उधर मारते हुए अचानक अपर्णा के हाथों की पकड़ में जीतूजी की जाँघें गयी। अपर्णा जीतूजी की जाँघों को पकड़ पानी की सतह के ऊपर आने की कोशिश करने लगी और ऐसा करते ही जीतूजी की निक्कर का निचला छोर उसके हाथों में गया। अपर्णा ने छटपटाहट में उसे कस के पकड़ा और खुद को ऊपर उठाने की कोशिश की तो जीतूजी की निक्कर पूरी निचे खिसक गयी और जीतूजी का फुला हुआ मोटा लण्ड अपर्णा के हांथों में गया। जान बचाने की छटपटाहट के मारे अपर्णा ने जीतूजी के लण्ड को कस के पकड़ा और उसे पकड़ कर खुद को ऊपर आने की लिए खिंच कर हिलाने लगी।

अपर्णा के मन में एक तरफ अपनी जान बचाने की छटपटाहट थी तो कहीं ना कहीं जीतूजी का मोटा और काफी लंबा लण्ड हाथों में आने के कारण कुछ अजीब सी उत्तेजना भी थी। जीतूजी ने पानी के निचे अपना लण्ड अपर्णा के हाथों में महसूस किया तो वह उछल पड़े। उन्होंने झुक कर अपर्णा का सर पकड़ा और अपर्णा को पानी से बाहर निकाला। अपर्णा काफी पानी पी चुकी थी। अपर्णा की साँसे फूल रही थीं।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:23 PM



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