26-12-2019, 03:10 PM
श्रेया जानती थी की उस समय अपर्णा के दोनों बूब्स जीतूजी की बाँहों से रगड़ खा रहे होंगे, जीतूजी की नजर अपर्णा की करारी नंगी गाँड़ पर चिपकी हुई होगी। अपर्णा को अपने इतने करीब पाकर जीतूजी का तगड़ा लण्ड कैसे उठ खड़ा हो गया होगा यह सोचना श्रेया के लिए मुश्किल नहीं था। पता नहीं शायद अपर्णा को भी जीतूजी का खड़ा और मोटा लण्ड महसूस हुआ होगा। अपने पति को कोई और औरत से अठखेलियां करते हुए देख कर कुछ पलों के लिए श्रेया के मन में स्त्री सुलभ इर्षा का अजीब भाव उजागर हुआ। यह स्वाभाविक ही था। इतने सालों से अपने पति के शरीर पर उनका स्वामित्व जो था! फिर श्रेया सोचने लगी, "क्या वाकई में उनका अपने पति पर एकचक्र स्वामित्व था?" शायद नहीं, क्यूंकि श्रेया ने स्वयं जीतूजी को कोई भी औरत को चोदने की छूट दे रक्खी थी l पर जहां तक श्रेया जानती थी, शादी के बाद शायद पहली बार जीतूजी के मन में अपर्णा के लिए जो भाव थे ऐसे उसके पहले किसी भी औरत के लिए नहीं आये थे।
अपने पति और रोहित की पत्नी को एकदूसरे के साथ अठखेलियाँ खेलते हुए देख कर जब श्रेया वापस लौटी तो उसे याद आया की रोहित चाहते थे की उसे श्रेया बनना था l श्रेया फिर रोहित को बाँहों में आगयी और बोली, "जाओ और देखो कैसे तुम्हारी बीबी मेरे पति से तैराकी सिख रही है। लगता है वह दोनों तो भूल ही गए हैं की हम दोनों भी यहाँ हैं।" रोहित ने श्रेया की बात को सुनी अनसुनी करते हुए कहा, "उनकी चिंता मत करो। मैं दोनों को जानता हूँ। ना तो वह दोनों कुछ करेंगे और ना वह इधर ही आएंगे। पता नहीं उन दोनों में क्या आपसी तालमेल या समझौता है की कुछ ना करते हुए भी वह एक दूसरे से चिपके हुए ही रहते हैं।" श्रेया ने कहा, "शायद तुम्हारी बीबी मेरे पति से प्यार करने लगी है।" रोहित ने कहा, "वह तो कभी से आपके पति से प्यार करती है। पर आप भी तो मुझसे प्यार करती हो." श्रेया ने रोहित का हाथ झटकते हुए कहा, "अच्छा? आपको किसने कहा की मैं आपसे प्यार करती हूँ?" रोहित ने फिरसे श्रेया को अपनी बाँहों में ले कर ऐसे घुमा दिया जिससे वह उसके पीछे आकर श्रेया की गाँड़ में अपनी निक्कर के अंदर खड़े लण्ड को सटा सके।
फिर श्रेया के दोनों स्तनोँ को अपनी हथेलियों में मसलते हुए रोहित ने श्रेया की गाँड़ के बिच में अपना लण्ड घुसाने की असफल कोशिश करते हुए कहा, "आपकी जाँघों के बिच में से जो पानी रिस रहा है वह कह रहा है।" श्रेया ने कहा, "आपने कैसे देखा की मेरी जाँघों के बिच में से पानी रिस रहा है? मैं तो वैसे भी गीली हूँ।" रोहित ने श्रेया की जाँघों के बिच में अपना हाथ ड़ालते हुए कहा, "मैं कबसे और क्या देख रहा था?" फिर श्रेया की जाँघों के बिच में अपनी हथेली डाल कर उसकी सतह पर हथेली को सहलाते हुए रोहित ने कहा, "यह देखो आपके अंदरसे निकला पानी झरने के पानी से कहीं अलग है। कितना चिकना और रसीला है यह!" यह कहते हुए रोहित अपनी उँगलियों को चाटने लगे। श्रेया रोहित की उंगलियों को अपनी चूत के द्वार पर महसूस कर छटपटा ने लगी। अपनी गाँड़ पर रोहित जी का भारी भरखम लण्ड उनकी निक्कर के अंदर से ठोकर मार रहा था। फिर श्रेया ने वाकई में महसूस किया की उसकी चूत में से झरने की तरह उसका स्त्री रस चू रहा था। वह रोहित की बाँहों में पड़ी उन्माद से सराबोर थी और बेबस होने का नाटक कर ऐसे दिखावा कर रही थीं जैसे रोहित ने उनको इतना कस के पकड़ रक्खा था की वह निकल ना सके।
श्रेया ने दिखावा करते हुए कहा, "रोहितजी छोडो ना?" रोहित ने कहा, "पहले बोलो, रोहित। रोहितजी नहीं।" श्रेया ने जैसे असहाय हो ऐसी आवाज में कहा, "अच्छा भैय्या रोहित! बस? अब तो छोडो?"
अपने पति और रोहित की पत्नी को एकदूसरे के साथ अठखेलियाँ खेलते हुए देख कर जब श्रेया वापस लौटी तो उसे याद आया की रोहित चाहते थे की उसे श्रेया बनना था l श्रेया फिर रोहित को बाँहों में आगयी और बोली, "जाओ और देखो कैसे तुम्हारी बीबी मेरे पति से तैराकी सिख रही है। लगता है वह दोनों तो भूल ही गए हैं की हम दोनों भी यहाँ हैं।" रोहित ने श्रेया की बात को सुनी अनसुनी करते हुए कहा, "उनकी चिंता मत करो। मैं दोनों को जानता हूँ। ना तो वह दोनों कुछ करेंगे और ना वह इधर ही आएंगे। पता नहीं उन दोनों में क्या आपसी तालमेल या समझौता है की कुछ ना करते हुए भी वह एक दूसरे से चिपके हुए ही रहते हैं।" श्रेया ने कहा, "शायद तुम्हारी बीबी मेरे पति से प्यार करने लगी है।" रोहित ने कहा, "वह तो कभी से आपके पति से प्यार करती है। पर आप भी तो मुझसे प्यार करती हो." श्रेया ने रोहित का हाथ झटकते हुए कहा, "अच्छा? आपको किसने कहा की मैं आपसे प्यार करती हूँ?" रोहित ने फिरसे श्रेया को अपनी बाँहों में ले कर ऐसे घुमा दिया जिससे वह उसके पीछे आकर श्रेया की गाँड़ में अपनी निक्कर के अंदर खड़े लण्ड को सटा सके।
फिर श्रेया के दोनों स्तनोँ को अपनी हथेलियों में मसलते हुए रोहित ने श्रेया की गाँड़ के बिच में अपना लण्ड घुसाने की असफल कोशिश करते हुए कहा, "आपकी जाँघों के बिच में से जो पानी रिस रहा है वह कह रहा है।" श्रेया ने कहा, "आपने कैसे देखा की मेरी जाँघों के बिच में से पानी रिस रहा है? मैं तो वैसे भी गीली हूँ।" रोहित ने श्रेया की जाँघों के बिच में अपना हाथ ड़ालते हुए कहा, "मैं कबसे और क्या देख रहा था?" फिर श्रेया की जाँघों के बिच में अपनी हथेली डाल कर उसकी सतह पर हथेली को सहलाते हुए रोहित ने कहा, "यह देखो आपके अंदरसे निकला पानी झरने के पानी से कहीं अलग है। कितना चिकना और रसीला है यह!" यह कहते हुए रोहित अपनी उँगलियों को चाटने लगे। श्रेया रोहित की उंगलियों को अपनी चूत के द्वार पर महसूस कर छटपटा ने लगी। अपनी गाँड़ पर रोहित जी का भारी भरखम लण्ड उनकी निक्कर के अंदर से ठोकर मार रहा था। फिर श्रेया ने वाकई में महसूस किया की उसकी चूत में से झरने की तरह उसका स्त्री रस चू रहा था। वह रोहित की बाँहों में पड़ी उन्माद से सराबोर थी और बेबस होने का नाटक कर ऐसे दिखावा कर रही थीं जैसे रोहित ने उनको इतना कस के पकड़ रक्खा था की वह निकल ना सके।
श्रेया ने दिखावा करते हुए कहा, "रोहितजी छोडो ना?" रोहित ने कहा, "पहले बोलो, रोहित। रोहितजी नहीं।" श्रेया ने जैसे असहाय हो ऐसी आवाज में कहा, "अच्छा भैय्या रोहित! बस? अब तो छोडो?"