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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
यह सुनकर रोहित को बड़ा झटका लगा। रोहित सोचने लगे, बात कहाँ से कहाँ पहुँच गयी? उन्होंने अपने आपको सम्हालते हुए श्रेया के करीब जाकर कहा, "हाँ यह सच है की मैं अपर्णा को बहुत प्यार करता हूँ। तुम भी तो जीतूजी को बहुत प्यार करती हो। बात वह नहीं है l बात यह है की जब हम दोनों अकेले हैं और जब हमें यह डर नहीं की कोई हमें देख ना ले या हमारी बातें सुन ना लें तो फिर क्यों ना हम अपने नकली मिजाज का मुखौटा निकाल फेंके, और असली रूप में जायें? क्यों ना हम कुछ पागलपन वाला काम करें?"

"
अच्छा? तो मियाँ चाहते हैं, की मैं यह जो बिकिनी या एक छोटासा कपडे का टुकड़ा पहन कर तुम्हारे सामने मेरे जिस्म की नुमाइश कर रही हूँ, उससे भी जनाब का पेट नहीं भरा? अब तुम मुझे पूरी नंगी देखना चाहते हो क्या?" शरारत भरी मुस्कान से श्रेया रोहित की और देखा तो पाया की रोहित श्रेया की इतनी सीधी और धड़ल्ले से कही बात सुनकर खिसियानी सी शक्ल से उनकी और देख रहे थे। श्रेया कुछ नहीं बोली और सिर्फ रोहित की और देखते ही रहीं। रोहित ने श्रेया के पीछे आकर श्रेया को अपनी बाहों में ले लिया और श्रेया के पीछे अपना लण्ड श्रेया की गाँड़ से सटा कर बोले, "ऐसे माहौल में मैं श्रेयाजी नहीं श्रेया चाहता हूँ।" श्रेया ने आगे झुक कर रोहित को अपने लण्ड को श्रेया की गाँड़ की दरार में सटाने का पूरा मौक़ा देते हुए रोहित की और पीछे गर्दन घुमाकर देखा, और बोली, "मैं भी तो ऐसे माहौल में इतने बड़े पत्रकार और बुद्धिजीवी को नहीं सिर्फ रोहित ही चाहती हूँ। मैं महसूस करना चाहती हूँ की इतने बड़े सम्मानित व्यक्ति एक औरत की और आकर्षित होते हैं तो उसके सामने कैसे एक पागल आशिक की तरह पेश आते हैं।"

रोहित ने कहा, "और हाँ यह सच है की मैं यह जो कपडे का छोटासा टुकड़ा तुमने पहन रखा है, वह भी तुम्हारे तन पर देखना नहीं चाहता। मैं सिर्फ और सिर्फ, भगवान ने असलियत में जैसा बनाया है वैसी ही श्रेया को देखना चाहता हूँ। और दूसरी बात! मैं यहां कोई विख्यात सम्पादक या पत्रकार नहीं एक आशिक के रूप में ही तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ।" पर श्रेया तो आखिरमें श्रेया ही थी ना? उसने पट से कहा, "यह साफ़ साफ़ कहो ना की तुम मुझे चोदना चाहते हो?" रोहित श्रेया की अक्खड़ बात सुनकर कुछ झेंप से गए पर फिर बोले, "श्रेया, ऐसी बात नहीं है। अगर चुदाई प्यार की ही एक अभिव्यक्ति हो, मतलब प्यार का ही एक परिणाम हो तो उसमें गज़ब की मिठास और आस्वादन होता है l पर अगर चुदाई मात्र तन की आग बुझाने का ही एक मात्र जरिया हो तो वह एक तरफ़ा स्वार्थी ना भी हो तो भी उसमें एक दूसरे की हवस मिटाने के अलावा कोई मिठास नहीं होती।"

रोहित की बात सुन श्रेया मुस्कुरायी। उसने रोहित के हाथों को प्यार से अपने स्तनोँ को सहलाते हुए अनुभव किया। अपने आपको सम्हालते हुए श्रेया ने इधर उधर देखा। वह दोनों वाटर फॉल के दूसरी और जा चुके थे। वहाँ एक छोटा सा ताल था और चारों और पहाड़ ही पहाड़ थे। किनारे खूबसूरत फूलों से सुसज्जित थे। बड़ा ही प्यार भरा माहौल था। रोहित और श्रेया दोनों ही एक छोटी सी गुफा में थे ओर गुफा एक सिरे से ऊपर पूरी खुली थी और सूरज की रौशनी से पूरी तरह उज्जवलित थी। जैसा की जीतूजी ने कहा था, यह जगह ऐसी थी जहां प्यार भरे दिल और प्यासे बदन एक दूसरे के प्यार की प्यास और हवस की भूख बिना झिझक खुले आसमान के निचे मिटा सकते थे। प्यार भरे दिल और वासना से झुलसते हुए बदन पर निगरानी रखने वाला वहाँ कोई नहीं था। अपर्णा और जीतूजी वाटर फॉल के दूसरी और होने के कारण नजर नहीं रहे थे। श्रेया अपनी स्त्री सुलभ जिज्ञासा को रोक नहीं पायी और श्रेया ने वाटर फॉल के निचे जाकर वाटर फॉल के पानी को अपने ऊपर गिरते हुए दूर दूसरे छोर की और नज़र की तो देखा की उसके पति जीतूजी झुके हुए थे और उनकी बाँहों में अपर्णा पानी की परत पर उल्टी लेटी हुई हाथ पाँव मारकर तैरने के प्रयास कर रही थी।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 03:08 PM



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