26-12-2019, 02:59 PM
फिर श्रेया ने अपने पति जीतूजी की और घूम कर कहा, "डार्लिंग, यह तुम्हारी चेली अपर्णा को तैरना भी नहीं आता। अब तुम्हें मैथ्स के अलावा इसे तैरना भी सिखाना पडेगा। तुमने इससे मैथ्स सिखाने की तो कोई फ़ीस नहीं ली थी। पर तैरना सिखाने के लिए फ़ीस जरूर लेना। आप अपर्णा को यहाँ तैरना सिखाओ। मैं और रोहित वाटर फॉल का मजा लेते हैं।" यह कह कर श्रेया आगे चल पड़ी और रोहित को पीछे आने का इशारा किया। श्रेया और रोहित झरने में कूद पड़े और तैरते हुए वाटर फॉल के निचे पहुँच कर उंचाइसे गिरते हुए पानी की बौछारों को अपने बदन पर गिरकर बिखरते हुए अनुभव करने का आनंद ले रहे थे।
हालांकि वह काफी दूर थे और साफ़ साफ़ दिख नहीं रहा था पर अपर्णा ने देखा की श्रेया एक बार तो पानी की भारी धारके कारण लड़खड़ाकर गिर पड़ी और कुछ देर तक पानी में कहीं दिखाई नहीं दीं। उस जगह पानी शायद थोड़ा गहरा होगा। क्यूंकि इतने दूरसे भी रोहित के चेहरे पर एक अजीब परेशानी और भय का भाव अपर्णा को दिखाई दिया। अपर्णा स्वयं परेशान हो गयी की कहीं श्रेया डूबने तो नहीं लगीं। पर कुछ ही पलों में अपर्णा ने चैन की साँस तब ली जब जोर से इठलाते हँसते हुए श्रेया ने पानी के अंदर से अचानक ही बाहर आकर रोहित का हाथ पकड़ा और कुछ देर तक दोनों पानी में गायब हो गए। अपर्णा यह जानती थी की श्रेया एक दक्ष तैराक थीं। यह शिक्षा उन्हें अपने पति जीतूजी से मिली थी। अपर्णा ने सूना था की जीतूजी तैराकी में अव्वल थे। उन्होंने कई आंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में इनाम भी पाए थे। अपर्णा ने जीतूजी की तस्वीर कई अखबार में और सेना, आंतरराष्ट्रीय खेलकूद की पत्रिकाओं में देखि थी। उस समय अपर्णा गर्व अनुभव कर रही थी की उस दिन उसे ऐसे पारंगत तैराक से तैराकी के कुछ प्राथमिक पाठ सिखने को मिलेंगे। अपर्णा को क्या पता था की कभी भविष्य में उसे यह शिक्षा बड़ी काम आएगी।
फिलहाल अपर्णा की आँखें अपने पति और श्रेया जी की जल क्रीड़ा पर टिकी हुई थीं। उनदोनोंकी चालढाल को देखते हुए अपर्णा को यकीन तो नहीं था पर शक जरूर हुआ की उस दोपहर को अगर उन्हें मौक़ा मिला तो उसके पति रोहित उस वाटर फॉल के निचे ही श्रेया की चुदाई कर सकते हैं। यह सोचकर अपर्णाका बदन रोमांचित हो उठा। यह रोमांच उत्तेजना या फिर स्त्री सहज इर्षा के कारण था यह कहना मुश्किल था। अपर्णा के पुरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी। अपर्णा भलीभांति जानती थी की उसके पति अच्छे खासे चुदक्कड़ थे। रोहित को चोदने में महारथ हासिल थी। किसी भी औरत को चोदते समय, वह अपनी औरत को इतना सम्मान और आनंद देते थे की वह औरत एक बार चुदने के बाद उनसे बार बार चुदवाने के लिए बेताब रहती थी। जब अपर्णा के पति रोहित अपनी पत्नी अपर्णा को चोदते थे तो उनसे चुदवाने में अपर्णा को गझब का मजा आता था।
अपर्णा ने कई बार दफ्तर की पार्टियों में लड़कियों को और चंद शादी शुदा औरतों को भी एक दूसरी के कानों में रोहित की चुदाई की तारीफ़ करते हुए सूना था। उस समय उन लड़कियों और औरतों को पता नहीं था की उनके बगल में खड़ीं अपर्णा रोहित की बीबी थी। शायद आज उसके पति रोहित उसी जोरदार जज्बे से श्रेया की भी चुदाई कर सकते हैं, यह सोच कर अपर्णा के मन में इर्षा, उत्तेजना, रोमांच, उन्माद जैसे कई अजीब से भाव हुए। अपर्णा की चूत तो पुरे वक्त झरने की तरह अपना रस बूँद बूँद बहा ही रही थी। अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से कसके जोड़कर अपर्णा उसे छिपानेकी कोशिश कर रही थी ताकि जीतूजी को इसका पता ना चले। अपर्णा झरने के किनारे पहुँचते ही एक बेंच पर जा कर अपनी दोनों टाँगे कस कर एक साथ जोड़ कर बैठ गयी। जीतूजी ने जब अपर्णा को नहाने के लिए पानी में जाने से हिचकिचाते हुए देखा तो बोले, "क्या बात है? वहाँ क्यों बैठी हो? पानीमें आ जाओ।" अपर्णा ने लजाते हुए कहा," जीतूजी, मुझे आपके सामने इस छोटी सी ड्रेस में आते हुए शर्म आती है। और फिर मुझे पानी से भी डर लगता है। मुझे तैरना नहीं आता।"
जीतूजी ने हँसते हुए कहा, "मुझसे शर्म आती है? इतना कुछ होने के बाद अब भी क्या तुम मुझे अपना नहीं समझती?" जब अपर्णा ने जीतूजी की बात का जवाब नहीं दिया तो जीतूजी का चेहरा गंभीर हो गया। वह उठ खड़े हुए और पानी के बाहर आ गए। बेंच पर से तौलिया उठा कर अपना बदन पोंछते हुए कैंप की और जाने के लिए तैयार होते हुए बोले, "अपर्णा देखिये, मैं आपकी बड़ी इज्जत करता हूँ। अगर आप को मेरे सामने आने में और मेरे साथ नहाने में हिचकि-चाहट होती है क्यूंकि आप मुझे अपना करीबी नहीं समझतीं तो मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूँ। मैं यहां से चला जाता हूँ। आप आराम से श्रेया और रोहित के साथ नहाइये और वापस कैंप में आ जाइये। मैं आप सब का वहाँ ही इंतजार करूंगा।" यह कह कर जब जीतूजी खड़े हो कर कैंप की और चलने लगे तब अपर्णा भाग कर जीतूजी के पास पहुंची। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाहों में ले लिया और वह खुद उनकी बाँहों में लिपट गयी। अपर्णा की आँखों से आंसू बहने लगे।
हालांकि वह काफी दूर थे और साफ़ साफ़ दिख नहीं रहा था पर अपर्णा ने देखा की श्रेया एक बार तो पानी की भारी धारके कारण लड़खड़ाकर गिर पड़ी और कुछ देर तक पानी में कहीं दिखाई नहीं दीं। उस जगह पानी शायद थोड़ा गहरा होगा। क्यूंकि इतने दूरसे भी रोहित के चेहरे पर एक अजीब परेशानी और भय का भाव अपर्णा को दिखाई दिया। अपर्णा स्वयं परेशान हो गयी की कहीं श्रेया डूबने तो नहीं लगीं। पर कुछ ही पलों में अपर्णा ने चैन की साँस तब ली जब जोर से इठलाते हँसते हुए श्रेया ने पानी के अंदर से अचानक ही बाहर आकर रोहित का हाथ पकड़ा और कुछ देर तक दोनों पानी में गायब हो गए। अपर्णा यह जानती थी की श्रेया एक दक्ष तैराक थीं। यह शिक्षा उन्हें अपने पति जीतूजी से मिली थी। अपर्णा ने सूना था की जीतूजी तैराकी में अव्वल थे। उन्होंने कई आंतरराष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में इनाम भी पाए थे। अपर्णा ने जीतूजी की तस्वीर कई अखबार में और सेना, आंतरराष्ट्रीय खेलकूद की पत्रिकाओं में देखि थी। उस समय अपर्णा गर्व अनुभव कर रही थी की उस दिन उसे ऐसे पारंगत तैराक से तैराकी के कुछ प्राथमिक पाठ सिखने को मिलेंगे। अपर्णा को क्या पता था की कभी भविष्य में उसे यह शिक्षा बड़ी काम आएगी।
फिलहाल अपर्णा की आँखें अपने पति और श्रेया जी की जल क्रीड़ा पर टिकी हुई थीं। उनदोनोंकी चालढाल को देखते हुए अपर्णा को यकीन तो नहीं था पर शक जरूर हुआ की उस दोपहर को अगर उन्हें मौक़ा मिला तो उसके पति रोहित उस वाटर फॉल के निचे ही श्रेया की चुदाई कर सकते हैं। यह सोचकर अपर्णाका बदन रोमांचित हो उठा। यह रोमांच उत्तेजना या फिर स्त्री सहज इर्षा के कारण था यह कहना मुश्किल था। अपर्णा के पुरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी। अपर्णा भलीभांति जानती थी की उसके पति अच्छे खासे चुदक्कड़ थे। रोहित को चोदने में महारथ हासिल थी। किसी भी औरत को चोदते समय, वह अपनी औरत को इतना सम्मान और आनंद देते थे की वह औरत एक बार चुदने के बाद उनसे बार बार चुदवाने के लिए बेताब रहती थी। जब अपर्णा के पति रोहित अपनी पत्नी अपर्णा को चोदते थे तो उनसे चुदवाने में अपर्णा को गझब का मजा आता था।
अपर्णा ने कई बार दफ्तर की पार्टियों में लड़कियों को और चंद शादी शुदा औरतों को भी एक दूसरी के कानों में रोहित की चुदाई की तारीफ़ करते हुए सूना था। उस समय उन लड़कियों और औरतों को पता नहीं था की उनके बगल में खड़ीं अपर्णा रोहित की बीबी थी। शायद आज उसके पति रोहित उसी जोरदार जज्बे से श्रेया की भी चुदाई कर सकते हैं, यह सोच कर अपर्णा के मन में इर्षा, उत्तेजना, रोमांच, उन्माद जैसे कई अजीब से भाव हुए। अपर्णा की चूत तो पुरे वक्त झरने की तरह अपना रस बूँद बूँद बहा ही रही थी। अपनी दोनों जाँघों को एक दूसरे से कसके जोड़कर अपर्णा उसे छिपानेकी कोशिश कर रही थी ताकि जीतूजी को इसका पता ना चले। अपर्णा झरने के किनारे पहुँचते ही एक बेंच पर जा कर अपनी दोनों टाँगे कस कर एक साथ जोड़ कर बैठ गयी। जीतूजी ने जब अपर्णा को नहाने के लिए पानी में जाने से हिचकिचाते हुए देखा तो बोले, "क्या बात है? वहाँ क्यों बैठी हो? पानीमें आ जाओ।" अपर्णा ने लजाते हुए कहा," जीतूजी, मुझे आपके सामने इस छोटी सी ड्रेस में आते हुए शर्म आती है। और फिर मुझे पानी से भी डर लगता है। मुझे तैरना नहीं आता।"
जीतूजी ने हँसते हुए कहा, "मुझसे शर्म आती है? इतना कुछ होने के बाद अब भी क्या तुम मुझे अपना नहीं समझती?" जब अपर्णा ने जीतूजी की बात का जवाब नहीं दिया तो जीतूजी का चेहरा गंभीर हो गया। वह उठ खड़े हुए और पानी के बाहर आ गए। बेंच पर से तौलिया उठा कर अपना बदन पोंछते हुए कैंप की और जाने के लिए तैयार होते हुए बोले, "अपर्णा देखिये, मैं आपकी बड़ी इज्जत करता हूँ। अगर आप को मेरे सामने आने में और मेरे साथ नहाने में हिचकि-चाहट होती है क्यूंकि आप मुझे अपना करीबी नहीं समझतीं तो मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूँ। मैं यहां से चला जाता हूँ। आप आराम से श्रेया और रोहित के साथ नहाइये और वापस कैंप में आ जाइये। मैं आप सब का वहाँ ही इंतजार करूंगा।" यह कह कर जब जीतूजी खड़े हो कर कैंप की और चलने लगे तब अपर्णा भाग कर जीतूजी के पास पहुंची। अपर्णा ने जीतूजी को अपनी बाहों में ले लिया और वह खुद उनकी बाँहों में लिपट गयी। अपर्णा की आँखों से आंसू बहने लगे।