26-12-2019, 02:58 PM
हालांकि श्रेया का गिला कॉस्च्यूम थोड़ा ज्यादा महिन होने के कारण उनकी दो गोलाकार चॉकलेटी रंग के एरोला के बिच में स्थित फूली हुई गुलाबी निप्पलोँ की झाँखी दे रहा था। श्रेया की नीली आँखें शरारती होते हुए भी उनकी गंभीरता दर्शा रहीं थीं। सबसे ज्यादा कामोत्तेजक श्रेया जी के होँठ थे। उन होँठों को मोड़कर कटाक्ष भरी आँखों से देखने की श्रेया की अदा जवाँ मर्दों के लिए जान लेवा साबित हो सकती थीं। जीतू जी उस बात का जीता जागता उदाहरण थे। दोनों कामिनियाँ अपने हुस्न की कामुकता के जादू से दोनों मर्दों को मन्त्रमुग्ध कर रहीं थीं। रोहित तो श्रेया के बदन से आँखें ऐसे गाड़े हुए थे की अपर्णा ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें हिलाया और कहा, "चलोजी, हम झरने की और चलें?" तब कहीं जा कर रोहित इस धराधाम पर वापस लौटे।
अपर्णा अपने पति रोहित से चिपक कर ऐसे चल रही थी जिससे जीतूजी की नजर उसके आधे नंगे बदन पर ना पड़े। श्रेया को कोई परवाह नहीं थी की रोहित उनके बदन को कैसे ताड़ रहे थे। बल्कि रोहित की सहूलियत के लिए श्रेया अपनी टांगों को फैलाकर बड़े ही सेक्सी अंदाज में अपने कूल्हों को मटका कर चल रही थी जिससे रोहित को वह अपने हुस्न की अदा का पूरा नजारा दिखा सके। रोहित का लण्ड उनकी निक्कर में फर्राटे मारा रहा था। दोनों कामिनियों का जादू दोनों मर्दों के दिमाग में कैसा नशा भर रहा था वह रोहित ने देखा भी और महसूस भी किया। रोहित बार बार अपनी निक्कर एडजस्ट कर अपने लण्ड को सीधा और शांत रखनेकी नाकाम कोशिश कर रहेथे। श्रेया जी ने उनसे काफी समय से कुछ भी बात नहीं की थी। इस वजह से उन्हें लगा था की शायद श्रेया उनसे नाराज थीं। रोहित जानने के लिए बेचैन थे की क्या वजह थी की श्रेया उनसे बात नहीं कर रही थी।
जैसे ही श्रेया झरनेकी ओर चल पड़ी, रोहित जी भी अपर्णा को छोड़ कर भाग कर श्रेया के पीछे दौड़ते हुए चल दिए और श्रेया के साथ में चलते हुए झरने के पास पहुंचे। अपर्णा अपने पति के साथ चल रही थी। पर अपने पति रोहित को अचानक श्रेया के पीछे भागते हुए देख कर उसे अकेले ही चलना पड़ा। अपर्णा के बिलकुल पीछे जीतूजी आ रहे थे। अपर्णा जानती थी की उसके पीछे चलते हुए जीतूजी चलते चलते अपर्णा के मटकते हुए नंगे कूल्हों का आनंद ले रहे होंगे। अपर्णा सोच रही थी पता नहीं उस की नंगी गाँड़ देख कर जीतूजी के मन में क्या भाव होते होंगे? पर बेचारी अपर्णा, करे तो क्या करे? उसी ने तो सबको यहाँ आकर नहाने के लिए बाध्य किया था। अपर्णा भलीभांति जानती थी की जीतूजी भले कहें या ना कहें, पर वह उसे चोदने के लिए बेताब थे। अपर्णा ने भी जीतूजी के लण्ड जैसा लण्ड कभी देखा क्या सोचा भी नहीं था। कहीं ना कहीं उसके मन में भी जीतूजी के जैसा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूतमें लेने की ख्वाहिश जबरदस्त उफान मार रही थी। अपर्णा के मन में जीतूजी के लिए इतना प्यार उमड़ रहा था की अगर उसकी माँ के वचन ने उसे रोका नहीं होता तो वह शायद तब तक जीतूजी से चुदवा चुदवा कर गर्भवती भी हो गयी होती।
आगे आगे श्रेया उनके बिलकुल पीछे श्रेया से सटके ही रोहित, कुछ और पीछे अपर्णा और आखिर में जीतूजी चल पड़े। थोड़ी पथरीली और रेती भरी जमीन को पार कर वह सब झरने की और जा रहे थे। रोहित ने श्रेया से पूछा, "आखिर बात क्या है श्रेया? आप मुझसे नाराज हैं क्या?" श्रेया जी ने बिना पीछे मुड़े जवाब दिया, "भाई, हम कौन होते हैं, नाराज होने वाले?" रोहित ने पीछे देखा तो अपर्णा और जीतूजी रुक कर कुछ बात कर रहे थे। रोहित ने एकदम श्रेया का हाथ थामा और रोका और पूछा, "क्या बात है, श्रेया? प्लीज बताइये तो सही?" श्रेया की मन की भड़ास आखिर निकल ही गयी। उन्होंने कहा, "हाँ और नहीं तो क्या? आपको क्या पड़ी है की आप सोचें की कोई आपका इंतजार कर रहा है या नहीं? भाई जिसकी बीबी अपर्णा के जैसी खुबसुरत हो उसे किसी दूसरी ऐसी वैसी औरत की और देखने की क्या जरुरत है?" रोहित ने श्रेया का हाथ पकड़ा और दबाते हुए बोले, "साफ़ साफ़ बोलिये ना क्या बात है?" श्रेया ने कहा, "साफ़ क्या बोलूं? क्या मैं सामने चल कर यह कहूं, की आइये, मेरे साथ सोइये? मुझे चोदिये?" रोहित का यह सुनकर माथा ठनक गया। श्रेया क्या कह रहीं थीं? उतनी देर में वह झरने के पास पहुँच गए थे, और पीछे पीछे अपर्णा और जीतूजी भी आ रहे थे।
श्रेया ने रोहित की और देखा और कहा, "अभी कुछ मत बोलो। हम तैरते तैरते झरने के उस पार जाएंगे। तब अपर्णा और जीतूजी से दूर कहीं बैठ कर बात करेंगे।"
अपर्णा अपने पति रोहित से चिपक कर ऐसे चल रही थी जिससे जीतूजी की नजर उसके आधे नंगे बदन पर ना पड़े। श्रेया को कोई परवाह नहीं थी की रोहित उनके बदन को कैसे ताड़ रहे थे। बल्कि रोहित की सहूलियत के लिए श्रेया अपनी टांगों को फैलाकर बड़े ही सेक्सी अंदाज में अपने कूल्हों को मटका कर चल रही थी जिससे रोहित को वह अपने हुस्न की अदा का पूरा नजारा दिखा सके। रोहित का लण्ड उनकी निक्कर में फर्राटे मारा रहा था। दोनों कामिनियों का जादू दोनों मर्दों के दिमाग में कैसा नशा भर रहा था वह रोहित ने देखा भी और महसूस भी किया। रोहित बार बार अपनी निक्कर एडजस्ट कर अपने लण्ड को सीधा और शांत रखनेकी नाकाम कोशिश कर रहेथे। श्रेया जी ने उनसे काफी समय से कुछ भी बात नहीं की थी। इस वजह से उन्हें लगा था की शायद श्रेया उनसे नाराज थीं। रोहित जानने के लिए बेचैन थे की क्या वजह थी की श्रेया उनसे बात नहीं कर रही थी।
जैसे ही श्रेया झरनेकी ओर चल पड़ी, रोहित जी भी अपर्णा को छोड़ कर भाग कर श्रेया के पीछे दौड़ते हुए चल दिए और श्रेया के साथ में चलते हुए झरने के पास पहुंचे। अपर्णा अपने पति के साथ चल रही थी। पर अपने पति रोहित को अचानक श्रेया के पीछे भागते हुए देख कर उसे अकेले ही चलना पड़ा। अपर्णा के बिलकुल पीछे जीतूजी आ रहे थे। अपर्णा जानती थी की उसके पीछे चलते हुए जीतूजी चलते चलते अपर्णा के मटकते हुए नंगे कूल्हों का आनंद ले रहे होंगे। अपर्णा सोच रही थी पता नहीं उस की नंगी गाँड़ देख कर जीतूजी के मन में क्या भाव होते होंगे? पर बेचारी अपर्णा, करे तो क्या करे? उसी ने तो सबको यहाँ आकर नहाने के लिए बाध्य किया था। अपर्णा भलीभांति जानती थी की जीतूजी भले कहें या ना कहें, पर वह उसे चोदने के लिए बेताब थे। अपर्णा ने भी जीतूजी के लण्ड जैसा लण्ड कभी देखा क्या सोचा भी नहीं था। कहीं ना कहीं उसके मन में भी जीतूजी के जैसा मोटा और लंबा लण्ड अपनी चूतमें लेने की ख्वाहिश जबरदस्त उफान मार रही थी। अपर्णा के मन में जीतूजी के लिए इतना प्यार उमड़ रहा था की अगर उसकी माँ के वचन ने उसे रोका नहीं होता तो वह शायद तब तक जीतूजी से चुदवा चुदवा कर गर्भवती भी हो गयी होती।
आगे आगे श्रेया उनके बिलकुल पीछे श्रेया से सटके ही रोहित, कुछ और पीछे अपर्णा और आखिर में जीतूजी चल पड़े। थोड़ी पथरीली और रेती भरी जमीन को पार कर वह सब झरने की और जा रहे थे। रोहित ने श्रेया से पूछा, "आखिर बात क्या है श्रेया? आप मुझसे नाराज हैं क्या?" श्रेया जी ने बिना पीछे मुड़े जवाब दिया, "भाई, हम कौन होते हैं, नाराज होने वाले?" रोहित ने पीछे देखा तो अपर्णा और जीतूजी रुक कर कुछ बात कर रहे थे। रोहित ने एकदम श्रेया का हाथ थामा और रोका और पूछा, "क्या बात है, श्रेया? प्लीज बताइये तो सही?" श्रेया की मन की भड़ास आखिर निकल ही गयी। उन्होंने कहा, "हाँ और नहीं तो क्या? आपको क्या पड़ी है की आप सोचें की कोई आपका इंतजार कर रहा है या नहीं? भाई जिसकी बीबी अपर्णा के जैसी खुबसुरत हो उसे किसी दूसरी ऐसी वैसी औरत की और देखने की क्या जरुरत है?" रोहित ने श्रेया का हाथ पकड़ा और दबाते हुए बोले, "साफ़ साफ़ बोलिये ना क्या बात है?" श्रेया ने कहा, "साफ़ क्या बोलूं? क्या मैं सामने चल कर यह कहूं, की आइये, मेरे साथ सोइये? मुझे चोदिये?" रोहित का यह सुनकर माथा ठनक गया। श्रेया क्या कह रहीं थीं? उतनी देर में वह झरने के पास पहुँच गए थे, और पीछे पीछे अपर्णा और जीतूजी भी आ रहे थे।
श्रेया ने रोहित की और देखा और कहा, "अभी कुछ मत बोलो। हम तैरते तैरते झरने के उस पार जाएंगे। तब अपर्णा और जीतूजी से दूर कहीं बैठ कर बात करेंगे।"