26-12-2019, 02:53 PM
जब कर्नल साहब ने पहरेदार से पूछा की टैक्सी ड्राइवर क्या पूछ रहा था तो पहरेदार ने कहा की वह कर्नल साहब और दूसरों के प्रोग्राम के बारेमें पूछ रहा था। पहरेदार ने बताया की उसे कुछ पता नहीं था और नाही वह कुछ बता सकता था। कुछ देर तक बात करने के बाद ड्राइवर कहीं चला गया। जब कर्नल साहब ने पूछा की क्या वह पहरेदार उस ड्राइवर को जानता था। तब पहरेदार ने कहा की वह उस ड्राइवर को नहीं जानता था। ड्राइवर कहीं बाहर का ही लग रहाथा। जब कर्नल साहब ने और पूछा की क्या आगे कोई गांव है, तो पहरेदार ने बताया की वह रास्ता कैंप में आकर ख़तम हो जाता था। आगे कोई गाँव नहीं था।
कर्नल साहब बड़ी उलझन में ड्राइवर के बारे में सोचते हुए जब रजिस्ट्रेशन कार्यालय वापस आये तब रोहित ने जीतूजी को गहरी सोच में देखते हुए पाया तो पूछा की क्या बात थी की जीतूजी इतने परेशान थे? जीतूजी ने कहा की ड्राइवर बड़े अजीब तरीके से व्यवहार कर रहा था। ड्राइवर ऐसे पूछताछ कर रहा था जैसे उसको कुछ खबर हासिल करनी हो। कर्नल साहब ने यह भी कहा की जम्मू स्टेशन पर उनको जो मालाएं पहनाई गयीं और फोटो खींची गयी, वैसा कोई प्रोग्राम कैंप की तरफ से नहीं किया गया था। जीतूजी की समझ में यह नहीं आ रहा था की ऐसा कौन कर सकता है और क्यों? पर उसका कोई जवाब नहीं मिल रहा था।
रोहित ने तर्क किया की हो सकता है की कोई ग़लतफ़हमी से ऐसा हुआ। जीतूजी ने सोचते सोचते सर हिलाया और कहा, "यह एक इत्तेफाक या संयोग हो सकता है। पर पिछले कुछ दिनों में काफी इत्तेफ़ाक़ हो रहे हैं। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। मैं उंम्मीद करता हूँ की यह इत्तेफ़ाक़ ही हो। पर हो सकता है की इसमें कोई सुनियोजित चाल भी हो। सोचना पडेगा।" कर्नल साहब यह कह कर रीसेप्प्शन की और कमरे की व्यवस्था करने के लिए चल पड़े। रोहित और अपर्णा की समझ में कुछ नहीं आया। सब रिसेप्शन की और चल पड़े। जीतूजी ने दो कमरे का एक सूट बुक कराया था। सूट में एक कॉमन ड्राइंग रूम था और दोनों बैडरूम के बिच एक दरवाजा था। आप एक रूम से दूसरे रूम में बिना बाहर गए जा सकते हो ऐसी व्यवस्था थी। दोनों बैडरूम में अटैच्ड बाथरूम था। कमरे की खिड़कियों से कुदरत का नजारा साफ़ दिख रहा था। अपर्णा ने खिड़की से बाहर देखा तो देखती ही रह गयी। इतना खूबसूरत नजारा उसने पहले कभी नहीं देखा था। अपर्णा ने बड़ी ही उत्सुकता से श्रेया को बुलाया और दोनों हिमालय की बर्फीली चोटियों को देखने में मशगूल हो गए। रोहित पलंग पर बैठे बैठे दोनों महिलाओं की छातियोँ में स्थित चोटियों को और उनके पिछवाड़े की गोलाइयोँ के नशीले नजारों को देखने में मशगूल थे। जीतूजी उसी पलंग के दूसरे छोर पर बैठे बैठे गहराई से कुछ सोचने में व्यस्त थे।
रोहित ने श्रेया कैंप के बिलकुल नजदीक में ही एक बहुत ही खूबसूरत झरना बह रहा था उसे दिखाते हुए कहा, "श्रेया यह कितना सुन्दर झरना है। यह झरना उस वाटर फॉल से पैदा हुआ है। काश हमलोग वहाँ जा कर उसमें नहा सकते।"
कर्नल साहब बड़ी उलझन में ड्राइवर के बारे में सोचते हुए जब रजिस्ट्रेशन कार्यालय वापस आये तब रोहित ने जीतूजी को गहरी सोच में देखते हुए पाया तो पूछा की क्या बात थी की जीतूजी इतने परेशान थे? जीतूजी ने कहा की ड्राइवर बड़े अजीब तरीके से व्यवहार कर रहा था। ड्राइवर ऐसे पूछताछ कर रहा था जैसे उसको कुछ खबर हासिल करनी हो। कर्नल साहब ने यह भी कहा की जम्मू स्टेशन पर उनको जो मालाएं पहनाई गयीं और फोटो खींची गयी, वैसा कोई प्रोग्राम कैंप की तरफ से नहीं किया गया था। जीतूजी की समझ में यह नहीं आ रहा था की ऐसा कौन कर सकता है और क्यों? पर उसका कोई जवाब नहीं मिल रहा था।
रोहित ने तर्क किया की हो सकता है की कोई ग़लतफ़हमी से ऐसा हुआ। जीतूजी ने सोचते सोचते सर हिलाया और कहा, "यह एक इत्तेफाक या संयोग हो सकता है। पर पिछले कुछ दिनों में काफी इत्तेफ़ाक़ हो रहे हैं। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा। मैं उंम्मीद करता हूँ की यह इत्तेफ़ाक़ ही हो। पर हो सकता है की इसमें कोई सुनियोजित चाल भी हो। सोचना पडेगा।" कर्नल साहब यह कह कर रीसेप्प्शन की और कमरे की व्यवस्था करने के लिए चल पड़े। रोहित और अपर्णा की समझ में कुछ नहीं आया। सब रिसेप्शन की और चल पड़े। जीतूजी ने दो कमरे का एक सूट बुक कराया था। सूट में एक कॉमन ड्राइंग रूम था और दोनों बैडरूम के बिच एक दरवाजा था। आप एक रूम से दूसरे रूम में बिना बाहर गए जा सकते हो ऐसी व्यवस्था थी। दोनों बैडरूम में अटैच्ड बाथरूम था। कमरे की खिड़कियों से कुदरत का नजारा साफ़ दिख रहा था। अपर्णा ने खिड़की से बाहर देखा तो देखती ही रह गयी। इतना खूबसूरत नजारा उसने पहले कभी नहीं देखा था। अपर्णा ने बड़ी ही उत्सुकता से श्रेया को बुलाया और दोनों हिमालय की बर्फीली चोटियों को देखने में मशगूल हो गए। रोहित पलंग पर बैठे बैठे दोनों महिलाओं की छातियोँ में स्थित चोटियों को और उनके पिछवाड़े की गोलाइयोँ के नशीले नजारों को देखने में मशगूल थे। जीतूजी उसी पलंग के दूसरे छोर पर बैठे बैठे गहराई से कुछ सोचने में व्यस्त थे।
रोहित ने श्रेया कैंप के बिलकुल नजदीक में ही एक बहुत ही खूबसूरत झरना बह रहा था उसे दिखाते हुए कहा, "श्रेया यह कितना सुन्दर झरना है। यह झरना उस वाटर फॉल से पैदा हुआ है। काश हमलोग वहाँ जा कर उसमें नहा सकते।"