26-12-2019, 02:39 PM
गौरव अंकिता के शर्माने से मसुकुरा उठे और अंकिता की ठुड्डी अपनी उँगलियों में दबा कर बोले, " जानेमन बात की शुरुआत तो तुमने ही की थी। बड़ा है छोटा है, आजसे यह सिर्फ तुम्हारा है।"
एक हाथ से अंकिता गौरव के नंगे लण्ड को सहला रही थी और दोनों हाथों से गौरव अंकिता के दो गुम्बजों पर अपनी उँगलियाँ और हथेली घुमा रहा था और बार बार अंकिता की निप्पलों को पिचका रहा था। अंकिता ने सोचा की वह समय और जगह चुदाई करने लायक नहीं थी। कोई भी उन्हें पर्दा हटा कर देख सकता था। दूसरी बात यह भी थी की अंकिता जब मूड़ में होती थी तब चुदाई करवाते समय उसे जोर से कराहने की आदत थी। उस रात एकदम सन्नाटे सी ट्रैन में शोर करना खतरनाक हो सकता था।
अंकिता ने गौरव का लण्ड अपनी हथेली में लेकर उसे जोर से हिलाना शुरू किया। अंकिता ने गौरव से कहा, "अब तुम कुछ बोलना मत। चुपचाप पड़े रहो। तुम्हें आज रात कोई परिश्रम करने की जरुरत नहीं है। प्लीज मेरी बात मानो। आज रात को हम कुछ नहीं करेंगे। गौरव मैं तुम्हारी हूँ। अब तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं तुम्हारी गर्मी निकाल देती हूँ। ओके? मैंने तुम्हें वचन दिया है की मौक़ा मिलते ही मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी और हम वह सब कुछ करेंगे जो तुम चाहते हो। पर इस वक्त और कोई बात नहीं बस लेटे रहो।"
अंकिता ने गौरव के लण्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। कुछ ही देर में गौरव का बदन अकड़ने लगा। गौरव अपनी आँखे भींच कर अंकिता के हाथ का जादू अपने लण्ड पर महसूस कर रहा था। गौरव से ज्यादा देर रहा नहीं गया। कुछ ही देर में गौरव के लण्ड से उसके वीर्य की पिचकारी फुट पड़ी और अंकिता का हाथ गौरव के वीर्य से लथपथ हो गया।
एक हाथ से अंकिता गौरव के नंगे लण्ड को सहला रही थी और दोनों हाथों से गौरव अंकिता के दो गुम्बजों पर अपनी उँगलियाँ और हथेली घुमा रहा था और बार बार अंकिता की निप्पलों को पिचका रहा था। अंकिता ने सोचा की वह समय और जगह चुदाई करने लायक नहीं थी। कोई भी उन्हें पर्दा हटा कर देख सकता था। दूसरी बात यह भी थी की अंकिता जब मूड़ में होती थी तब चुदाई करवाते समय उसे जोर से कराहने की आदत थी। उस रात एकदम सन्नाटे सी ट्रैन में शोर करना खतरनाक हो सकता था।
अंकिता ने गौरव का लण्ड अपनी हथेली में लेकर उसे जोर से हिलाना शुरू किया। अंकिता ने गौरव से कहा, "अब तुम कुछ बोलना मत। चुपचाप पड़े रहो। तुम्हें आज रात कोई परिश्रम करने की जरुरत नहीं है। प्लीज मेरी बात मानो। आज रात को हम कुछ नहीं करेंगे। गौरव मैं तुम्हारी हूँ। अब तुम चुपचाप लेटे रहो। मैं तुम्हारी गर्मी निकाल देती हूँ। ओके? मैंने तुम्हें वचन दिया है की मौक़ा मिलते ही मैं तुम्हारे पास आ जाउंगी और हम वह सब कुछ करेंगे जो तुम चाहते हो। पर इस वक्त और कोई बात नहीं बस लेटे रहो।"
अंकिता ने गौरव के लण्ड को जोर से हिलाना शुरू किया। कुछ ही देर में गौरव का बदन अकड़ने लगा। गौरव अपनी आँखे भींच कर अंकिता के हाथ का जादू अपने लण्ड पर महसूस कर रहा था। गौरव से ज्यादा देर रहा नहीं गया। कुछ ही देर में गौरव के लण्ड से उसके वीर्य की पिचकारी फुट पड़ी और अंकिता का हाथ गौरव के वीर्य से लथपथ हो गया।