26-12-2019, 01:56 PM
वह गौरव की बात का जवाब नहीं दे पायी। अंकिता समझ गयी थी की गौरव का इशारा किस और है। शायद गौरव उसके साथ जिंदगी बिताने की बात कर रहे थे। अंकिताके चेहरे पर उदासी छा गयी। वह जानती थी की वह गौरव की इच्छा पूरी करने में असमर्थ थी। गौरव को पता नहीं था की वह शादी शुदा थी। पर अँधेरे में भी गौरव समझ गए की अंकिता कुछ मायूस सी लग रही थी।गौरव अंकिता की आँखों में झाँक कर उसे देखने लगा।
अंकिता ने पूछा, "क्या देख रहे हो?"
गौरव: "तुम्हारी खूबसूरत आँखें देख रहा हूँ। मैं देख रहा हूँ की मेरी माशूका कुछ मायूस है।"
अंकिता: "क्या तुम इतने अँधेरे में भी मेरी आँखें देख सकते हो? मेरे चेहरे के भाव पढ़ सकते हो? मेरी आँखों में तुम्हें क्या दिख रहा है?"
गौरव: "तुम्हारी आँखों में मैं मेरी सूरत देख रहा हूँ।"
अंकिता शर्माती हुई बोली, "यह बात सच है। मेरी आँखों में, मेरे मन में अभी तुम्हारे सिवा कोई और नहीं है।"
गौरव ने कहा, "कोई और होना भी नहीं चाहिए, क्यूंकि मैं तुमसे बेतहाशा प्यार करने लगा हूँ। मैं नहीं चाहूँगा की मेरी प्यारी जानू और किसी की और मुड़ कर भी देखे।"
अंकिता: "माशा अल्लाह! अभी तो हमें मिले हुए इन मीन चंद घंटे ही हुए हैं और मियाँ मुझे प्यार करने और अपना हक़ जमाने भी लग गए?"
गौरव: "प्यार घंटों का मोहताज नहीं होता, जानेमन! प्यार दिल से दिल के मिलने से होता है।"
अंकिता, "देखो गौरव! आप मेरे बारेमें कुछ भी नहीं जानते। प्यार में कई बार इंसान धोका खा सकता है। तुम्हें मेरे बीते हुए कल के बारे में कुछ भी तो पता नहीं है।"
गौरव, "मैं तुम्हारे बीते हुए कल के बारे में कुछ नहीं जानना चाहता। मैं प्यार में धोका खाने के लिए भी तैयार हूँ।" गौरव की बात सुनकर अंकिता की आँखों में पानी भर आया। पहली बार किसी छैलछबीले नवयुवक ने अंकिता से ऐसी प्यार भरी बात कही थी। उस दिन तक अगर किसी भी युवक ने अंकिता की और देखा था तो सिर्फ हवस की नजर से ही देखा था। पर गौरव तो उसे अपनी जिंदगी की रानी बनाना चाहते थे।
अंकिता ने अपने होँठ गौरव के होँठ से चिपका कर कहा, "आगे की बात बादमें करेंगे। अभी तो मैं तुम्हारी ही हूँ । तुम मुझे प्यार करना चाहते हो ना? तो करो।" फिर अंकिता ने गौरव के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर कहा, "क्या तुम्हें पता है की अभी इस वक्त हम अकेले ही नहीं है जो इस ट्रैन में एक दूसरे से इतने घने प्यार में मशगूल हैं?"
गौरव ने अंकिता की और आश्चर्य से देखा और बोले, "क्या मतलब?"
अंकिता ने कहा, "मैं क्या कहूं? मुझे कहते हुए भी बड़ी शर्म आ रही है। यह जो अपर्णाजी हैं ना? जिन्होंने तुम्हें बचाने की भरसक कोशिश की थी? वह भी काफी तेज निकली! मैंने अभी अभी देखा की पहले उनके बिस्तर में श्रेया के पति कर्नल साहब घुसे हुए थे। पता नहीं कबसे घुसे हुए होंगे और उन्होंने अपर्णा जी के साथ क्या क्या किया होगा? फिर वह बाहर निकल आये तो कुछ देर बाद अभी अभी अपर्णाजी के पति रोहित अपनी पत्नी अपर्णाजी की बर्थ में उनके कम्बल में घुसे हुए हैं। शायद इस वक्त जब हम बात कर रहे हैं तो वह कुछ और कर रहे होंगे।"
गौरव को यह सुनकर अंकिता की बात पर विश्वास नहीं हुआ। वह बोल पड़े, "अंकिता तुम क्या कह रही हो? एक ही रात में दो दो मर्दों से लीला? भाई कमाल है! यह पुरानी पीढ़ी तो हम से भी आगे है!"
फिर कुछ सोच कर बोले, "उनको जो करना है, करने दो। हम अपनी बात करते हैं। हम बात क्यों कर रहे हैं? भाई हम भी तो कुछ करें ना?"
अंकिता ने पूछा, "क्या देख रहे हो?"
गौरव: "तुम्हारी खूबसूरत आँखें देख रहा हूँ। मैं देख रहा हूँ की मेरी माशूका कुछ मायूस है।"
अंकिता: "क्या तुम इतने अँधेरे में भी मेरी आँखें देख सकते हो? मेरे चेहरे के भाव पढ़ सकते हो? मेरी आँखों में तुम्हें क्या दिख रहा है?"
गौरव: "तुम्हारी आँखों में मैं मेरी सूरत देख रहा हूँ।"
अंकिता शर्माती हुई बोली, "यह बात सच है। मेरी आँखों में, मेरे मन में अभी तुम्हारे सिवा कोई और नहीं है।"
गौरव ने कहा, "कोई और होना भी नहीं चाहिए, क्यूंकि मैं तुमसे बेतहाशा प्यार करने लगा हूँ। मैं नहीं चाहूँगा की मेरी प्यारी जानू और किसी की और मुड़ कर भी देखे।"
अंकिता: "माशा अल्लाह! अभी तो हमें मिले हुए इन मीन चंद घंटे ही हुए हैं और मियाँ मुझे प्यार करने और अपना हक़ जमाने भी लग गए?"
गौरव: "प्यार घंटों का मोहताज नहीं होता, जानेमन! प्यार दिल से दिल के मिलने से होता है।"
अंकिता, "देखो गौरव! आप मेरे बारेमें कुछ भी नहीं जानते। प्यार में कई बार इंसान धोका खा सकता है। तुम्हें मेरे बीते हुए कल के बारे में कुछ भी तो पता नहीं है।"
गौरव, "मैं तुम्हारे बीते हुए कल के बारे में कुछ नहीं जानना चाहता। मैं प्यार में धोका खाने के लिए भी तैयार हूँ।" गौरव की बात सुनकर अंकिता की आँखों में पानी भर आया। पहली बार किसी छैलछबीले नवयुवक ने अंकिता से ऐसी प्यार भरी बात कही थी। उस दिन तक अगर किसी भी युवक ने अंकिता की और देखा था तो सिर्फ हवस की नजर से ही देखा था। पर गौरव तो उसे अपनी जिंदगी की रानी बनाना चाहते थे।
अंकिता ने अपने होँठ गौरव के होँठ से चिपका कर कहा, "आगे की बात बादमें करेंगे। अभी तो मैं तुम्हारी ही हूँ । तुम मुझे प्यार करना चाहते हो ना? तो करो।" फिर अंकिता ने गौरव के कानों के पास अपना मुंह ले जा कर कहा, "क्या तुम्हें पता है की अभी इस वक्त हम अकेले ही नहीं है जो इस ट्रैन में एक दूसरे से इतने घने प्यार में मशगूल हैं?"
गौरव ने अंकिता की और आश्चर्य से देखा और बोले, "क्या मतलब?"
अंकिता ने कहा, "मैं क्या कहूं? मुझे कहते हुए भी बड़ी शर्म आ रही है। यह जो अपर्णाजी हैं ना? जिन्होंने तुम्हें बचाने की भरसक कोशिश की थी? वह भी काफी तेज निकली! मैंने अभी अभी देखा की पहले उनके बिस्तर में श्रेया के पति कर्नल साहब घुसे हुए थे। पता नहीं कबसे घुसे हुए होंगे और उन्होंने अपर्णा जी के साथ क्या क्या किया होगा? फिर वह बाहर निकल आये तो कुछ देर बाद अभी अभी अपर्णाजी के पति रोहित अपनी पत्नी अपर्णाजी की बर्थ में उनके कम्बल में घुसे हुए हैं। शायद इस वक्त जब हम बात कर रहे हैं तो वह कुछ और कर रहे होंगे।"
गौरव को यह सुनकर अंकिता की बात पर विश्वास नहीं हुआ। वह बोल पड़े, "अंकिता तुम क्या कह रही हो? एक ही रात में दो दो मर्दों से लीला? भाई कमाल है! यह पुरानी पीढ़ी तो हम से भी आगे है!"
फिर कुछ सोच कर बोले, "उनको जो करना है, करने दो। हम अपनी बात करते हैं। हम बात क्यों कर रहे हैं? भाई हम भी तो कुछ करें ना?"