26-12-2019, 01:55 PM
अंकिता आधा घंटा गहरी नींद सो गयी होगी तब उसने अचानक गौरव की साँसे अपने नाक पर महसूस की। आँखें खुली तो अंकिता ने पाया की वह निचे की बर्थ पर गौरव की बाहों में थी। गौरव उसे टकटकी लगा कर देख रहा था। सारे पर्दे बंद किये हुए थे। अंकिता के पतले बदन को गौरव ने अपनी दो टांगों में जकड रखा था और गौरव की गौरव बाँहें अंकिता की पीठ पर उसे जकड़े हुए लिपटी हुई थीं। गौरव ने अंकिता को अपने ऊपर सुला दिया था। दोनों के बदन चद्दर और कम्बल से पूरी तरह ढके हुए थे। अंकिता जैसे गौरव में ही समा गयीथी। छोटीसी बर्थपर दो बदन ऐसे लिपट कर लेटे हुए थे जैसे एक ही बदन हो। अंकिता की चूत पर गौरव का खड़ा कड़क लौड़ा दबाव डाल रहा था। अंकिता का घाघरा काफी ऊपरकी ओर उठा हुआ था। अंकिता तब भी आंधी नींद में ही थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था की वह कैसे ऊपर से निचे की बर्थ पर आगयी। अंकिता ने गौरव की और देखा और कुछ खिसियानी आवाज में पूछा, "गौरव, मैं ऊपर की बर्थ से निचे कैसे आ गयी?"
गौरव मुस्कुराये और बोले, "जानेमन तुम गहरी नींद सो रही थी। मैंने तुम्हें जगाया नहीं। मैं तुम्हें अपनों बाहों में लेना चाहता था। तो मैंने तुम्हें हलके से अपनी बाहों में उठाया और उठाकर यहां ले आया।"
"अरे बाबा, तुम्हें कई घाव हैं और अभी तो वह ताजा हैं।" अंकिता ने कहा।
"ऐसी छोटी मोटी चोटें तो हमारे लिए कोई बड़ी बात नहीं। फिर तुम भी तो कोई ख़ास भारी नहीं हो। तुम्हें उठाना बड़ा आसान था। बस यह ध्यान रखना था की कोई देख ना ले।" गौरव ने अपनी मूछों पर ताव देते हुए कहा। गौरव ने फिर अंकिता का सर अपने दोनों हाथोँ में पकड़ा और अंकिता के होँठों पर अपने होँठ चिपका दिए। अंकिता कुछ पल के किये हक्कीबक्की सी गौरव को देखती ही रही।
फिर वह भी गौरव से चुम्बन की क्रियामें ऐसे जुड़ गयी जैसे उन दोनों के होंठ सील गए हों। गौरव और अंकिता दोनों एक दूसरे के होँठों और मुंह में से सलीवा याने लार को चूस रहे थे। अंकिता ने अपनी जीभ गौरव के मुंह में डाल दो थी। गौरव उससे सारे रस जैसे निकाल कर निगल रहा था। गौरव के चेहरे पर बंधीं पट्टियां होने के कारण अंकिता कुछ असमंजस में थी की कहीं गौरव को कोई दर्द ना हो। पर गौरव थे की दर्द की परवाह किये बिना अंकिता को अपने बदन पर ऐसे दबाये हुए थे की जैसे वह कहीं भाग ना जाये। अंकिता बिलकुल गौरव के बदन से ऐसी चिपकी हुई थी की उसकी सांस भी रुक गयी थी। अंकिता को कभी किसी ने इतनी उत्कटता से चुम्बन नहीं किया था। उसके लिए यह पहला मौक़ा था जब किसी हट्टेकट्टे हृष्टपुष्ट लम्बे चौड़े जवान ने उसे इतना गाढ़ आलिंगन किया हो और इस तरह उसे चुम रहा हो। गौरव अंकिता का सारा रस चूस चूस कर निगल रहा था यह अंकिता को अच्छा लगा। कुछ देर बाद गौरव अपनी जीभ अंकिता के मुंह में डाल और अंकिता के मुंह के अंदर बाहर कर अंकिता के मुंह को अपनी जीभ से चोदने लगा।
अंकिता बोल पड़ी, "गौरव यह क्या कर रहे हो?"
गौरव ने कहा, "प्रैक्टिस कर रहा हूँ।"
अंकिता, "किस चीज़ की प्रैक्टिस?"
गौरव: "जो मुझे आखिर में करना है उसकी प्रैक्टिस."
गौरव की बात सुनकर अंकिता की जाँघों के बिच से रस चुने लगा। अंकिता की टाँगें ढीली पड़ गयीं।
अंकिता ने गौरव की और शरारत भरी आँखें नचाते हुए पूछा, "अच्छा? जनाब ने यहाँ तक सोच लिया है?"
गौरव ने कहा, "मैंने तो उससे आगे भी सोच रखा है।"