26-12-2019, 01:53 PM
अंकिता ने देखा की रोहित शायद अपनी चप्पल ढूंढ रहे थे। थोड़ी ही देर में अंकिता ने देखा की रोहित वाशरूम की और चल दिए। अंकिता को यह देख कुछ निराशा हुई।
वह सोच रही थी की रोहित जी शायद निचे की बर्थ पर लेटी हुई दो में से एक स्त्री के साथ सोने जा रहे थे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अंकिता के मन में पहले ही कुछ शक था की वह दोनों जोड़ियाँ एक दूसरे के प्रति कुछ ज्यादा ही रूमानी लग रही थीं। खैर, अंकिता दुखी मन से पर्दा धीरे से खिंच कर बंद करने वाली ही थी की उसके मुंह से आश्चर्य की सिसकारी निकलते निकलते रुक गयी। अंकिता ने ऊपर की बर्थ पर लेटे हुए कर्नल साहब की परछाईं सी आकृति को निचे की बर्थ पर लेटी हुई अपर्णाजी के बिस्तर में से अफरातफरी में बाहर निकलते हुए देखा। अंकिता की तो जैसे साँसे ही रुक गयी। अरे? अपर्णाजी जो अंकिता को दोपहर गौरव के बारे में पाठ पढ़ा रही थीं, उनके बिस्तरमें कर्नल अंकल? कर्नल साहब कब अपर्णा जी के बिस्तर में घुस गए? कितनी देर तक कर्नल साहब अपर्णाजी के बिस्तर में थे? यह सवाल अंकिता के दिमाग में घूमने लगे।
अंकिता का माथा ही ठनक गया। क्या अपर्णाजी चलती ट्रैन में श्रेया के पति कर्नल साहब से चुदवा रही थीं? एक पुरुष का एक स्त्री के साथ एक ही बिस्तर में से इस तरह अफरातफरी में बाहर निकलना एक ही बात की और इशारा करता था की कर्नल साहब अपर्णाजी की चुदाई कर रहे थे। और वह भी तब जब अपर्णाजी के पति सामने की ही ऊपर की बर्थ में सो रहे थे? और फिर वह अपर्णा जी के बिस्तर में से बाहर निकल कर दूसरी और भाग खड़े हुए तब जब अपर्णाजी के पति अपनी बर्थ से निचे उतर वाशरूम की और चल दिए थे। अंकिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्या हो रहा था। वह चुपचाप अपने बिस्तर में पड़ी आगे क्या होगा यह सोचती हुई कर्नल साहब और रोहित के वापस आने का इंतजार करने लगी। कुछ ही देर में पहले रोहित वापस आये। अंकिता ने देखा की वह अपर्णाजी की बर्थ पर जाकर, झुक कर अपनी बीबी को जगा कर कुछ बात करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ देर तक उन दोनोंके बिच में कुछ बातचीत हुई, पर अंकिता को कुछ भी नहीं सुनाई दिया। फिर अंकिता ने देखा की रोहित एक अच्छे बच्चे की तरह वापस चुपचाप अपनी ऊपर वाली बर्थ में जाकर लेट गए।
अंकिता को लगा की कुछ न कुछ तो खिचड़ी पक रही थी। थोड़ी देर तक इंतजार करने पर फिर कर्नल साहब भी वाशरूम से वापस आ गए। वह थोड़ी देर निचे अपर्णाजी की बर्थ के पास खड़े रहे। अंकिता को ठीक से तो नहीं दिखा पर उस ने महसूस किया की अपर्णाजी के बिस्तर में से शायद अपर्णाजी का हाथ निकला। आगे क्या हुआ वह अँधेरे के कारण अंकिता देख नहीं पायी, पर उसके बाद कर्नल साहब अपनी ऊपर वाली बर्थ पर चले गए। डिब्बे में फिर से सन्नाटा छा गया। अंकिता देखने लगी पर काफी देर तक कोई हलचल नहीं हुई।
वह सोच रही थी की रोहित जी शायद निचे की बर्थ पर लेटी हुई दो में से एक स्त्री के साथ सोने जा रहे थे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। अंकिता के मन में पहले ही कुछ शक था की वह दोनों जोड़ियाँ एक दूसरे के प्रति कुछ ज्यादा ही रूमानी लग रही थीं। खैर, अंकिता दुखी मन से पर्दा धीरे से खिंच कर बंद करने वाली ही थी की उसके मुंह से आश्चर्य की सिसकारी निकलते निकलते रुक गयी। अंकिता ने ऊपर की बर्थ पर लेटे हुए कर्नल साहब की परछाईं सी आकृति को निचे की बर्थ पर लेटी हुई अपर्णाजी के बिस्तर में से अफरातफरी में बाहर निकलते हुए देखा। अंकिता की तो जैसे साँसे ही रुक गयी। अरे? अपर्णाजी जो अंकिता को दोपहर गौरव के बारे में पाठ पढ़ा रही थीं, उनके बिस्तरमें कर्नल अंकल? कर्नल साहब कब अपर्णा जी के बिस्तर में घुस गए? कितनी देर तक कर्नल साहब अपर्णाजी के बिस्तर में थे? यह सवाल अंकिता के दिमाग में घूमने लगे।
अंकिता का माथा ही ठनक गया। क्या अपर्णाजी चलती ट्रैन में श्रेया के पति कर्नल साहब से चुदवा रही थीं? एक पुरुष का एक स्त्री के साथ एक ही बिस्तर में से इस तरह अफरातफरी में बाहर निकलना एक ही बात की और इशारा करता था की कर्नल साहब अपर्णाजी की चुदाई कर रहे थे। और वह भी तब जब अपर्णाजी के पति सामने की ही ऊपर की बर्थ में सो रहे थे? और फिर वह अपर्णा जी के बिस्तर में से बाहर निकल कर दूसरी और भाग खड़े हुए तब जब अपर्णाजी के पति अपनी बर्थ से निचे उतर वाशरूम की और चल दिए थे। अंकिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्या हो रहा था। वह चुपचाप अपने बिस्तर में पड़ी आगे क्या होगा यह सोचती हुई कर्नल साहब और रोहित के वापस आने का इंतजार करने लगी। कुछ ही देर में पहले रोहित वापस आये। अंकिता ने देखा की वह अपर्णाजी की बर्थ पर जाकर, झुक कर अपनी बीबी को जगा कर कुछ बात करने की कोशिश कर रहे थे। कुछ देर तक उन दोनोंके बिच में कुछ बातचीत हुई, पर अंकिता को कुछ भी नहीं सुनाई दिया। फिर अंकिता ने देखा की रोहित एक अच्छे बच्चे की तरह वापस चुपचाप अपनी ऊपर वाली बर्थ में जाकर लेट गए।
अंकिता को लगा की कुछ न कुछ तो खिचड़ी पक रही थी। थोड़ी देर तक इंतजार करने पर फिर कर्नल साहब भी वाशरूम से वापस आ गए। वह थोड़ी देर निचे अपर्णाजी की बर्थ के पास खड़े रहे। अंकिता को ठीक से तो नहीं दिखा पर उस ने महसूस किया की अपर्णाजी के बिस्तर में से शायद अपर्णाजी का हाथ निकला। आगे क्या हुआ वह अँधेरे के कारण अंकिता देख नहीं पायी, पर उसके बाद कर्नल साहब अपनी ऊपर वाली बर्थ पर चले गए। डिब्बे में फिर से सन्नाटा छा गया। अंकिता देखने लगी पर काफी देर तक कोई हलचल नहीं हुई।