26-12-2019, 01:52 PM
यहां देखिये, क्या हो रहा है?
यहां तो एक कामिनी कामुक स्त्री अंकिता चाहती थी की कप्तान गौरव उसे ललचाये और उससे सम्भोग करे। कप्तान गौरव के अंकिता की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान करने तक के जाँबाज़ करतब से वह इतनी पूर्णतया अभिभूत हो गयी थी, की वह खुद सामने चलकर अपना कामाग्नि कप्तान गौरव से कुछ हद तक शांत करवाना चाहती थी। वह अपना शील और अपनी इज्जत कप्तान गौरव को सौंपना चाहती थी। पर कप्तान गौरव तो गहरी नींद में सोये हुए लग रहे थे। ऊपर की बर्थ में लेटी हुई कामाग्नि लिप्त कामिनी अंकिता, गौरव से अभिसार करने के लिए उन की पहल का इंतजार कर रही थी, या यूँ कहिये की तड़प रही थी। पहले जो बड़ी मानिनी बन कर गौरव की पहल को नकार रही थी वह खुद अब अपनी बदन में भड़क रही काम की ज्वाला को गौरव के बदन से मिला कर संतृप्त करना चाह रही थी। पर आखिर कामिनी भी मानिनी तो है ही ना? मानिनी कितनीही कामातुर क्यों नाहो, वह अपना मानिनी रूप नहीं छोड़ सकती। वह चाहती है की पुरुष ही पहल करे। जब गौरव से कोई पर्याप्त पहल नहीं हुई तो व्याकुल कामिनी ने अपनी चद्दर का एक छोर जानबूझ कर निचे की और सरका दिया। उसने गौरव को एक मौक़ा दिया की गौरव उसे खिंच कर इशारा दे और उसे निचे अपनी बर्थ पर बुलाले। तब फिर कामिनी का मानिनीपन भी पूरा हो जाएगा और वह गौरव पर जैसे मेहरबानी कर उसे अपना बदन सौंप देगी। पर काफी समय व्यतीत होने पर भी गौरव की और से कोई इशारा नहीं हुआ। समय बीतता जाता था। अंकिता को बड़ा गुस्सा आ रहा था। यह क्या बात हुई की उसे रात को आने का न्योता दे कर खुद सो गए? अंकिता ने अपनी निचे खिसकाई हुई चद्दर ऊपर की और खिंच ली और करवट बदल कर चद्दर ओढ़ कर सो गयी।
पर अंकिता की आँखों में नींद कहाँ? वह तो जागते हुए गौरव के साथ अभिसार (चुदाई) के सपने देख रही थी। अंकिता का मन यह सोच रहा था की जिसका शरीर इतना कसा हुआ और जो इतने अच्छे खासे कद का था ऐसे जाबाँझ सिपाही का लण्ड कैसा होगा? जब गौरव के हाथ अंकिता की चूँचियों को छुएंगे और उन्हें दबाने और मसलने लगेंगे तो अंकिता का क्या हाल होगा? जब ऐसे जवान का हाथ अंकिता की चूत पर उसकी हलकी झाँट पर फिरने लगेगातो क्या अंकिता अपनी कराहट रोक पाएगी? अंकिता की चूत यह सोच कर इतनी गीली हो रही थी की उसके लिए अब और इंतजार करना नामुमकिन सा लग रहा था। अंकिता का मन जब ऐसे विचारों में डूबा हुआ ही था की उसे अचानक कुछ हलचल महसूस हुई। अंकिता ने थोड़ा सा पर्दा हटा कर देखा तो पाया की रोहित अपनी बर्थ से निचे उतर रहे थे। अंकिता को मन में कहीं ना कहीं ऐसा अंदेशा हुआ की कुछ ना कुछ तो होने वाला था। उसने परदे का एक कोना सिर्फ इतना ही हटाया की उसमें से वह देख सके।
यहां तो एक कामिनी कामुक स्त्री अंकिता चाहती थी की कप्तान गौरव उसे ललचाये और उससे सम्भोग करे। कप्तान गौरव के अंकिता की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान करने तक के जाँबाज़ करतब से वह इतनी पूर्णतया अभिभूत हो गयी थी, की वह खुद सामने चलकर अपना कामाग्नि कप्तान गौरव से कुछ हद तक शांत करवाना चाहती थी। वह अपना शील और अपनी इज्जत कप्तान गौरव को सौंपना चाहती थी। पर कप्तान गौरव तो गहरी नींद में सोये हुए लग रहे थे। ऊपर की बर्थ में लेटी हुई कामाग्नि लिप्त कामिनी अंकिता, गौरव से अभिसार करने के लिए उन की पहल का इंतजार कर रही थी, या यूँ कहिये की तड़प रही थी। पहले जो बड़ी मानिनी बन कर गौरव की पहल को नकार रही थी वह खुद अब अपनी बदन में भड़क रही काम की ज्वाला को गौरव के बदन से मिला कर संतृप्त करना चाह रही थी। पर आखिर कामिनी भी मानिनी तो है ही ना? मानिनी कितनीही कामातुर क्यों नाहो, वह अपना मानिनी रूप नहीं छोड़ सकती। वह चाहती है की पुरुष ही पहल करे। जब गौरव से कोई पर्याप्त पहल नहीं हुई तो व्याकुल कामिनी ने अपनी चद्दर का एक छोर जानबूझ कर निचे की और सरका दिया। उसने गौरव को एक मौक़ा दिया की गौरव उसे खिंच कर इशारा दे और उसे निचे अपनी बर्थ पर बुलाले। तब फिर कामिनी का मानिनीपन भी पूरा हो जाएगा और वह गौरव पर जैसे मेहरबानी कर उसे अपना बदन सौंप देगी। पर काफी समय व्यतीत होने पर भी गौरव की और से कोई इशारा नहीं हुआ। समय बीतता जाता था। अंकिता को बड़ा गुस्सा आ रहा था। यह क्या बात हुई की उसे रात को आने का न्योता दे कर खुद सो गए? अंकिता ने अपनी निचे खिसकाई हुई चद्दर ऊपर की और खिंच ली और करवट बदल कर चद्दर ओढ़ कर सो गयी।
पर अंकिता की आँखों में नींद कहाँ? वह तो जागते हुए गौरव के साथ अभिसार (चुदाई) के सपने देख रही थी। अंकिता का मन यह सोच रहा था की जिसका शरीर इतना कसा हुआ और जो इतने अच्छे खासे कद का था ऐसे जाबाँझ सिपाही का लण्ड कैसा होगा? जब गौरव के हाथ अंकिता की चूँचियों को छुएंगे और उन्हें दबाने और मसलने लगेंगे तो अंकिता का क्या हाल होगा? जब ऐसे जवान का हाथ अंकिता की चूत पर उसकी हलकी झाँट पर फिरने लगेगातो क्या अंकिता अपनी कराहट रोक पाएगी? अंकिता की चूत यह सोच कर इतनी गीली हो रही थी की उसके लिए अब और इंतजार करना नामुमकिन सा लग रहा था। अंकिता का मन जब ऐसे विचारों में डूबा हुआ ही था की उसे अचानक कुछ हलचल महसूस हुई। अंकिता ने थोड़ा सा पर्दा हटा कर देखा तो पाया की रोहित अपनी बर्थ से निचे उतर रहे थे। अंकिता को मन में कहीं ना कहीं ऐसा अंदेशा हुआ की कुछ ना कुछ तो होने वाला था। उसने परदे का एक कोना सिर्फ इतना ही हटाया की उसमें से वह देख सके।