26-12-2019, 01:49 PM
अपर्णा की हालत एकदम खराबथी। अगर रोहित जी को थोड़ासा भी शक हुआकी जीतूजी उसकी पत्नी की बर्थ में अपर्णा के साथ लेटे हुए हैं तो क्या होगा यह उसकी कल्पना से परे था। फिर तो वह मान ही लेंगें के उनकी पत्नी अपर्णा जीतूजी से चुदवा रही थी। फिरतो सारा आसमान टूट पडेगा। जब रोहितने अपर्णाको यह इशारा किया था की शायद जीतूजी अपर्णा की और आकर्षित थे और लाइन मार रहे थे तब अपर्णा ने अपने पति को फटकार दिया था की ऐसा उनको सोचना भी नहीं चाहिए था। अब अगर अपर्णा जीतूजी से सामने चलकर उनकी पीठ के पीछे चुदवा रही हो तो भला एक पति को कैसा लगेगा?
अपर्णा ने जीतूजी के मुंह पर कस के हाथ रख दिया की वह ज़रा सा भी आवाज ना करे। खैर जीतूजी और अपर्णा दोनों ही कम्बल में इस तरह एक साथ जकड कर ढके हुए थे की आसानी से पता ही नहीं लग सकता की कम्बल में एक नहीं दो थे। पर अपर्णा को यह डर था की यदि उसके पति की नजर जीतूजी की बर्थ पर गयी तो गजब ही हो जाएगा। तब उन्हें पता लग जाएगा की जीतूजी वहाँ नहीं थे। तब उन्हें शक हो की शायद वह अपर्णा के साथ लेटे हुए थे।
खैर रोहित बर्थ से निचे उतरे और अपनी चप्पल ढूंढने लगे। रोहित जी को जल्दी ही अपनी चप्पल मिल गए और वह तेज चलते हुए, और हिलती हुई गाडी में अपना संतुलन बनाये रखने के लिए कम्पार्टमेंट के हैंडल बगैरह का सहारा लेते हुए डिब्बे के एक तरफ वाले टॉयलेट की और बढ़ गए। उनके जातेही अपर्णा और जीतूजी दोनों की जान में जान आयी। अपर्णा को तो ऐसा लगा की जैसे मौतसे भेंट हुई और जान बच गयी। जैसे ही रोहित जी आँखों से ओझल हुए की जीतूजी फ़ौरन उठकर फुर्ती से बड़ी चालाकी से कम्पार्टमेंट की दूसरी तरफ जिस तरफ रोहित नहीं गए थे उस तरफ टॉयलेट की और चल पड़े।
अपर्णा ने फ़ौरन अपने कपडे ठीक किये और अपना सर ठोकती हुई सोने का नाटक करती लेट गयी। आज माँ ने ही उसकी लाज बचाई ऐसा उसे लगा। थोड़ी ही देर में पहले रोहित जी टॉयलेट से वापस आये। उन्होंने अपनी पत्नी अपर्णा को हिलाया और उसे जगाने की कोशिश की। अपर्णा तो जगी हुई ही थी। फिर भी अपर्णा ने नाटक करते हुए आँखें मलते हुए धीरे से पूछा, "क्या है?"
रोहित ने एकदम अपर्णा के कानों में अपना मुंह रख कर धीमी आवाजमें कहा, "अपना वादा भूल गयी? आज हमने ट्रैन में रात में प्यार करने का प्रोग्राम जो बनाया था?" अपर्णा ने कहा, "चुपचाप अपनी बर्थ पर लेट जाओ। कहीं जीतू जी जग ना जाएँ।" रोहित ने कहा, "जीतूजी तो टॉयलेट गए हैं। अब तुमने वादा किया था ना? पूरा नहीं करोगी क्या?" अपर्णा ने कहा, "ठीक है। जब जीतूजी वापस आजायें और सो जाएँ तब आ जाना।" रोहित ने खुश हो कर कहा, "तुम सो मत जाना। मैं आ जाऊंगा।" अपर्णा ने कहा, "ठीक है बाबा। अब थोड़ी देर सो भी जाओ। फिर जब सब सो जाएँ तब आना और चुपचाप मेरे बिस्तर में घुस जाना, ताकि किसी को ख़ास कर श्रेया और जीतूजी को पता ना चले।" रोहित ने खुश होते हुए कहा, "ठीक है। बस थोड़ी ही देर में।" ऐसा कहते हुए रोहित अपनी बर्थ पर जाकर जीतूजी के लौटने का इंतजार करने लगे। अपर्णा मन ही मन यह सब क्या हो रहा था इसके बारे में सोचने लगी।
अपर्णा ने जीतूजी के मुंह पर कस के हाथ रख दिया की वह ज़रा सा भी आवाज ना करे। खैर जीतूजी और अपर्णा दोनों ही कम्बल में इस तरह एक साथ जकड कर ढके हुए थे की आसानी से पता ही नहीं लग सकता की कम्बल में एक नहीं दो थे। पर अपर्णा को यह डर था की यदि उसके पति की नजर जीतूजी की बर्थ पर गयी तो गजब ही हो जाएगा। तब उन्हें पता लग जाएगा की जीतूजी वहाँ नहीं थे। तब उन्हें शक हो की शायद वह अपर्णा के साथ लेटे हुए थे।
खैर रोहित बर्थ से निचे उतरे और अपनी चप्पल ढूंढने लगे। रोहित जी को जल्दी ही अपनी चप्पल मिल गए और वह तेज चलते हुए, और हिलती हुई गाडी में अपना संतुलन बनाये रखने के लिए कम्पार्टमेंट के हैंडल बगैरह का सहारा लेते हुए डिब्बे के एक तरफ वाले टॉयलेट की और बढ़ गए। उनके जातेही अपर्णा और जीतूजी दोनों की जान में जान आयी। अपर्णा को तो ऐसा लगा की जैसे मौतसे भेंट हुई और जान बच गयी। जैसे ही रोहित जी आँखों से ओझल हुए की जीतूजी फ़ौरन उठकर फुर्ती से बड़ी चालाकी से कम्पार्टमेंट की दूसरी तरफ जिस तरफ रोहित नहीं गए थे उस तरफ टॉयलेट की और चल पड़े।
अपर्णा ने फ़ौरन अपने कपडे ठीक किये और अपना सर ठोकती हुई सोने का नाटक करती लेट गयी। आज माँ ने ही उसकी लाज बचाई ऐसा उसे लगा। थोड़ी ही देर में पहले रोहित जी टॉयलेट से वापस आये। उन्होंने अपनी पत्नी अपर्णा को हिलाया और उसे जगाने की कोशिश की। अपर्णा तो जगी हुई ही थी। फिर भी अपर्णा ने नाटक करते हुए आँखें मलते हुए धीरे से पूछा, "क्या है?"
रोहित ने एकदम अपर्णा के कानों में अपना मुंह रख कर धीमी आवाजमें कहा, "अपना वादा भूल गयी? आज हमने ट्रैन में रात में प्यार करने का प्रोग्राम जो बनाया था?" अपर्णा ने कहा, "चुपचाप अपनी बर्थ पर लेट जाओ। कहीं जीतू जी जग ना जाएँ।" रोहित ने कहा, "जीतूजी तो टॉयलेट गए हैं। अब तुमने वादा किया था ना? पूरा नहीं करोगी क्या?" अपर्णा ने कहा, "ठीक है। जब जीतूजी वापस आजायें और सो जाएँ तब आ जाना।" रोहित ने खुश हो कर कहा, "तुम सो मत जाना। मैं आ जाऊंगा।" अपर्णा ने कहा, "ठीक है बाबा। अब थोड़ी देर सो भी जाओ। फिर जब सब सो जाएँ तब आना और चुपचाप मेरे बिस्तर में घुस जाना, ताकि किसी को ख़ास कर श्रेया और जीतूजी को पता ना चले।" रोहित ने खुश होते हुए कहा, "ठीक है। बस थोड़ी ही देर में।" ऐसा कहते हुए रोहित अपनी बर्थ पर जाकर जीतूजी के लौटने का इंतजार करने लगे। अपर्णा मन ही मन यह सब क्या हो रहा था इसके बारे में सोचने लगी।