26-12-2019, 01:41 PM
काफी समय बीत जाने पर अपर्णा समझ गयी की उसका पति रोहित गहरी नींद में सोही गया होगा। वैसे भी ऐसा कई बार हो चुका था की अपर्णा को रात को चोदने का प्रॉमिस कर के रोहित कई बार सो जाते और अपर्णा बेचारी मन मसोस कर रह जाती।
रात बीतती जा रही थी। रोहित का कोई पता ही नहीं था। तब अपर्णाने महसूस किया की उसकी ऊपर वाली बर्थ पर कुछ हलचल हो रही थी। इसका मतलब था की शायद जीतूजी जाग रहे थे और अपर्णा के संकेत का इंतजार कर रहे थे। अपर्णा की जाँघों के बिच का गीलापन बढ़ता जा रहा था। उसकी चूत की फड़कन थमने का नाम नहीं ले रही रही थी। गौरव और अंकिता की प्रेम लीला देख कर अपर्णा को भी अपनी चूत में लण्ड लड़वाने की बड़ी कामना थी। पर वह बेचारी करे तो क्या करे? पति आ नहीं रहे थे। जीतूजीसे वह चुदवा नहीं सकती थी।
रात बीतती जा रही थी। अपर्णा की आँखों में नींद कहाँ? दिन में सोने कारण और फिर अपने पति के इंतजार में वह सो नहीं पा रही थी। उस तरफ श्रेया जी गहरी नींद में लग रही थीं।
ट्रैन की रफ़्तार से दौड़ती हुई हलकी सी आवाज में भी उनकी नियमित साँसें सुनाई दे रहीं थीं। रोहित जी भी गहरी नींद में ही होंगें चूँकि वह शायद अपनी पत्नी के पास जाने (अपनी पत्नी को ट्रैन में चोदने) का वादा भूल गए थे। लगता था जीतूजी भी सो रहे थे। अपर्णा की दोनों जाँघों के बिच उसकी में चूत में बड़ी हलचल महसूस हो रही थी। अपर्णा ने फिर ऊपर से कुछ हलचल की आवाज सुनी। उसे लगा की जरूर जीतूजी जाग रहे थे। पर उनको भी निचे आने की कोई उत्सुकता दिख नहीं रही थी। अपर्णा अपनी बर्थ पर बैठ कर सोचने लगी। उसे समझ नहीं आया की वह क्या करे। अगर जीतूजी जागते होंगे तो ऊपर शायद वह अपर्णा के पास आने के सपने ही देख रहे होंगे। पर शायद उनके मन में अपर्णा के पास आने में हिचकिचाहट हो रही होगी, क्यूंकि अपर्णा ने उनको नकार जो दिया था। अपर्णा को अपने आप पर भी गुस्सा आ रहा था तो जीतूजी पर तरस आ रहा था। तब अचानक अपर्णा ने ऊपर से लुढ़कती चद्दर को अपने नाक को छूते हुए महसूस किया। चद्दर काफी निचे खिसक कर आ गयी थी। अपर्णा के मन में प्रश्न उठने लगे। क्या वह चद्दर जीतूजी ने कोई संकेत देने के लिए निचे खिस्काइथी? या फिर करवट लेते हुए वह अपने आप ही अनजाने में निचे की और खिसक कर आयी थी? अपर्णा को पता नहीं था की उसका मतलब क्या था? या फिर कुछ मतलब था भी या नहीं? यह उधेङबुन में बिना सोचे समझे अपर्णा का हाथ ऊपर की और चला गया और अपर्णा ने अनजाने में ही चद्दर को निचे की और खींचा। खींचने के तुरंत बाद अपर्णा पछताने लगी। अरे यह उसने क्या किया? अगर जीतूजी ने अपर्णा का यह संकेत समझ लिया तो वह क्या सोचेंगे? पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अपर्णा के चद्दर खींचने पर भी ऊपर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
अपर्णा को बड़ा गुस्सा आया। अरे! यह कर्नल साहब अपने आप को क्या समझते हैं? क्या स्त्रियों का कोई मान नहीं होता क्या? भाई अगर एक बार औरतने मर्दको संकेतदे दियातो क्या उस मर्दको समझ जाना नहीं चाहिए? फिर अपर्णा ने अपने आप पर गुस्सा करते हुए और जीतूजी की तरफदारी करते हुए सोचा, "यह भी तो हो सकता है ना की जीतूजी गहरी नींद में हों? फिर उन्हें कैसे पता चलेगा की अपर्णा कोई संकेत दे रही थी? वह तो यही मानते थे ना की अब अपर्णा और उनके बिच कोई भी ऐसी वैसी बात नहीं होगी? क्यूंकि अपर्णा ने तो उनको ठुकरा ही दिया था। इसी उधेड़बुन में अपर्णा का हाथ फिर से ऊपर की और चला गया और अपर्णा ने चद्दर का एक हिस्सा अपने हाथ में लेकर उसे निचे की और खींचना चाहा तो जीतूजी का घने बालों से भरा हाथ अपर्णा के हाथ में आ गया। जीतूजी के हाथ का स्पर्श होते ही अपर्णा की हालत खराब! हे राम! यह क्या गजब हुआ! अपर्णा को समझ नहीं आया की वह क्या करे? उसी ने तो जीतूजी को संकेत दिया था। अब अगर जीतूजी ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसमें जीतूजी का क्या दोष? जीतूजी ने अपर्णा का हाथ कस के पकड़ा और दबाया। अपर्णा का पूरा बदन पानी पानी हो गया।
रात बीतती जा रही थी। रोहित का कोई पता ही नहीं था। तब अपर्णाने महसूस किया की उसकी ऊपर वाली बर्थ पर कुछ हलचल हो रही थी। इसका मतलब था की शायद जीतूजी जाग रहे थे और अपर्णा के संकेत का इंतजार कर रहे थे। अपर्णा की जाँघों के बिच का गीलापन बढ़ता जा रहा था। उसकी चूत की फड़कन थमने का नाम नहीं ले रही रही थी। गौरव और अंकिता की प्रेम लीला देख कर अपर्णा को भी अपनी चूत में लण्ड लड़वाने की बड़ी कामना थी। पर वह बेचारी करे तो क्या करे? पति आ नहीं रहे थे। जीतूजीसे वह चुदवा नहीं सकती थी।
रात बीतती जा रही थी। अपर्णा की आँखों में नींद कहाँ? दिन में सोने कारण और फिर अपने पति के इंतजार में वह सो नहीं पा रही थी। उस तरफ श्रेया जी गहरी नींद में लग रही थीं।
ट्रैन की रफ़्तार से दौड़ती हुई हलकी सी आवाज में भी उनकी नियमित साँसें सुनाई दे रहीं थीं। रोहित जी भी गहरी नींद में ही होंगें चूँकि वह शायद अपनी पत्नी के पास जाने (अपनी पत्नी को ट्रैन में चोदने) का वादा भूल गए थे। लगता था जीतूजी भी सो रहे थे। अपर्णा की दोनों जाँघों के बिच उसकी में चूत में बड़ी हलचल महसूस हो रही थी। अपर्णा ने फिर ऊपर से कुछ हलचल की आवाज सुनी। उसे लगा की जरूर जीतूजी जाग रहे थे। पर उनको भी निचे आने की कोई उत्सुकता दिख नहीं रही थी। अपर्णा अपनी बर्थ पर बैठ कर सोचने लगी। उसे समझ नहीं आया की वह क्या करे। अगर जीतूजी जागते होंगे तो ऊपर शायद वह अपर्णा के पास आने के सपने ही देख रहे होंगे। पर शायद उनके मन में अपर्णा के पास आने में हिचकिचाहट हो रही होगी, क्यूंकि अपर्णा ने उनको नकार जो दिया था। अपर्णा को अपने आप पर भी गुस्सा आ रहा था तो जीतूजी पर तरस आ रहा था। तब अचानक अपर्णा ने ऊपर से लुढ़कती चद्दर को अपने नाक को छूते हुए महसूस किया। चद्दर काफी निचे खिसक कर आ गयी थी। अपर्णा के मन में प्रश्न उठने लगे। क्या वह चद्दर जीतूजी ने कोई संकेत देने के लिए निचे खिस्काइथी? या फिर करवट लेते हुए वह अपने आप ही अनजाने में निचे की और खिसक कर आयी थी? अपर्णा को पता नहीं था की उसका मतलब क्या था? या फिर कुछ मतलब था भी या नहीं? यह उधेङबुन में बिना सोचे समझे अपर्णा का हाथ ऊपर की और चला गया और अपर्णा ने अनजाने में ही चद्दर को निचे की और खींचा। खींचने के तुरंत बाद अपर्णा पछताने लगी। अरे यह उसने क्या किया? अगर जीतूजी ने अपर्णा का यह संकेत समझ लिया तो वह क्या सोचेंगे? पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अपर्णा के चद्दर खींचने पर भी ऊपर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।
अपर्णा को बड़ा गुस्सा आया। अरे! यह कर्नल साहब अपने आप को क्या समझते हैं? क्या स्त्रियों का कोई मान नहीं होता क्या? भाई अगर एक बार औरतने मर्दको संकेतदे दियातो क्या उस मर्दको समझ जाना नहीं चाहिए? फिर अपर्णा ने अपने आप पर गुस्सा करते हुए और जीतूजी की तरफदारी करते हुए सोचा, "यह भी तो हो सकता है ना की जीतूजी गहरी नींद में हों? फिर उन्हें कैसे पता चलेगा की अपर्णा कोई संकेत दे रही थी? वह तो यही मानते थे ना की अब अपर्णा और उनके बिच कोई भी ऐसी वैसी बात नहीं होगी? क्यूंकि अपर्णा ने तो उनको ठुकरा ही दिया था। इसी उधेड़बुन में अपर्णा का हाथ फिर से ऊपर की और चला गया और अपर्णा ने चद्दर का एक हिस्सा अपने हाथ में लेकर उसे निचे की और खींचना चाहा तो जीतूजी का घने बालों से भरा हाथ अपर्णा के हाथ में आ गया। जीतूजी के हाथ का स्पर्श होते ही अपर्णा की हालत खराब! हे राम! यह क्या गजब हुआ! अपर्णा को समझ नहीं आया की वह क्या करे? उसी ने तो जीतूजी को संकेत दिया था। अब अगर जीतूजी ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसमें जीतूजी का क्या दोष? जीतूजी ने अपर्णा का हाथ कस के पकड़ा और दबाया। अपर्णा का पूरा बदन पानी पानी हो गया।