26-12-2019, 01:32 PM
गौरव ने अंकिता की हाथों को अपने करीब खींचा और उसे मजबूर किया की वह गौरव के ऊपर झुके। जैसे ही अंकिता झुकी की गौरव ने करवट ली, कम्बल हटाया और अंकिता के कानों के करीब अपना मुंह रख कर कहा, "मुझे आराम से भी ज्यादा तुम्हारी जरुरत है।"
अंकिता ने मुंह बनाते हुए कहा, "हाय राम मैं क्या करूँ? यह मजनू तो मान ही नहीं रहे! अरे भाई सो जाओ और आराम करो। ऐसे जागते और बातें करते रहोगे तो आराम तो होगा ही नहीं ऊपर से कोई देखेगा और शक करेगा।"
गौरव ने जिद करते हुए कहा, "नहीं मैं ऐसे नहीं मानूंगा। अगर तुम मुझसे रूठी नहीं हो तो बस एक बार मेरे मुंह के करीब अपना मुंह तो लाओ, फिर मैं सो जाऊंगा। आई प्रॉमिस।"
अंकिता ने अपना मुंह गौरव के करीब किया तो गौरव ने दोनों हाथों से अंकिता का सर पकड़ा और अपने होँठ अंकिता के होँठों पर चिपका दिए।
हालांकि सारे परदे ढके हुए थे और कहीं कोई हलचल नहीं दिख रही थी, पर फिर भी गौरव की फुर्ती से अपने होठोँ को चुम लेने से अंकिता यह सोच कर डर रही थी की इतने बड़े कम्पार्टमेंट में कहीं कोई उन्हें प्यार करते हुए देख ना ले। पर अंकिता भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी। गौरव ने अंकिता का सर इतनी सख्ती से पकड़ा था की चाहते हुए भी अंकिता उसे गौरव के हाथों से छुड़ाने में असमर्थ थी। मजबूर होकर "जो होगा देखा जाएगा" यह सोच कर अंकिता ने भी अपनी बाँहें फैला कर गौरव का सर अपनी बाँहों में लिया और गौरव के होँठों को कस के चुम्बन करने लगी। दोनों जवाँ बदन एक दूसरे की कामवासना में झुलस रहे थे। अंकिता गौरव के मुंह की लार चूस चूस कर अपने मुंह में लेती रही। गौरव भी अपनी जीभ अंकिता के मुंह में डाल कर उसे ऐसे अंदर बाहर करने लगा जैसे वह अंकिता के मुंह को अपनी जीभ से चोद रहा हो। इस तरह काफी देर तक चिपके रहने के बाद अंकिता ने काफी मशक्कत कर अपना सर गौरव से अलग किया और बोली, "गौरव! चलो भी! अब तो खुश हो ना? अब बहोत हो गया। अब प्लीज जाओ और आराम करो। मेरी कसम अब और कुछ शरारत की तो!"
गौरव ने कहा, "ठीक है तुमने कसम दी है तो सो जाऊंगा। पर ऐसे नहीं मानूंगा। पहले यह वचन दो की रात को सब सो जाएंगे उसके बाद तुम चुपचाप मेरी बर्थपर निचे मेरे पास आ जाओगी।"
अंकिता ने गौरव को दूर करते हुए कहा, "ठीक है बाबा देखूंगी। पर अब तो छोडो।"
गौरव ने जिद करते हुए कहा, "ना, मैं नहीं छोडूंगा। जब तक तुम मुझे वचन नहीं दोगी।"
अंकिता ने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, "ठीक है बाबा मैं वचन देती हूँ। अब तुम छोडो ना?"
गौरव ने कहा, "ऐसे नहीं, बोलो क्या वचन देती हो?"
अंकिता ने कहा, "रातको जब सब सो जाएंगे, तब मैं चुपचाप निचे उतरकर तुम्हारी बर्थपर आ जाऊंगी । बस?"
गौरव ने कहा, "पर अगर तुम सो गयी तो?"
अंकिता ने अपना सर पटकते हुए कहा, अरे भगवान् यह तो मान ही नहीं रहे! अच्छा बाबा अगर मैं सो गयी तो तुम मुझे आकर उठा देना। अब तो ठीक है?"
गौरव ने धीरे से कहा, "ठीक है जानूं पर भूलना नहीं और अपने वादे से मुकर मत जाना."
अंकिता ने आँख मारकर कहा, "नहीं भूलूंगी और किये हुए वादे से मुकरूंगी भी नहीं। पर अब तुम आराम करो वरना मैं चिल्लाऊंगी, की यह बन्दा मुझे सता रहा है।"
अंकिता ने मुंह बनाते हुए कहा, "हाय राम मैं क्या करूँ? यह मजनू तो मान ही नहीं रहे! अरे भाई सो जाओ और आराम करो। ऐसे जागते और बातें करते रहोगे तो आराम तो होगा ही नहीं ऊपर से कोई देखेगा और शक करेगा।"
गौरव ने जिद करते हुए कहा, "नहीं मैं ऐसे नहीं मानूंगा। अगर तुम मुझसे रूठी नहीं हो तो बस एक बार मेरे मुंह के करीब अपना मुंह तो लाओ, फिर मैं सो जाऊंगा। आई प्रॉमिस।"
अंकिता ने अपना मुंह गौरव के करीब किया तो गौरव ने दोनों हाथों से अंकिता का सर पकड़ा और अपने होँठ अंकिता के होँठों पर चिपका दिए।
हालांकि सारे परदे ढके हुए थे और कहीं कोई हलचल नहीं दिख रही थी, पर फिर भी गौरव की फुर्ती से अपने होठोँ को चुम लेने से अंकिता यह सोच कर डर रही थी की इतने बड़े कम्पार्टमेंट में कहीं कोई उन्हें प्यार करते हुए देख ना ले। पर अंकिता भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी। गौरव ने अंकिता का सर इतनी सख्ती से पकड़ा था की चाहते हुए भी अंकिता उसे गौरव के हाथों से छुड़ाने में असमर्थ थी। मजबूर होकर "जो होगा देखा जाएगा" यह सोच कर अंकिता ने भी अपनी बाँहें फैला कर गौरव का सर अपनी बाँहों में लिया और गौरव के होँठों को कस के चुम्बन करने लगी। दोनों जवाँ बदन एक दूसरे की कामवासना में झुलस रहे थे। अंकिता गौरव के मुंह की लार चूस चूस कर अपने मुंह में लेती रही। गौरव भी अपनी जीभ अंकिता के मुंह में डाल कर उसे ऐसे अंदर बाहर करने लगा जैसे वह अंकिता के मुंह को अपनी जीभ से चोद रहा हो। इस तरह काफी देर तक चिपके रहने के बाद अंकिता ने काफी मशक्कत कर अपना सर गौरव से अलग किया और बोली, "गौरव! चलो भी! अब तो खुश हो ना? अब बहोत हो गया। अब प्लीज जाओ और आराम करो। मेरी कसम अब और कुछ शरारत की तो!"
गौरव ने कहा, "ठीक है तुमने कसम दी है तो सो जाऊंगा। पर ऐसे नहीं मानूंगा। पहले यह वचन दो की रात को सब सो जाएंगे उसके बाद तुम चुपचाप मेरी बर्थपर निचे मेरे पास आ जाओगी।"
अंकिता ने गौरव को दूर करते हुए कहा, "ठीक है बाबा देखूंगी। पर अब तो छोडो।"
गौरव ने जिद करते हुए कहा, "ना, मैं नहीं छोडूंगा। जब तक तुम मुझे वचन नहीं दोगी।"
अंकिता ने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा, "ठीक है बाबा मैं वचन देती हूँ। अब तुम छोडो ना?"
गौरव ने कहा, "ऐसे नहीं, बोलो क्या वचन देती हो?"
अंकिता ने कहा, "रातको जब सब सो जाएंगे, तब मैं चुपचाप निचे उतरकर तुम्हारी बर्थपर आ जाऊंगी । बस?"
गौरव ने कहा, "पर अगर तुम सो गयी तो?"
अंकिता ने अपना सर पटकते हुए कहा, अरे भगवान् यह तो मान ही नहीं रहे! अच्छा बाबा अगर मैं सो गयी तो तुम मुझे आकर उठा देना। अब तो ठीक है?"
गौरव ने धीरे से कहा, "ठीक है जानूं पर भूलना नहीं और अपने वादे से मुकर मत जाना."
अंकिता ने आँख मारकर कहा, "नहीं भूलूंगी और किये हुए वादे से मुकरूंगी भी नहीं। पर अब तुम आराम करो वरना मैं चिल्लाऊंगी, की यह बन्दा मुझे सता रहा है।"