26-12-2019, 01:28 PM
अंकिता के पति ब्रिगेडियर खन्ना ने भी अपर्णा को बताया की जब गाडी करीब एक घंटे तक कहीं रुक गयी थी तब उन्होंने किसी को पूछा की क्या बात हुईथी। तब उनके साथ वाली बर्थ बैठे जनाब ने उन्हें बताया की कोई औरत ट्रैन से निचे गिर गयी थी और कोई आर्मीके अफसर ने उसे बचाया था। उन्हें क्या पता था की वह वाक्या उनकी अपनी पत्नी अंकिता के साथ ही हुआ था?
यह सब बातें सुनकर अंकिता के पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब बड़े चिंतित हो गए और वह अंकिता के पास जाने की जिद करने लगे तब अपर्णा ने उन्हें रोकते हुए ब्रिगेडियर साहब को थोड़ी धीरज रखने को कहा और बाजू में सो रहे जीतूजी को जगाया और ब्रिगेडियर खन्ना से बातचीत करने को कहा। ब्रिगेडियर साहब जैसे ही जीतूजी से घूम कर बात करनेमें लग गए की अपर्णा उठखडी हुई और उसने परदे के बाहर से अंकिता को हलके से पुकारा।
अंकिता को सोये हुए आधे घंटे से कुछ ज्यादा ही समय हुआ होगा की वह जागी तो अंकिता ने पाया की गौरव की साँसे धीमी रफ़्तार से नियमित चल रही थीं। कभी कभार उनके मुंह से हलकी सी खर्राटे की आवाज भी निकलने लगी। अंकिता को जब तसल्ली हुई की गौरव सो गए हैं तब उसने धीरे से अपने ऊपर से कम्बल हटाया और अपनी गोद में से गौरव का पाँव हटाकर निचे रखा। अंकिता ने गौरव के पाँव पर कम्बल ओढ़ा दिया और पर्दा हटा कर ऊपर अपनी बर्थ पर जाने के लिए उठने ही लगी थी की उसे परदे के उस पार अपर्णा की आवाज सुनिए दी। उसको अपने पति ब्रिगेडियर खन्ना की भी आवाज सुनाई दी। अंकिता हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई। उस ने पर्दा हटाया और अपर्णा को देखा। अपर्णा अंकिता का हाथ पकड़ कर उसे ब्रिगेडियर साहबके पास ले गयी। अपर्णा ने अपने पति ब्रिगेडियर साहब को देखा तो उनके चरण स्पर्श करने झुकी।
ब्रिगेडियर साहब ने अपनी पत्नी अंकिता को उठाकर गले लगाया और पूछा, "अंकिता बेटा (ब्रिगेडियर खन्ना कई बार प्यार से अंकिता को अपनी पत्नी होने के बावजूद अंकिता की कम उम्र के कारण उसे बेटा कह कर बुलाया करते थे।) मैंने अभी अभी इन (अपर्णा की और इशारा करते हुए) से सूना की तुम ट्रैन के निचे गिर गयी थी? मेरीतो जान हथेली में आ गयी जब मैंने यह सूना। उस वक्त मैं गहरी नींदमें था और मुझे किसीने बताया तक नहीं। मेरा कोच काफी पीछे है। मैंने यह भी सूना की कप्तान गौरव ने तुम्हें अपनी जान पर खेल कर बचाया? क्या यह सच है?" ब्रिगेडियर खन्ना फिर अपनी पत्नी के बदन पर हलके से हाथ फिराते हुए बोले, "जानूं, तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं आयी ना?"
अंकिता ने ब्रिगेडियर साहब की छाती में अपना सर लगा कर कहा, "हाँ जी यह बिलकुल सच है। मैं कप्तान गौरवजी के कारण ही आज ज़िंदा हूँ। मुझे चोट नहीं आयी पर गौरवजी काफी चोटिल हुए हैं। वह अभी सो रहे हैं।" अपर्णा और कर्नल साहब की और इशारा करते हुए अंकिता ने कहा, "इन्होने गौरव साहब की पट्टी बगैरह की। एक डॉक्टर ने देखा और कहा की गौरव जी की जान को कोई ख़तरा नहीं है।"
फिर अंकिता ने अपने पति को जो हुआ उस वाकये की सारी कहानी विस्तार से सुनाई। अंकिता ने यह छुपाया की गौरव अंकिता को पकड़ने के लिए उस के पीछे भाग रहे थे और गौरव की चंगुल से बचने के लिए वह भाग रही थी तब वह सब हुआ। हालांकि यह उसे बताना पड़ा की गौरव उसके पीछे ही कुछ बात करने के लिए तेजी से भागते हुए हुए आ रहे थे तब उसे धक्का लगा और वह फिसल गयी और साथ में गौरव भी फिसल गए। ऐसे वह वाक्या हुआ। अंकिता को डर था की कहीं उसके पति उसकी कहानी की सच्चाई भाँप ना ले।
यह सब बातें सुनकर अंकिता के पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब बड़े चिंतित हो गए और वह अंकिता के पास जाने की जिद करने लगे तब अपर्णा ने उन्हें रोकते हुए ब्रिगेडियर साहब को थोड़ी धीरज रखने को कहा और बाजू में सो रहे जीतूजी को जगाया और ब्रिगेडियर खन्ना से बातचीत करने को कहा। ब्रिगेडियर साहब जैसे ही जीतूजी से घूम कर बात करनेमें लग गए की अपर्णा उठखडी हुई और उसने परदे के बाहर से अंकिता को हलके से पुकारा।
अंकिता को सोये हुए आधे घंटे से कुछ ज्यादा ही समय हुआ होगा की वह जागी तो अंकिता ने पाया की गौरव की साँसे धीमी रफ़्तार से नियमित चल रही थीं। कभी कभार उनके मुंह से हलकी सी खर्राटे की आवाज भी निकलने लगी। अंकिता को जब तसल्ली हुई की गौरव सो गए हैं तब उसने धीरे से अपने ऊपर से कम्बल हटाया और अपनी गोद में से गौरव का पाँव हटाकर निचे रखा। अंकिता ने गौरव के पाँव पर कम्बल ओढ़ा दिया और पर्दा हटा कर ऊपर अपनी बर्थ पर जाने के लिए उठने ही लगी थी की उसे परदे के उस पार अपर्णा की आवाज सुनिए दी। उसको अपने पति ब्रिगेडियर खन्ना की भी आवाज सुनाई दी। अंकिता हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई। उस ने पर्दा हटाया और अपर्णा को देखा। अपर्णा अंकिता का हाथ पकड़ कर उसे ब्रिगेडियर साहबके पास ले गयी। अपर्णा ने अपने पति ब्रिगेडियर साहब को देखा तो उनके चरण स्पर्श करने झुकी।
ब्रिगेडियर साहब ने अपनी पत्नी अंकिता को उठाकर गले लगाया और पूछा, "अंकिता बेटा (ब्रिगेडियर खन्ना कई बार प्यार से अंकिता को अपनी पत्नी होने के बावजूद अंकिता की कम उम्र के कारण उसे बेटा कह कर बुलाया करते थे।) मैंने अभी अभी इन (अपर्णा की और इशारा करते हुए) से सूना की तुम ट्रैन के निचे गिर गयी थी? मेरीतो जान हथेली में आ गयी जब मैंने यह सूना। उस वक्त मैं गहरी नींदमें था और मुझे किसीने बताया तक नहीं। मेरा कोच काफी पीछे है। मैंने यह भी सूना की कप्तान गौरव ने तुम्हें अपनी जान पर खेल कर बचाया? क्या यह सच है?" ब्रिगेडियर खन्ना फिर अपनी पत्नी के बदन पर हलके से हाथ फिराते हुए बोले, "जानूं, तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं आयी ना?"
अंकिता ने ब्रिगेडियर साहब की छाती में अपना सर लगा कर कहा, "हाँ जी यह बिलकुल सच है। मैं कप्तान गौरवजी के कारण ही आज ज़िंदा हूँ। मुझे चोट नहीं आयी पर गौरवजी काफी चोटिल हुए हैं। वह अभी सो रहे हैं।" अपर्णा और कर्नल साहब की और इशारा करते हुए अंकिता ने कहा, "इन्होने गौरव साहब की पट्टी बगैरह की। एक डॉक्टर ने देखा और कहा की गौरव जी की जान को कोई ख़तरा नहीं है।"
फिर अंकिता ने अपने पति को जो हुआ उस वाकये की सारी कहानी विस्तार से सुनाई। अंकिता ने यह छुपाया की गौरव अंकिता को पकड़ने के लिए उस के पीछे भाग रहे थे और गौरव की चंगुल से बचने के लिए वह भाग रही थी तब वह सब हुआ। हालांकि यह उसे बताना पड़ा की गौरव उसके पीछे ही कुछ बात करने के लिए तेजी से भागते हुए हुए आ रहे थे तब उसे धक्का लगा और वह फिसल गयी और साथ में गौरव भी फिसल गए। ऐसे वह वाक्या हुआ। अंकिता को डर था की कहीं उसके पति उसकी कहानी की सच्चाई भाँप ना ले।