26-12-2019, 01:27 PM
कम्पार्टमेंट में एक डॉक्टर थे उन्होंने दोनों को चेक किया और कहा की उन दोनों को चोटें आयींथी पर कोई हड्डी टूटी हो ऐसा नहीं लग रहा था।
कुछ देर बाद गौरव बैठ खड़े हुए और इधर उधर देखने लगे। सर पर लगी चोट के कारण उन्हें कुछ बेचैनी महसूस हो रही थी। उन्होंने अंकिता को अपने पाँव के पास बैठे हुए और रोते हुए देखा। गौरव ने झुक कर अंकिता के हाथ थामे और कहा, "अब सब ठीक है। अब रोना बंद करो। मैंने तुम्हें कहा था ना, की सब ठीक हो जाएगा? हम भारतीय सेना के जवान हमेशा अपनी जान अपनी हथेली में लेकर घूमते हैं। चाहे देश की अस्मिता हो या देशवासी की जान बचानी हो। हम अपनी जान की बाजी लगा कर उन्हें बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। मैं बिलकुल ठीक हूँ तुम भी ठीक हो। अब जो हो गया उसे भूल जाओ और आगे की सोचो।"
थोड़ी देर बाद अपर्णा और श्रेया अपनी बर्थ पर वापस चले गये। अंकिता ने पर्दा फैला कर गौरव की बर्थ को परदे के पीछे ढक दिया। पहले तो वह गौरव के पर्दा फैलाने पर एतराज कर रही थी। पर अब वह खुद पर्दा फैला कर अपनी ऊपर वाली बर्थ पर ना जाकर निचे गौरव की बर्थ पर ही अपने पाँव लम्बे कर एक छोर पर बैठ गयी। अंकिता ने गौरव को बर्थ पर अपने शरीर को लंबा कर लेटने को कहा। गौरव के पाँव को अंकिता ने अपनी गोद में ले लिए और उनपर चद्दर बिछा कर वह गौरव के पाँव दबाने लगी। अंकिताके पाँव गौरव ने करवट लेकर अपनी बाहों में ले लिए और उन्हें प्यार से सहलाने लगा। देखते ही देखते कप्तान गौरव गहरी नींद में सो गये। धीरे धीरे अंकिता की आँखें भी भारी होने लगीं। संकड़ी सी बर्थ पर दोनों युवा बदन एक दूसरे के बदन को कस कर अपनी बाहों में लिए हुए लेट गए। एक का सर दूसरे की पाँव के पास था। ट्रैन बड़ी तेज रफ़्तार से धड़ल्ले से फर्राटे मारती हुई भाग रही थी।
गौरव की चोटें गहरी थीं और शायद कोई हड्डी नहीं टूटी थी पर मांसपेशियों में काफी जख्म लगे थे और बदन में दर्द था। अंकिता के कप्तान गौरव के बर्थ पर ही लम्बे होने से गौरव के बदन का कुछ हिस्सा दबा और दर्द होने के कारण कप्तान गौरव कराह उठे। अंकिता एकदम बैठ गयी और उठ कर गौरव के पाँव के पास जा बैठी। गौरव के पाँव को अपनी गोद में रख कर उस पर कम्बल डालकर वह हल्के से गौरव के पाँव को सहलाने लगी। फिर अंकिता की अपनी आँखें भी भारी हो रही थीं। अंकिता बैठे बैठे ही गौरव के पाँव अपनी गोद में लिए हुए सो गयी।
अंकिता के सोनेके कुछ देर बाद अंकिताके पति ब्रिगेडियर खन्ना अंकिता को मिलने के लिए अंकिता की बर्थ के पास पहुँचने वाले थे, तब अपर्णा ने उन्हें देखा। अपर्णा को डर था की कहीं अंकिता के पति अंकिता को गौरव के साथ कोई ऐसी वैसी हरकत करते हुए देख ना ले इसलिए वह ब्रिगेडियर साहब को नमस्ते करती हुई एकदम उठ खड़ी हुई और जीतूजी के पाँव थोड़े से खिसका कर अपर्णा ने ब्रिगेडियर साहब को अपने पास बैठाया। अपर्णा ने ब्रिगेडियर खन्ना साहब से कहा की उस समय अंकिता सो रही थी और उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं था। अपर्णा ने फिर ब्रिगेडियर खन्ना साहब को समझा बुझा कर अपने पास बैठाया और अंकिता और गौरव के साथ घटी घटना के बारे में सब बताया। कैसे अंकिता फिसल गयी फिर गौरव भी फिसले और कैसे गौरव ने अंकिता की जान बचाई।
कुछ देर बाद गौरव बैठ खड़े हुए और इधर उधर देखने लगे। सर पर लगी चोट के कारण उन्हें कुछ बेचैनी महसूस हो रही थी। उन्होंने अंकिता को अपने पाँव के पास बैठे हुए और रोते हुए देखा। गौरव ने झुक कर अंकिता के हाथ थामे और कहा, "अब सब ठीक है। अब रोना बंद करो। मैंने तुम्हें कहा था ना, की सब ठीक हो जाएगा? हम भारतीय सेना के जवान हमेशा अपनी जान अपनी हथेली में लेकर घूमते हैं। चाहे देश की अस्मिता हो या देशवासी की जान बचानी हो। हम अपनी जान की बाजी लगा कर उन्हें बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। मैं बिलकुल ठीक हूँ तुम भी ठीक हो। अब जो हो गया उसे भूल जाओ और आगे की सोचो।"
थोड़ी देर बाद अपर्णा और श्रेया अपनी बर्थ पर वापस चले गये। अंकिता ने पर्दा फैला कर गौरव की बर्थ को परदे के पीछे ढक दिया। पहले तो वह गौरव के पर्दा फैलाने पर एतराज कर रही थी। पर अब वह खुद पर्दा फैला कर अपनी ऊपर वाली बर्थ पर ना जाकर निचे गौरव की बर्थ पर ही अपने पाँव लम्बे कर एक छोर पर बैठ गयी। अंकिता ने गौरव को बर्थ पर अपने शरीर को लंबा कर लेटने को कहा। गौरव के पाँव को अंकिता ने अपनी गोद में ले लिए और उनपर चद्दर बिछा कर वह गौरव के पाँव दबाने लगी। अंकिताके पाँव गौरव ने करवट लेकर अपनी बाहों में ले लिए और उन्हें प्यार से सहलाने लगा। देखते ही देखते कप्तान गौरव गहरी नींद में सो गये। धीरे धीरे अंकिता की आँखें भी भारी होने लगीं। संकड़ी सी बर्थ पर दोनों युवा बदन एक दूसरे के बदन को कस कर अपनी बाहों में लिए हुए लेट गए। एक का सर दूसरे की पाँव के पास था। ट्रैन बड़ी तेज रफ़्तार से धड़ल्ले से फर्राटे मारती हुई भाग रही थी।
गौरव की चोटें गहरी थीं और शायद कोई हड्डी नहीं टूटी थी पर मांसपेशियों में काफी जख्म लगे थे और बदन में दर्द था। अंकिता के कप्तान गौरव के बर्थ पर ही लम्बे होने से गौरव के बदन का कुछ हिस्सा दबा और दर्द होने के कारण कप्तान गौरव कराह उठे। अंकिता एकदम बैठ गयी और उठ कर गौरव के पाँव के पास जा बैठी। गौरव के पाँव को अपनी गोद में रख कर उस पर कम्बल डालकर वह हल्के से गौरव के पाँव को सहलाने लगी। फिर अंकिता की अपनी आँखें भी भारी हो रही थीं। अंकिता बैठे बैठे ही गौरव के पाँव अपनी गोद में लिए हुए सो गयी।
अंकिता के सोनेके कुछ देर बाद अंकिताके पति ब्रिगेडियर खन्ना अंकिता को मिलने के लिए अंकिता की बर्थ के पास पहुँचने वाले थे, तब अपर्णा ने उन्हें देखा। अपर्णा को डर था की कहीं अंकिता के पति अंकिता को गौरव के साथ कोई ऐसी वैसी हरकत करते हुए देख ना ले इसलिए वह ब्रिगेडियर साहब को नमस्ते करती हुई एकदम उठ खड़ी हुई और जीतूजी के पाँव थोड़े से खिसका कर अपर्णा ने ब्रिगेडियर साहब को अपने पास बैठाया। अपर्णा ने ब्रिगेडियर खन्ना साहब से कहा की उस समय अंकिता सो रही थी और उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं था। अपर्णा ने फिर ब्रिगेडियर खन्ना साहब को समझा बुझा कर अपने पास बैठाया और अंकिता और गौरव के साथ घटी घटना के बारे में सब बताया। कैसे अंकिता फिसल गयी फिर गौरव भी फिसले और कैसे गौरव ने अंकिता की जान बचाई।