26-12-2019, 01:22 PM
अंकिता दरवाजे की और भागी। दुर्भाग्य से दरवाजा खुला था। वहाँ फर्श पर कुछ दही या अचार जैसा फिसलन वाला पदार्थ बिखरा हुआ था। अंकिता का पाँव फिसल गया। वह लड़खड़ायी और गिर पड़ी। उस के दोनों पाँव खुले दरवाजे से फिसल कर तेज चल रही ट्रैन के बाहर लटक गए।
गौरव ने फुर्ती से लपक कर ट्रैन के बाहर फिसलकर गिरती हुई अंकिता के हाथ पकड़ लिए। अंकिता के पाँव दरवाजे के बाहर निचे खुली हवा में पायदानों पर लटक रहे थे। वह जोर जोर से चिल्ला रही थी, "बचाओ बचाओ। गौरव प्लीज मुझे मत छोड़ना।"
गौरव कह रहे थे, "नहीं छोडूंगा, पर तुम मेरा हाथ कस के थामे रखना। कुछ नहीं होगा। बस हाथ कस के पकड़ रखना।"
अंकिता गौरव के हाथोँ के सहारे टिकी हुई थी। गौरव के पाँव भी उसी चिकनाहट पर थे। वह अपने को सम्हाल नहीं पाए और चिकनाहट पर पाँव फिसलने के कारण गिर पड़े। गौरव के कमर और पाँव कोच के अंदर थे और उनका सर समेत शरीर का ऊपरी हिस्सा दरवाजेके बाहर था। चूँकि उन्होंने अंकिता के हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़ रखे थे, इस लिए वह किसी भी चीज़ का सहारा नहीं ले सकते थे और अपने बदन को फिसल ने से रोक नहीं सकते थे। गौरव ने अपने पाँव फैला कर अपने बदन को बाहर की और फिसलने से रोकना चाहा। पर सहारा ना होने और फर्श पर फैली हुई चिकनाहट के कारण उसका बदन भी धीरे धीरे दरवाजे के बाहर की और खिसकता जा रहा था। पीछे ही अपर्णा आ रही थी। उसने यह दृश्य देखा तो उसकी जान हथेली में आ गयी। कुछ ही क्षण की बात थी की अंकिता और गौरव दोनों ही तेज गति से दौड़ रही ट्रैन के बाहर तेज हवा के कारण उड़कर फेंक दिए जाएंगे।
अपर्णा ने भाग कर फिसल रहे गौरव के पाँव कस के पकडे और अपने दो पाँव फैला कर कोच के कोनों पर अपने पाँव टिका कर गौरव के शरीर को बाहर की और फिसलने से रोकने की कोशिश करने लगी। गौरव अंकिता के दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर अपनी जान की बाजी लगा कर उसे बाहर फेंके जाने से रोकने की भरसक कोशिश में लगा हुआ था। तेज हवा और गाड़ी की तेज गति के कारण अंकिता पूरी तरह दरवाजे के बाहर जैसे उड़ रही थी। गौरव ने पूरी ताकत से अंकिता के दोनों हाथ अपने दोनों हाथोँ में कस के पकड़ कर रखे थे। अंकिता के पाँव हवा में झूल रहे थे। अक्सर अंकिता का घाघरा खुल कर छाते की तरह फ़ैल कर ऊपर की और उठ रहा था। अंकिता डिब्बे में से नीचे उतरने वाले पायदान पर अपने पाँव टिकाने की कोशिश में लगी हुई थी।
अपर्णा जोर से "कोई है? हमें मदद करो" चिल्ला ने लगी।
गौरव ने फुर्ती से लपक कर ट्रैन के बाहर फिसलकर गिरती हुई अंकिता के हाथ पकड़ लिए। अंकिता के पाँव दरवाजे के बाहर निचे खुली हवा में पायदानों पर लटक रहे थे। वह जोर जोर से चिल्ला रही थी, "बचाओ बचाओ। गौरव प्लीज मुझे मत छोड़ना।"
गौरव कह रहे थे, "नहीं छोडूंगा, पर तुम मेरा हाथ कस के थामे रखना। कुछ नहीं होगा। बस हाथ कस के पकड़ रखना।"
अंकिता गौरव के हाथोँ के सहारे टिकी हुई थी। गौरव के पाँव भी उसी चिकनाहट पर थे। वह अपने को सम्हाल नहीं पाए और चिकनाहट पर पाँव फिसलने के कारण गिर पड़े। गौरव के कमर और पाँव कोच के अंदर थे और उनका सर समेत शरीर का ऊपरी हिस्सा दरवाजेके बाहर था। चूँकि उन्होंने अंकिता के हाथ अपने दोनों हाथों में पकड़ रखे थे, इस लिए वह किसी भी चीज़ का सहारा नहीं ले सकते थे और अपने बदन को फिसल ने से रोक नहीं सकते थे। गौरव ने अपने पाँव फैला कर अपने बदन को बाहर की और फिसलने से रोकना चाहा। पर सहारा ना होने और फर्श पर फैली हुई चिकनाहट के कारण उसका बदन भी धीरे धीरे दरवाजे के बाहर की और खिसकता जा रहा था। पीछे ही अपर्णा आ रही थी। उसने यह दृश्य देखा तो उसकी जान हथेली में आ गयी। कुछ ही क्षण की बात थी की अंकिता और गौरव दोनों ही तेज गति से दौड़ रही ट्रैन के बाहर तेज हवा के कारण उड़कर फेंक दिए जाएंगे।
अपर्णा ने भाग कर फिसल रहे गौरव के पाँव कस के पकडे और अपने दो पाँव फैला कर कोच के कोनों पर अपने पाँव टिका कर गौरव के शरीर को बाहर की और फिसलने से रोकने की कोशिश करने लगी। गौरव अंकिता के दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर अपनी जान की बाजी लगा कर उसे बाहर फेंके जाने से रोकने की भरसक कोशिश में लगा हुआ था। तेज हवा और गाड़ी की तेज गति के कारण अंकिता पूरी तरह दरवाजे के बाहर जैसे उड़ रही थी। गौरव ने पूरी ताकत से अंकिता के दोनों हाथ अपने दोनों हाथोँ में कस के पकड़ कर रखे थे। अंकिता के पाँव हवा में झूल रहे थे। अक्सर अंकिता का घाघरा खुल कर छाते की तरह फ़ैल कर ऊपर की और उठ रहा था। अंकिता डिब्बे में से नीचे उतरने वाले पायदान पर अपने पाँव टिकाने की कोशिश में लगी हुई थी।
अपर्णा जोर से "कोई है? हमें मदद करो" चिल्ला ने लगी।