26-12-2019, 01:21 PM
अंकिता से गौरव को यह नहीं कहा गया की गौरव का यह सब कार्यकलाप उसे अच्छा नहीं लग रहा था। अंकिता ने गौरव को साफ़ साफ़ मना भी नहीं किया। अंकिता अपनी बर्थ से उठ कर गैलरी में चल पड़ी।
अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं तो देखा की अंकिता कम्पार्टमेंट के दरवाजे की और बढ़ने लगी थी और उसके पीछे गौरव भी उठ खड़ा हुआ और अंकिता के पीछे पीछे जाने लगा। अपर्णा से रहा नहीं गया। अपर्णा ने हलके से जीतूजी के पाँव अपनी गोद से हटाए और धीरे से बर्थ पर रख दिए। जीतूजी गहरी नींद सो रहे थे। अपर्णा ने जीतूजी के बदन पर पूरी तरह से कम्बल और चद्दर ओढ़ाकर वह स्वयं उठ खड़ी हुई और गौरव और अंकिता की हरकतें देखने उनके पीछे चल पड़ी।
अंकिता आगे भागकर कम्पार्टमेंट के शीशे के दरवाजे के पास जा पहुंची थी। गौरव भी उसके पीछे अंकिता को लपकने के लिए उसके पीछे भाग कर दरवाजे के पास जा पहुंचा था। अपर्णा ने देखा की गौरव ने भाग कर अंकिता को लपक कर अपनी बाँहों में जकड लिया और उसके मुंह पर चुम्बन करने की कोशिश करने लगा। अंकिता भी शरारत भरी हुई हँसी देती हुई गौरव से अपने मुंह को दूर ले जा रही थी। फिर उससे छूट कर अंकिता ने गौरव को अँगुठे से ठेंगा दिखाया और बोली, "इतनी आसानी से तुम्हारे चंगुल में नहीं फँस ने वाली हूँ मैं। तुम फौजी हो तो मैं भी फौजी की बेटी हूँ। हिम्मत है तो पकड़ कर दिखाओ।"
और क्या था? गौरव को तो जैसे बना बनाया निमंत्रण मिल गया। उसने जब भाग कर अंकिता को पकड़ना चाहा तो अंकिता कूद कर कम्पार्टमेंट का शीशे का दरवाजा खोलकर वहाँ पहुंची जो हिस्सा ऐयर-कण्डीशण्ड नहीं होता। जहां टॉयलेट बगैरह होते हैं। पीछे पीछे गौरव भी भाग कर पहुंचा और अंकिता को लपक कर पकड़ना चाहा।
अपर्णा ने अपनी आँखें खोलीं तो देखा की अंकिता कम्पार्टमेंट के दरवाजे की और बढ़ने लगी थी और उसके पीछे गौरव भी उठ खड़ा हुआ और अंकिता के पीछे पीछे जाने लगा। अपर्णा से रहा नहीं गया। अपर्णा ने हलके से जीतूजी के पाँव अपनी गोद से हटाए और धीरे से बर्थ पर रख दिए। जीतूजी गहरी नींद सो रहे थे। अपर्णा ने जीतूजी के बदन पर पूरी तरह से कम्बल और चद्दर ओढ़ाकर वह स्वयं उठ खड़ी हुई और गौरव और अंकिता की हरकतें देखने उनके पीछे चल पड़ी।
अंकिता आगे भागकर कम्पार्टमेंट के शीशे के दरवाजे के पास जा पहुंची थी। गौरव भी उसके पीछे अंकिता को लपकने के लिए उसके पीछे भाग कर दरवाजे के पास जा पहुंचा था। अपर्णा ने देखा की गौरव ने भाग कर अंकिता को लपक कर अपनी बाँहों में जकड लिया और उसके मुंह पर चुम्बन करने की कोशिश करने लगा। अंकिता भी शरारत भरी हुई हँसी देती हुई गौरव से अपने मुंह को दूर ले जा रही थी। फिर उससे छूट कर अंकिता ने गौरव को अँगुठे से ठेंगा दिखाया और बोली, "इतनी आसानी से तुम्हारे चंगुल में नहीं फँस ने वाली हूँ मैं। तुम फौजी हो तो मैं भी फौजी की बेटी हूँ। हिम्मत है तो पकड़ कर दिखाओ।"
और क्या था? गौरव को तो जैसे बना बनाया निमंत्रण मिल गया। उसने जब भाग कर अंकिता को पकड़ना चाहा तो अंकिता कूद कर कम्पार्टमेंट का शीशे का दरवाजा खोलकर वहाँ पहुंची जो हिस्सा ऐयर-कण्डीशण्ड नहीं होता। जहां टॉयलेट बगैरह होते हैं। पीछे पीछे गौरव भी भाग कर पहुंचा और अंकिता को लपक कर पकड़ना चाहा।