26-12-2019, 01:13 PM
अपर्णा जब आधी अधूरी नींद में थी तब उसे गौरव और अंकिता की कानाफूसी सुनाई दी। अपर्णा समझ गयी की गौरव अंकिता को फाँसने की कोशिश में लगा था। अंकिता भी उसे थोड़ी सी ढील दे रही थी। दरअसल अंकिता और गौरव साइड वाली बर्थ लम्बी ना करके बर्थ को ऊपर उठा कर दो कुर्सियां बना कर आमने सामने बैठे थे। अंकिता और गौरव का परिचय हो चुका था। पर शायद अंकिता ने अपनी पूरी कहानी गौरव को नहीं सुनाई थी। अंकिता ने यह नहीं जाहिर किया था की वह शादी शुदा थी। वैसे भी अंकिता को देखने से कोई यह नहीं कह सकता था की वह शादीशुदा थी। अंकिता ने अपने चेहरे पर कोई भी ऐसा निशान नहीं लगा रखा था। ना ही माँग में सिंदूर और नाही कोई मंगल सूत्र। अंकिता ने ऊपर सफ़ेद रंग का टॉप पहना था। उसका टॉप ब्लाउज कहो या स्लीवलेस शर्ट कहो, अंकिता के उन्नत स्तनोँ के उभार को छुपाने में पूरी तरह नाकाम था। अंकिता के टॉप में से उसके स्तन ऐसे उभरे हुए दिख रहे थे जैसे दो बड़े पहाड़ उसकी छाती पर विराजमान हों। अंकिता ने निचे घाघरा सा खुबसुरत नक्शबाजी वाला लंबा फैला हुआ मैक्सी स्कर्ट पहना था जो अंकिता की एड़ियों तक था। अंकिता ने अपने लम्बे घने बालों को घुमा कर कुछ क्लिपों में बाँध रखे थे। होठोँ पर हलकी लिपस्टिक उसके होठोँ का रसीलापन उजागर कर रही थी। और अंकिता की लम्बी गर्दन और चाँद सा गोल चेहरा, जिस पर उसकी चंचल आँखें उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाती थी। अंकिता की गाँड़ का उभार अतिशय रमणीय था।
उसकी पतली कमर के निचे अचानक उदार फैलाव से वह सब मर्दो की आँखों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। जब अंकिता चलती थी तो उसकी गाँड़ का मटकना अच्छेअच्छों का पानी निकाल सकता था। जब कभी थोडासा भी हवा का झोंका आता तो अंकिताका घाघरा अंकिता के दोनों पाँव के बिच में घुस जाता और अंकिता की दोनों जाँघों के बिच स्थित चूत कैसी होगी यह कल्पना कर अच्छे अच्छे मर्द का मुठ मारने का मन करता था। अंकिताकी जाँघें सीधी और लम्बी थीं। अंकिता कोई भी भारतीय नारी से कुछ ज्यादा ही लम्बी होगी। उसकी लम्बाई के कारण अंकिता का गठीला बदन भी एकदम पतला लगता था। हम उम्र होने के अलावा एक दूसरे से पहली नजर से ही जातीय आकर्षण होने के कारण गौरव और अंकिता दोनों एक दूसरे से कुछ अनौपचारिकता से बातें कर रहे थे। अपर्णा को जो सुनाई दिया वह कुछ ऐसा था।
गौरव: "अंकिता, आप गजब की ख़ूबसूरत हो।"
अंकिता: "थैंक यू सर। आप भी तो हैंडसम हो!"
गौरव: "अरे कहाँ? अगर मैं आपको हैंडसम लगता तो आप मेरे करीब आनेसे क्यों झिझ-कतीं?"
अंकिता: "क्या बात करते हैं? मैं आपके करीब ही तो हूँ।"
गौरव ने अपनी टांगों की अंकिता की टांगों से मिलाया और बोला, "देखो हमारे बिच इतना बड़ा फासला है।"
अंकिता: "फासला कहाँ है? आप की टाँगें मेरी टाँगों को टच तो कर रहीं हैं।"
उसकी पतली कमर के निचे अचानक उदार फैलाव से वह सब मर्दो की आँखों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। जब अंकिता चलती थी तो उसकी गाँड़ का मटकना अच्छेअच्छों का पानी निकाल सकता था। जब कभी थोडासा भी हवा का झोंका आता तो अंकिताका घाघरा अंकिता के दोनों पाँव के बिच में घुस जाता और अंकिता की दोनों जाँघों के बिच स्थित चूत कैसी होगी यह कल्पना कर अच्छे अच्छे मर्द का मुठ मारने का मन करता था। अंकिताकी जाँघें सीधी और लम्बी थीं। अंकिता कोई भी भारतीय नारी से कुछ ज्यादा ही लम्बी होगी। उसकी लम्बाई के कारण अंकिता का गठीला बदन भी एकदम पतला लगता था। हम उम्र होने के अलावा एक दूसरे से पहली नजर से ही जातीय आकर्षण होने के कारण गौरव और अंकिता दोनों एक दूसरे से कुछ अनौपचारिकता से बातें कर रहे थे। अपर्णा को जो सुनाई दिया वह कुछ ऐसा था।
गौरव: "अंकिता, आप गजब की ख़ूबसूरत हो।"
अंकिता: "थैंक यू सर। आप भी तो हैंडसम हो!"
गौरव: "अरे कहाँ? अगर मैं आपको हैंडसम लगता तो आप मेरे करीब आनेसे क्यों झिझ-कतीं?"
अंकिता: "क्या बात करते हैं? मैं आपके करीब ही तो हूँ।"
गौरव ने अपनी टांगों की अंकिता की टांगों से मिलाया और बोला, "देखो हमारे बिच इतना बड़ा फासला है।"
अंकिता: "फासला कहाँ है? आप की टाँगें मेरी टाँगों को टच तो कर रहीं हैं।"