26-12-2019, 01:12 PM
अपर्णा ने जीतूजी के चेहरे की और देखा तो वह अपनी आँखें मूँदे अपर्णा के हाथ में अपना लण्ड सहलवा कर अद्भुत आनंद महसूस कर रहे थे ऐसा अपर्णा को लगा। उसके बाद अपर्णा ने धीरे धीरे जीतूजी का लण्ड हिलाने की रफ़्तार बढ़ाई। अपर्णा चाहती थी की इससे पहले की कोई जाग जाए, वह जीतूजी का वीर्य निकलवादे ताकि किसीको शक ना हो। अपर्णा के हाथ बड़ी तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे। अपर्णा ने कम्बल और चद्दर को मोड़ कर उसकी कुछ तह बना कर ख़ास ध्यान रक्खा की उसके हाथ हिलाने को कोई देख ना पाए। अपर्णा जीतूजी के लण्ड को जोर से हिलाने लगी। अब अपर्णा का हाथ दुखने लगा था। अपर्णा ने देखा की जीतूजी के चेहरे पर एक उन्माद सा छाया हुआ।
थोड़ी देर तक काफी तेजी से जीतूजी का लण्ड हिलाने पर अपर्णा ने महसूस किया की जीतूजी पूरा बदन अकड़ सा गया। जीतूजी अपना वीर्य छोड़ने वालेथे। अपर्णा ने धीरे से अपनी जीतूजी के लण्ड को हिलाने की रफ़्तार कम की। जीतूजी के लण्डके केंद्रित छिद्र से उनके वीर्य की पिचकारी छूट रही थी। अपर्णा को डर लगा की कहीं जीतूजी के वीर्य से पूरी चद्दर गीली ना हो जाए। फिर अपर्णा ने दूसरे हाथ से अपने पास ही पड़ा हुआ छोटा सा नेपकिन निकाला और उसे दूसरे हाथ में देकर अपने हाथ की मुट्ठी बना कर उनका सारा वीर्य अपनी मुट्ठी में और उस छोटे से नेपकिन में भर लिया। नेपकिन भी जीतूजी के वीर्यसे पूरा भीग चुकाथा। जीतू जी के लण्ड के चारों और अच्छी तरह से पोंछ कर अपर्णा ने फिर से उनका नरम हुआ लण्ड और अपना हाथ दूसरे नेपकिन से पोंछा और फिर जीतूजी के लण्ड को उनकी निक्कर में फिर वही मशक्कत से घुसा कर जीतूजी की पतलून की ज़िप बंद की। उसे यह राहत थी की उसे यह सब करते हुए किसीने नहीं देखा था। जीतूजी को जरुरी राहत दिला कर अपर्णा ने अपनी आँखें मुँदीं और सोने की कोशिश करने लगी।
श्रेया पहले से ही एक तरफ करवट ले कर सो रही थीं। शायद वह रात को पूरी तरह ठीक से सो नहीं पायीं थीं। श्रेया ने अपनी टाँगें लम्बीं और टेढ़ी कर रखीं थीं जो रोहित की जाँघों को छू रही थीं।
थोड़ी देर तक काफी तेजी से जीतूजी का लण्ड हिलाने पर अपर्णा ने महसूस किया की जीतूजी पूरा बदन अकड़ सा गया। जीतूजी अपना वीर्य छोड़ने वालेथे। अपर्णा ने धीरे से अपनी जीतूजी के लण्ड को हिलाने की रफ़्तार कम की। जीतूजी के लण्डके केंद्रित छिद्र से उनके वीर्य की पिचकारी छूट रही थी। अपर्णा को डर लगा की कहीं जीतूजी के वीर्य से पूरी चद्दर गीली ना हो जाए। फिर अपर्णा ने दूसरे हाथ से अपने पास ही पड़ा हुआ छोटा सा नेपकिन निकाला और उसे दूसरे हाथ में देकर अपने हाथ की मुट्ठी बना कर उनका सारा वीर्य अपनी मुट्ठी में और उस छोटे से नेपकिन में भर लिया। नेपकिन भी जीतूजी के वीर्यसे पूरा भीग चुकाथा। जीतू जी के लण्ड के चारों और अच्छी तरह से पोंछ कर अपर्णा ने फिर से उनका नरम हुआ लण्ड और अपना हाथ दूसरे नेपकिन से पोंछा और फिर जीतूजी के लण्ड को उनकी निक्कर में फिर वही मशक्कत से घुसा कर जीतूजी की पतलून की ज़िप बंद की। उसे यह राहत थी की उसे यह सब करते हुए किसीने नहीं देखा था। जीतूजी को जरुरी राहत दिला कर अपर्णा ने अपनी आँखें मुँदीं और सोने की कोशिश करने लगी।
श्रेया पहले से ही एक तरफ करवट ले कर सो रही थीं। शायद वह रात को पूरी तरह ठीक से सो नहीं पायीं थीं। श्रेया ने अपनी टाँगें लम्बीं और टेढ़ी कर रखीं थीं जो रोहित की जाँघों को छू रही थीं।