26-12-2019, 11:56 AM
अंकिता के पिताजी ब्रिगेडियर खन्ना के ऑर्डरली थे। उनको ब्रिगेडियर साहब ने बच्चों की पढाई और घर बनाने के लिए अच्छा खासा कर्ज दिया था जो वह चुका नहीं पा रहे थे। अंकिता भी ब्रिगेडियर साहब के घर में घर का काम करती थी। ब्रिगेडियर साहब की बीबी के देहांत के बाद जब वह लड़की ब्रिगेडियर साहब के घर में काम करने आती थी तब ब्रिगेडियर साहब ने उसे धीरे धीरे उसे अपनी शैया भगिनी बना लिया। जब अंकिता के पिताजी का भी देहांत हो गया तो वह लड़की के भाइयों ने घर का कब्जा कर लिया और बहन को छोड़ दिया। अंकिता अकेली हो गयी और ब्रिगेडियर साहब के साथ उनकी पत्नी की तरह ही रहने लगी। उन के शारीरिक सम्बन्ध तो थे ही। आखिर में उन दोनों ने लोक लाज के मारे शादी करली।
अपर्णा को दोनों के बिच की उम्र के अंतर का उनकी शादी-शुदा यौन जिंदगी पर क्या असर हुआ यह जानने की बड़ी उत्सुकता थी। जब अपर्णा ने इस बारे में पूछा तो अंकिता ने साफ़ कह दिया की पिछले कुछ सालों से ब्रिगेडियर साहब अंकिता को जातीय सुख नहीं दे पाते थे। अंकिता ने ब्रिगेडियर साहब से इसके बारे में कोई शिकायत नहींकी। पर जब ब्रिगेडियर साहब उनकी उम्र के चलते जब अंकिता को सम्भोग सुख देने में असफल रहे तो उन्होंने अंकिता के शिकायत ना करने पर भी बातों बातों में यह संकेत दिया था की अगर अंकिता किसी और मर्द उसे शारीरिक सुख देने में शक्षम हो और वह उसे सम्भोग करना चाहे तो ब्रिगेडियर साहब उसे रोकेंगे नहीं।
उनकी शर्त यह थी की अंकिता को यह सब चोरी छुपी और बाहर के लोगों को ना पता लगे ऐसे करना होगा। अंकिता अगर उनको बता देगी या इशारा कर देगी तो वह समझ जाएंगे। अंकिता ने अपर्णा को यह बताया की ब्रिगेडियर साहब उसका बड़ा ध्यान रखते थे और उसे बेटी या पत्नी से भी कहीं ज्यादा प्यार करते थे। वह हमेशा अंकिता को उसकी शारीरक जरूरियात के बारे में चिंतित रहते थे। उन्होंने कई बार अंकिता को प्रोत्साहित किया था की अंकिता कोई मर्द के साथ शारीरिक सम्बन्ध रखना चाहे तो रख सकती थी। पर अंकिता ने कभी भी इस छूटका फायदा नहीं लेना चाहा। अंकिता ने अपर्णाको बतायाकी वह ब्रिगेडियर साहब से बहुत खुश थी। वह अंकिता को मन चाहि चीज़ें मुहैय्या कराते थे। अंकिता को ब्रिगेडियर साहब से कोई शिकायत नहीं थी। अपर्णा ने भी अपनी सारी कौटुम्बिक कहानी अंकिता को बतायी और देखते ही देखते दोनों पक्के दोस्त बन गए। बात खत्म होने के बाद अंकिता वापस अपनी सीट पर चली गयी जहां कप्तान गौरव उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
अपर्णा की ऑंखें भी भारी हो रहीं थीं। जीतूजी की लम्बी टाँगें उसकी जाँघों को कुरेद रहीं थीं। अपर्णा ने अपने पॉंव सामने की सीट तक लम्बे किये और आँखें बंद कर तन्द्रा में चली गयी।अपर्णा ने अपनी टाँगें सामने की बर्थ पर रखीं थीं। रोहित सामने की बर्थ पर बैठे हुए ही गहरी नींद में थे। जैसे ही अपर्णा ने अपने बदन को थोड़ा सा फैला दिया और आमने सामने की बर्थ पर थोड़ी लम्बी हुई की उसे जीतूजी के पॉंव का अपनी जाँघों के पास एहसास हुआ।
अपर्णा को दोनों के बिच की उम्र के अंतर का उनकी शादी-शुदा यौन जिंदगी पर क्या असर हुआ यह जानने की बड़ी उत्सुकता थी। जब अपर्णा ने इस बारे में पूछा तो अंकिता ने साफ़ कह दिया की पिछले कुछ सालों से ब्रिगेडियर साहब अंकिता को जातीय सुख नहीं दे पाते थे। अंकिता ने ब्रिगेडियर साहब से इसके बारे में कोई शिकायत नहींकी। पर जब ब्रिगेडियर साहब उनकी उम्र के चलते जब अंकिता को सम्भोग सुख देने में असफल रहे तो उन्होंने अंकिता के शिकायत ना करने पर भी बातों बातों में यह संकेत दिया था की अगर अंकिता किसी और मर्द उसे शारीरिक सुख देने में शक्षम हो और वह उसे सम्भोग करना चाहे तो ब्रिगेडियर साहब उसे रोकेंगे नहीं।
उनकी शर्त यह थी की अंकिता को यह सब चोरी छुपी और बाहर के लोगों को ना पता लगे ऐसे करना होगा। अंकिता अगर उनको बता देगी या इशारा कर देगी तो वह समझ जाएंगे। अंकिता ने अपर्णा को यह बताया की ब्रिगेडियर साहब उसका बड़ा ध्यान रखते थे और उसे बेटी या पत्नी से भी कहीं ज्यादा प्यार करते थे। वह हमेशा अंकिता को उसकी शारीरक जरूरियात के बारे में चिंतित रहते थे। उन्होंने कई बार अंकिता को प्रोत्साहित किया था की अंकिता कोई मर्द के साथ शारीरिक सम्बन्ध रखना चाहे तो रख सकती थी। पर अंकिता ने कभी भी इस छूटका फायदा नहीं लेना चाहा। अंकिता ने अपर्णाको बतायाकी वह ब्रिगेडियर साहब से बहुत खुश थी। वह अंकिता को मन चाहि चीज़ें मुहैय्या कराते थे। अंकिता को ब्रिगेडियर साहब से कोई शिकायत नहीं थी। अपर्णा ने भी अपनी सारी कौटुम्बिक कहानी अंकिता को बतायी और देखते ही देखते दोनों पक्के दोस्त बन गए। बात खत्म होने के बाद अंकिता वापस अपनी सीट पर चली गयी जहां कप्तान गौरव उसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
अपर्णा की ऑंखें भी भारी हो रहीं थीं। जीतूजी की लम्बी टाँगें उसकी जाँघों को कुरेद रहीं थीं। अपर्णा ने अपने पॉंव सामने की सीट तक लम्बे किये और आँखें बंद कर तन्द्रा में चली गयी।अपर्णा ने अपनी टाँगें सामने की बर्थ पर रखीं थीं। रोहित सामने की बर्थ पर बैठे हुए ही गहरी नींद में थे। जैसे ही अपर्णा ने अपने बदन को थोड़ा सा फैला दिया और आमने सामने की बर्थ पर थोड़ी लम्बी हुई की उसे जीतूजी के पॉंव का अपनी जाँघों के पास एहसास हुआ।