26-12-2019, 11:54 AM
टी टी साहब फ़ौरन अपर्णा की और मुड़े और बोले, "हां हाँ वह तो मुझे आप के टिकट से ही पता चल गया। पर आप जम्मू से आगे कहाँ जा रहे हैं?" जब फिर रोहित और कर्नल साहब से जवाब नहीं मिला तब टी टी ने अपर्णा की और जिज्ञासा भरी नजरों से देखा। फिर क्या था? अपर्णा ने उनको सारा प्रोग्राम जो उसको पता था सब टी टी साहब को बता दिया।
अपर्णा ने टी टी को बताया की वह सब आर्मी के ट्रेनिंग कैंप में जम्मू से काफी दूर एक ट्रेनिंग कैंप में जा रहे थे। अपर्णा को जब टी टी ने उस जगह का नाम और वह जगह जम्मू से कितनी दुरी पर थी पूछा तो अपर्णा कुछ बता नहीं पायी। अपर्णा को उस जगह के बारे में ज्यादा पता नहीं था। चूँकि कर्नल साहब और रोहित बात करने के मूड में नहीं थे इस लिए टी टी साहब थोड़े मायूस से लग रहे थे। उस समय श्रेया नींद में थीं। रोहित, अपर्णा, कर्नल अभिजीत सिंह और श्रेया जी का टिकट चेक करने के बाद टी टी साहब दूसरे कम्पार्टमेंट में चले गए। उन्होंने उस समय और किसी का टिकट चेक नहीं किया। टी टी के चले जाने के बाद सब ने एक दूसरे को अपना परिचय दिया। साइड की निचे की बर्थ पर स्थित युवा अफसर कप्तान गौरव थे। वह भी श्रेया जी, जीतूजी, रोहित और अपर्णा की तरह ट्रेनिंग कैंप में जा रहे थे।
देखते ही देखते दोनों युवा: कप्तान गौरव और अंकिता खन्ना करीब करीब एक ही उम्र के होने के कारण बातचीत में मशगूल हो गए। अंकिता वाकई में निहायत ही खूबसूरत और कटीली लड़की थी। उसके अंग अंग में मादकता नजर आ रही थी।कप्तान गौरव को मिलते ही जैसे अंकिता को और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। गौरव का कसरत से कसा हुआ बदन, मांसल बाज़ूओं के स्नायु और पतला गठीला पेट और कमर और काफी लंबा कद देखते ही अंकिता की आँखों में एक अजीब सी चमक दिखी। गौरव का दिल भी अंकिता का गठीला बदन और उसकी मादक आँखें देखते ही छलनी हो गया था। अंकिता के अंग अंग में काम दिख रहा था। अंकिता की मादक हँसी, उसकी बात करते समय की अदाएं, उसके रसीले होँठ, उसके घने काले बाल, उसकी नशीली सुआकार काया कप्तान को भा गयी थी। कप्तान गौरव की नजर अंकिता के कुर्ते में से कूद कर बाहर आने के लिए बेताब अंकिता के बूब्स पर बार बार जाती रहती थी। अंकिता अपनी चुन्नी बार बार अपनी छाती पर डाल कर उन्हें छुपा ने की नाकाम कोशिश करती पर हवाका झोंका लगते ही वह खिसक जाती और उसके उरोज कपड़ों के पीछे भी अपनी उद्दंडता दिखाते। अंकिता का सलवार कुछ ऐसा था की उसके गले के निचे का उसके स्तनोँ का उभार छुपाये नहीं छुपता था। अंकिता की गाँड़ भी निहायत ही सेक्सी और बरबस ही छू ने का मन करे ऐसी करारी दिखती थी। बेचारा गौरव उसके बिलकुल सामने बैठी हुई इस रति को कैसे नजर अंदाज करे?
अपर्णा ने देखा की गौरव और अंकिता पहली मुलाक़ात में ही एक दूसरे के दीवाने हों ऐसे लग रहे थे। दोनों की बातें थमने का नाम नहीं ले रहीं थीं। अपर्णा अपने मन ही मन में मुस्काई। यह निगोड़ी जवानी होती ही ऐसी है। जब दो युवा एकदूसरे को पसंद करते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें मिलने से नहीं रोक सकती। अपर्णा को लगा की कहीं यह पागलपन अंकिता की शादीशुदा जिंदगी को मुश्किलमें ना डालदे। कर्नल साहब और रोहित भी उन दो युवाओँ की हरकत देख कर मूंछों में ही मुस्कुरा रहे थे। उनको भी शायद अपनी जवानी याद आ गयी।
अपर्णा ने टी टी को बताया की वह सब आर्मी के ट्रेनिंग कैंप में जम्मू से काफी दूर एक ट्रेनिंग कैंप में जा रहे थे। अपर्णा को जब टी टी ने उस जगह का नाम और वह जगह जम्मू से कितनी दुरी पर थी पूछा तो अपर्णा कुछ बता नहीं पायी। अपर्णा को उस जगह के बारे में ज्यादा पता नहीं था। चूँकि कर्नल साहब और रोहित बात करने के मूड में नहीं थे इस लिए टी टी साहब थोड़े मायूस से लग रहे थे। उस समय श्रेया नींद में थीं। रोहित, अपर्णा, कर्नल अभिजीत सिंह और श्रेया जी का टिकट चेक करने के बाद टी टी साहब दूसरे कम्पार्टमेंट में चले गए। उन्होंने उस समय और किसी का टिकट चेक नहीं किया। टी टी के चले जाने के बाद सब ने एक दूसरे को अपना परिचय दिया। साइड की निचे की बर्थ पर स्थित युवा अफसर कप्तान गौरव थे। वह भी श्रेया जी, जीतूजी, रोहित और अपर्णा की तरह ट्रेनिंग कैंप में जा रहे थे।
देखते ही देखते दोनों युवा: कप्तान गौरव और अंकिता खन्ना करीब करीब एक ही उम्र के होने के कारण बातचीत में मशगूल हो गए। अंकिता वाकई में निहायत ही खूबसूरत और कटीली लड़की थी। उसके अंग अंग में मादकता नजर आ रही थी।कप्तान गौरव को मिलते ही जैसे अंकिता को और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। गौरव का कसरत से कसा हुआ बदन, मांसल बाज़ूओं के स्नायु और पतला गठीला पेट और कमर और काफी लंबा कद देखते ही अंकिता की आँखों में एक अजीब सी चमक दिखी। गौरव का दिल भी अंकिता का गठीला बदन और उसकी मादक आँखें देखते ही छलनी हो गया था। अंकिता के अंग अंग में काम दिख रहा था। अंकिता की मादक हँसी, उसकी बात करते समय की अदाएं, उसके रसीले होँठ, उसके घने काले बाल, उसकी नशीली सुआकार काया कप्तान को भा गयी थी। कप्तान गौरव की नजर अंकिता के कुर्ते में से कूद कर बाहर आने के लिए बेताब अंकिता के बूब्स पर बार बार जाती रहती थी। अंकिता अपनी चुन्नी बार बार अपनी छाती पर डाल कर उन्हें छुपा ने की नाकाम कोशिश करती पर हवाका झोंका लगते ही वह खिसक जाती और उसके उरोज कपड़ों के पीछे भी अपनी उद्दंडता दिखाते। अंकिता का सलवार कुछ ऐसा था की उसके गले के निचे का उसके स्तनोँ का उभार छुपाये नहीं छुपता था। अंकिता की गाँड़ भी निहायत ही सेक्सी और बरबस ही छू ने का मन करे ऐसी करारी दिखती थी। बेचारा गौरव उसके बिलकुल सामने बैठी हुई इस रति को कैसे नजर अंदाज करे?
अपर्णा ने देखा की गौरव और अंकिता पहली मुलाक़ात में ही एक दूसरे के दीवाने हों ऐसे लग रहे थे। दोनों की बातें थमने का नाम नहीं ले रहीं थीं। अपर्णा अपने मन ही मन में मुस्काई। यह निगोड़ी जवानी होती ही ऐसी है। जब दो युवा एकदूसरे को पसंद करते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें मिलने से नहीं रोक सकती। अपर्णा को लगा की कहीं यह पागलपन अंकिता की शादीशुदा जिंदगी को मुश्किलमें ना डालदे। कर्नल साहब और रोहित भी उन दो युवाओँ की हरकत देख कर मूंछों में ही मुस्कुरा रहे थे। उनको भी शायद अपनी जवानी याद आ गयी।