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Adultery कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED}
#89
अपर्णा बेचारी कुछ समझी नहीं या फिर ना समझने का दिखावा करती हुई बोली, "मैं भी तो यही कह रही हूँ, तुम अब बातें ना करो, चलो चढ़ जाओ और जल्दी चोदो। हमारे पास पूरी रात नहीं है। कल सुबह जल्दी उठना है और निकलना है।" अपर्णा पतिका लण्ड फुर्तीसे हिलाने लगी। उसकी जरुरत ही नहीं थी। क्यूंकि रोहित का लण्ड पहले ही फूल कर खड़ा हो चुका था। जैसे ही रोहित ने अपनी दो उंगलियां अपनी बीबी अपर्णा की चूत में डालीं तो अपर्णा का पूरा बदन मचल उठा। रोहित अपनी बीबी की चूत की सबसे ज्यादा संवेदनशील त्वचा को अपनी उँगलियों से इतने प्यार और दक्षता से दबा और मसला रहे थे की अपर्णा बिन चाहे ही अपनी गाँड़ बिस्तरे पर रगड़ ने लगी। अपर्णा ने मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं। सुबह जीतूजी से हुआ शारीरिक आधा अधूरा प्यार भी अपर्णा को याद आनेसे पागल करने के लिए काफी था। उस पर अपने पति से सतत जीतूजी की बातें सुन कर उसकी उत्तेजना रुकने का नाम नहीं ले रही थी। अपर्णा अब सारी लज्जा की मर्यादा लाँघ चुकी थी।

अपर्णा ने अपने पति का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने स्तनों पर रगड़ते हुए बोली, "रोहित, मुझे ज्यादा परेशान मत करो। प्लीज मुझे चोदो। अपना लण्ड जल्दी ही डालो और उसे मेरी चूत में खूब रगड़ो। प्लीज जल्दी करो।" रोहित भी तो अपनी पत्नी को चोदने के लिए पागल हो रहा था। रोहित ने झट से अपना पयजामा और कुरता निकाल फेंका और फुर्ती से अपनी बीबी की टाँगें चौड़ी कर के उसके बिच में अपनी बीबी की प्यारी छोटी सी चूत को बड़े प्यार से निहारने लगा। सालों की चुदाई के बावजूद भी अपर्णा की चूत का छिद्र वैसा ही छोटा सा था। उसे चोद कर रोहित को जो अद्भुत आनंद आता था वह वही जानता था। अपर्णा को जब रोहित चोदता था तो पता नहीं कैसे अपर्णा अपनी चूत की दीवारों को इतना सिकुड़ लेती थी की रोहित को ऐसा लगता था जैसे उसका लण्ड अपर्णा की चूत में से बाहर ही नहीं निकल पायेगा।

अपर्णा की चूत चुदवाते समय अंदर से ऐसी गजब की फड़कती थी की रोहित ने कभी किसी और औरत की चूत में उसे चोदते समय ऐसी फड़कन नहीं महसूस की थी। रोहित के मन की इच्छा थी की जो आनंद वह अनुभव कर रहा था उस आनंद को कभी ना कभी जीतूजी भी अनुभव करें। पर रोहित यह भी जानता थाकी उसकी बीबी अपर्णा अपने इरादों में पक्की थी। वह कभी भी किसी भी हालत में जीतूजी या किसी और को अपनी चूत में लण्ड घुसा ने की इजाजत नहीं देगी। इस जनम में तो नहीं ही देगी। रोहित ने फिर सोचा, क्या पता उस बर्फीले और रोमांटिक माहौल में और उन खूबसूरत वादियों में शायद अपर्णा को जीतूजी पर तरस ही जाये और अपनी माँ को दिया हुआ वचन भूल कर वह जीतूजी को उसे चोदने की इजाजत देदे। पर यब सब एक दिलासा ही था। अपर्णा वाकई में एक जिद्दी राजपूतानी थी। रोहित यह अच्छी तरह जानता था। अपर्णा जीतूजी के लिए कुछ भी कर सकती थी पर उन्हें अपनी चूत में लण्ड नहीं डालने देगी। बस जीतूजी का लण्ड अपर्णा की चूत में डलवाने का एक ही तरिका था और वह था अपर्णा को धोखेमें रख कर उसे चुदवाये। जैसे: उसे नशीला पदार्थ खिला कर या शराब के नशे में टुन्न कर या फिर घने अँधेरे में धोखे से अपर्णा को रोहित पहले खुद चोदे और फिर धीरे से जीतूजी को अपर्णा की टांगों के बिच ले जाकर उनका लण्ड अपनी पत्नी की चूत में डलवाये।
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RE: "कल हो ना हो" - पत्नी की अदला-बदली - {COMPLETED} - by usaiha2 - 26-12-2019, 11:48 AM



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