26-12-2019, 11:43 AM
कर्नल साहब ने अपर्णा की और ध्यान से देखा और थोड़ी देर मौन हो गए, फिर गंभीरता से बोले, "देखो अपर्णा, मुझे लगता है शायद यह सब हमारे मन का वहम था। जैसाकी आपके पति रोहित ने कहा, हमें उसे भूल जाना चाहिए।" अपर्णा को फिर भी लगा की जीतूजी सारी बात खुलकर बोलना उस समय ठीक नहीं समझते और इस लिए अपर्णा ने भी उस बात को वहीँ छोड़ देना ही ठीक समझा।
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उस सुबहके बाद कर्नल साहब और अपर्णा एक दूसरे से ऐसे वर्तन करने लगे जैसे उस सुबह उनके बिच कुछ हुआ ही नहीं और उनके बिच अभी दूरियां वैसे ही बनी हुई थीं जैसे पहले थीं।
पहाड़ों में छुट्टियां मनाने जाने का दिन करीब आ रहा था। अपर्णा अपने पति रोहित के साथ पैकिंग करने और सफर की तैयारी करने में जुट गयी। दोनों जोड़ियों का मिलना उन दिनों हुआ नहीं। फ़ोन पर एक दूसरे से वह जरूर सलाह मशवरा करते थे की तैयारी ठीक हो रही है या नहीं। एक बार जब अपर्णा ने जीतूजी को फ़ोन कर पूछा की क्या जीतूजी श्रेया छुट्टियों में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, तो जीतूजी ने अपर्णा को फ़ोन पर ही एक लंबा चौड़ा भाषण दे दिया।
कर्नल साहब ने कहा, "अपर्णा मैं आप और रोहित से यह कहना चाहता हूँ की यह कोई छुट्टियां मनाने हम नहीं जा रहे। यह भारतीय सेना का भारत के युवा नागरिकों के लिए आतंकवाद से निपटने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है l इस में सेना के कर्मचारियों के रिश्तेदार और मित्रगण ही शामिल हो सकते हैं। इस प्रोग्राम में शामिल होने के किये जरुरी राशि देने के अलावा सेना के कोई भी आला अधिकारी की सिफारिश भी आवश्यक है। सब शामिल होने वालों का सिक्योरिटी चेक भी होता है l इस में रोज सुबह छे बजे कसरत, पहाड़ों में ट्रेक्किंग (यानी पहाड़ चढ़ना या पहाड़ी रास्तों पर लंबा चलना), दोपहर आराम, शाम को आतंकवाद और आतंक वादियों पर लेक्चर और देर शाम को ड्रिंक्स, डान्स बगैरह का कार्यक्रम हैl हम छुट्टियां तो मनाएंगे ही पर साथ साथ आम नागरिक आतंकवाद से कैसे लड़ सकते हैं या लड़ने में सेना की मदद कैसे कर सकते हैं उसकी ट्रेनिंग दी जायेगी। मैं भी उन ट्रैनिंग के प्रशिक्षकों में से एक हूँ। आपको मेरा लेक्चर भी सुनना पडेगा।"
रोहित को यह छुट्टियां श्रेया के करीब जानेका सुनहरा मौक़ा लगा। साथ साथ वह इस उधेड़बुन में भी थे की इन छुट्टियों में कैसे अपर्णा और जीतूजी को एक साथ किया जाए की जिससे उन दोनोंमें भी एक दूसरेके प्रति जबरदस्त शारीरिक आकर्षण हो और मौक़ा मिलते ही दोनों जोड़ियों का आपस में एक दूसरे के जोड़ीदार से शारीरिक सम्भोग हो। वह इस ब्रेक को एक सुनहरी मौक़ा मान रहे थे।
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उस सुबहके बाद कर्नल साहब और अपर्णा एक दूसरे से ऐसे वर्तन करने लगे जैसे उस सुबह उनके बिच कुछ हुआ ही नहीं और उनके बिच अभी दूरियां वैसे ही बनी हुई थीं जैसे पहले थीं।
पहाड़ों में छुट्टियां मनाने जाने का दिन करीब आ रहा था। अपर्णा अपने पति रोहित के साथ पैकिंग करने और सफर की तैयारी करने में जुट गयी। दोनों जोड़ियों का मिलना उन दिनों हुआ नहीं। फ़ोन पर एक दूसरे से वह जरूर सलाह मशवरा करते थे की तैयारी ठीक हो रही है या नहीं। एक बार जब अपर्णा ने जीतूजी को फ़ोन कर पूछा की क्या जीतूजी श्रेया छुट्टियों में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे, तो जीतूजी ने अपर्णा को फ़ोन पर ही एक लंबा चौड़ा भाषण दे दिया।
कर्नल साहब ने कहा, "अपर्णा मैं आप और रोहित से यह कहना चाहता हूँ की यह कोई छुट्टियां मनाने हम नहीं जा रहे। यह भारतीय सेना का भारत के युवा नागरिकों के लिए आतंकवाद से निपटने में सक्षम बनाने के लिए आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम है l इस में सेना के कर्मचारियों के रिश्तेदार और मित्रगण ही शामिल हो सकते हैं। इस प्रोग्राम में शामिल होने के किये जरुरी राशि देने के अलावा सेना के कोई भी आला अधिकारी की सिफारिश भी आवश्यक है। सब शामिल होने वालों का सिक्योरिटी चेक भी होता है l इस में रोज सुबह छे बजे कसरत, पहाड़ों में ट्रेक्किंग (यानी पहाड़ चढ़ना या पहाड़ी रास्तों पर लंबा चलना), दोपहर आराम, शाम को आतंकवाद और आतंक वादियों पर लेक्चर और देर शाम को ड्रिंक्स, डान्स बगैरह का कार्यक्रम हैl हम छुट्टियां तो मनाएंगे ही पर साथ साथ आम नागरिक आतंकवाद से कैसे लड़ सकते हैं या लड़ने में सेना की मदद कैसे कर सकते हैं उसकी ट्रेनिंग दी जायेगी। मैं भी उन ट्रैनिंग के प्रशिक्षकों में से एक हूँ। आपको मेरा लेक्चर भी सुनना पडेगा।"
रोहित को यह छुट्टियां श्रेया के करीब जानेका सुनहरा मौक़ा लगा। साथ साथ वह इस उधेड़बुन में भी थे की इन छुट्टियों में कैसे अपर्णा और जीतूजी को एक साथ किया जाए की जिससे उन दोनोंमें भी एक दूसरेके प्रति जबरदस्त शारीरिक आकर्षण हो और मौक़ा मिलते ही दोनों जोड़ियों का आपस में एक दूसरे के जोड़ीदार से शारीरिक सम्भोग हो। वह इस ब्रेक को एक सुनहरी मौक़ा मान रहे थे।