26-12-2019, 11:34 AM
पत्नी की अदला-बदली - 04
अपर्णा की हालत साँप छछूंदर निगले ऐसी हो गयी। ना वह निगल सकती थी और ना वह उगल सकती थी। ना वह जीतूजी को रोक सकती थी और नाही उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत दे सकती थी। वह करे तो क्या करे? उस रात वह भी ठीक तरह सो नहीं पायी थी। उसके दिमाग में पिछली शामकी घंटनाएँ पूरी रात घूमती रहीथीं। रोहित का पीछा कौन कर रहा था? क्यों कर रहा था? वाकई में कर भी रहा था की नहीं? यह सवाल उसको खाये जा रहे थे। पर उस समय वह सब सोचने का वक्त नहीं था। उसे एक ही चिंता थी। अगर जीतूजी उसे चोदने के लिए मजबूर करेंगे तो वह क्या करेगी? एक बात साफ़ थी। अपर्णा जानती थी की उसमें उतनी हिम्मत नहीं थी की वह जीतूजी को रोक सके। इसका कारण यह था की वह खुद भी कहीं ना कहीं अपने मन की गहराइयों में जीतूजी से चुदवाना चाहती थी। अपर्णा को जीतूजी का मोटा, लंबा लण्ड उसकी चूत में कैसे फिट होगा उसकी जिज्ञासा मार रही थी। वह उस लण्ड को अपनी चूत में अनुभव करना चाहती थी। तो दूसरी और उसने माँ को दिया हुआ वचन था। उसे अपने पति से धोका करेगी उसकी चिंता नहीं थी, क्यूंकि उसके पति को अगर अपर्णा जीतूजी से चुदवाने के लिए राजी हो जाए तो कोई आपत्ति नहीं होगी यह अपर्णा जानती थी। बल्कि अपर्णा के पति रोहित तो अपर्णा को जीतूजी का नाम लेकर उकसाने के लिए जी भर कोशिश कर रहे थे। जाहिर था की रोहित चाहते थे की कभी ना कभी अपर्णा जीतूजी से चुदवाले ताकि उनका रास्ता साफ़ हो जाये। मतलब अपर्णा के पति रोहित जी भी तो जीतूजी की बीबी श्रेया को चोदना चाहते थे ना? अगर अपर्णा जीतूजी से चुदवाने लगी तो फिर अपर्णा भी तो अपने पति रोहित को जीतूजी की बीबी श्रेया को चोदने से कैसे रोक सकती है?
हालांकि अपर्णा ने कभी अपने पति को किसी भी औरत को चोदने से रोकना नहीं चाहा। अपर्णा जानती थी की उसके पति भी रंगीले मिज़ाज के तो हैं ही। वह विदेश में जाते हैं तो वहाँ तो औरतें, अगर कोई मर्द मन भाया तो, अक्सर अपनी टाँगों को खोलने में देर नहीं करतीं। मर्दों को अपने देश की तरह वहाँ खूबसूरत औरतों को चोदने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते। इस लिए अपर्णा ने मानसिक रूप से यह स्वीकार कर लिया था की उसके पति रोहित मौक़ा मिलने पर दूसरी औरतों को चोदते थे और इसके बारे में ना तो वह अपने पति से पूछती थी और ना तो उसके पति अपर्णा को कुछ बताते थे। तो मानसिक रूप से उनका वैवाहिक जीवन खुला सा ही था। पर बात यहां अपर्णा की अपनी अस्मिता की थी। अपर्णा को लगा की वह उस समय ज्यादा कुछ सोचने की स्थिति में नहीं थी। दबाव के मारे उसका सर फटा जा रहा था। उसे कुछ ज्यादा ही थकान महसूस हो रही थी। उसकी बगल में जीतूजी भी शायद नींद में थे क्यूंकि काफी समय से उन्होंने अपनी आँखें खोली नहीं थी और उनकी साँसे एक ही गति से मंद मंद चल रहीं थी। अपर्णा को एक नींद की झपकी आ गयी और वह जीतूजी के बदन पर ही लुढ़क गयी। उसका एक स्तन जीतूजी के मुंह में था वह जानते हुए भी वह उस समय कुछ कर पाने के लिए असमर्थ थी।
अपर्णा की हालत साँप छछूंदर निगले ऐसी हो गयी। ना वह निगल सकती थी और ना वह उगल सकती थी। ना वह जीतूजी को रोक सकती थी और नाही उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत दे सकती थी। वह करे तो क्या करे? उस रात वह भी ठीक तरह सो नहीं पायी थी। उसके दिमाग में पिछली शामकी घंटनाएँ पूरी रात घूमती रहीथीं। रोहित का पीछा कौन कर रहा था? क्यों कर रहा था? वाकई में कर भी रहा था की नहीं? यह सवाल उसको खाये जा रहे थे। पर उस समय वह सब सोचने का वक्त नहीं था। उसे एक ही चिंता थी। अगर जीतूजी उसे चोदने के लिए मजबूर करेंगे तो वह क्या करेगी? एक बात साफ़ थी। अपर्णा जानती थी की उसमें उतनी हिम्मत नहीं थी की वह जीतूजी को रोक सके। इसका कारण यह था की वह खुद भी कहीं ना कहीं अपने मन की गहराइयों में जीतूजी से चुदवाना चाहती थी। अपर्णा को जीतूजी का मोटा, लंबा लण्ड उसकी चूत में कैसे फिट होगा उसकी जिज्ञासा मार रही थी। वह उस लण्ड को अपनी चूत में अनुभव करना चाहती थी। तो दूसरी और उसने माँ को दिया हुआ वचन था। उसे अपने पति से धोका करेगी उसकी चिंता नहीं थी, क्यूंकि उसके पति को अगर अपर्णा जीतूजी से चुदवाने के लिए राजी हो जाए तो कोई आपत्ति नहीं होगी यह अपर्णा जानती थी। बल्कि अपर्णा के पति रोहित तो अपर्णा को जीतूजी का नाम लेकर उकसाने के लिए जी भर कोशिश कर रहे थे। जाहिर था की रोहित चाहते थे की कभी ना कभी अपर्णा जीतूजी से चुदवाले ताकि उनका रास्ता साफ़ हो जाये। मतलब अपर्णा के पति रोहित जी भी तो जीतूजी की बीबी श्रेया को चोदना चाहते थे ना? अगर अपर्णा जीतूजी से चुदवाने लगी तो फिर अपर्णा भी तो अपने पति रोहित को जीतूजी की बीबी श्रेया को चोदने से कैसे रोक सकती है?
हालांकि अपर्णा ने कभी अपने पति को किसी भी औरत को चोदने से रोकना नहीं चाहा। अपर्णा जानती थी की उसके पति भी रंगीले मिज़ाज के तो हैं ही। वह विदेश में जाते हैं तो वहाँ तो औरतें, अगर कोई मर्द मन भाया तो, अक्सर अपनी टाँगों को खोलने में देर नहीं करतीं। मर्दों को अपने देश की तरह वहाँ खूबसूरत औरतों को चोदने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास नहीं करने पड़ते। इस लिए अपर्णा ने मानसिक रूप से यह स्वीकार कर लिया था की उसके पति रोहित मौक़ा मिलने पर दूसरी औरतों को चोदते थे और इसके बारे में ना तो वह अपने पति से पूछती थी और ना तो उसके पति अपर्णा को कुछ बताते थे। तो मानसिक रूप से उनका वैवाहिक जीवन खुला सा ही था। पर बात यहां अपर्णा की अपनी अस्मिता की थी। अपर्णा को लगा की वह उस समय ज्यादा कुछ सोचने की स्थिति में नहीं थी। दबाव के मारे उसका सर फटा जा रहा था। उसे कुछ ज्यादा ही थकान महसूस हो रही थी। उसकी बगल में जीतूजी भी शायद नींद में थे क्यूंकि काफी समय से उन्होंने अपनी आँखें खोली नहीं थी और उनकी साँसे एक ही गति से मंद मंद चल रहीं थी। अपर्णा को एक नींद की झपकी आ गयी और वह जीतूजी के बदन पर ही लुढ़क गयी। उसका एक स्तन जीतूजी के मुंह में था वह जानते हुए भी वह उस समय कुछ कर पाने के लिए असमर्थ थी।